नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर इल्यूजन आधारित एक तस्वीर वायरल हो रही है। इस तस्वीर के कैप्शन में दावा किया जा रहा है कि इसे जापान के मनोविज्ञानी अकिओशी किताओका (Akiyoshi Kitaoka) ने बनाया है। पोस्ट में यह दावा किया गया है कि इस तस्वीर से सामने वाले की मानसिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा फर्जी निकला है।
सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है इस तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि इसे जापानी मनोविज्ञानी अकिओशी किताओका (Akiyoshi Kitaoka) ने बनाया है। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि यह तस्वीर इसे देखने वाले की मानसिक स्थिति के बारे में बताती है। कैप्शन में दावा किया गया है कि अगर आप इस तस्वीर को देखते हैं और यह स्थिर दिखती है तो आपका दिमाग रिलैक्स है। अगर तस्वीर धीरे-धीरे चल रही है तो इसका मतलब आपको हल्का तनाव है। वायरल पोस्ट के दावे के मुताबिक अगर तस्वीर तेजी से घूम रही है तो इसका मतलब आपको गंभीर तनाव है।
विश्वास न्यूज ने इस तस्वीर को लेकर अपनी पड़ताल शुरू की। इसे तस्वीर में नीला चौकोर बैकग्राउंड है जिसपर चार घुमावदार वृत्त बने हैं। हर वृत्त में पीले, काले और बैंगनी रंग के तीन वृत्त और हैं। पहली नजर में देखने पर ये वृत्त घूमते नजर आते हैं।
हमने ऑनलाइन यह भी सर्च किया कि अकिओशी किताओका (Akiyoshi Kitaoka) नाम के कोई जापानी मनोविज्ञानी हैं या नहीं और उन्होंने ऐसी कोई तस्वीर बनाई है या नहीं। पड़ताल के दौरान हमने पाया कि अकिओशी किताओका (Akiyoshi Kitaoka) वास्तव में एक जापानी मनोविज्ञानी हैं। वह क्योटो के रित्सुमाइकन यूनिवर्सिटी Ritsumeikan University के कॉलेज ऑफ लेटर्स में मनोविज्ञान के प्रोफेसर हैं। रित्सुमाइकन यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट पर उनके काम को देखा भी जा सकता है।
हमने जापानी मनोविज्ञानी अकिओशी किताओका की सोशल प्रोफाइल को भी सर्च किया। हमें उनकी ट्विटर प्रोफाइल पर एक पोस्ट भी मिली जिसमें वे खुद ये कह रहे हैं कि विजुअल इल्यूजन का तनाव से कोई लेना-देना नहीं है।
इस ट्वीट को यहां देखा जा सकता है:
विश्वास न्यूज ने इस मामले में मनोविज्ञानी डॉक्टर ईशा मेहता से भी बात की। उन्होंने कहा, ‘इल्यूजन लोगों को बरगलाने के लिए बनाए जाते हैं। इस तस्वीर का मानसिक स्थिति या तनाव का स्तर बताने से कोई लेना-देना नहीं है। यह दावा पूरी तरह से झूठा है।’
निष्कर्ष :वायरल पोस्ट की इल्यूजन आधारित तस्वीर का मानसिक स्थिति या तनाव निर्धारण से कोई लेना-देना नहीं है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा झूठा निकला है।
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