Fact Check: बाइक पर महिला की बॉडी लेजाते परिजनों की यह तस्वीर है चार साल पुरानी

हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल तस्वीर को गलत तरीके से मौजूदा ऑक्सीजन क्राइसिस से जोड़ा जा रहा है। यह तस्वीर साल 2017 की है।

Fact Check: बाइक पर महिला की बॉडी लेजाते परिजनों की यह तस्वीर है चार साल पुरानी

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें छ जा रहा है​ कि एंबुलेंस न मिलने के कारण बाइक पर ही बेटे को अपनी मां का शव ले जाना पड़ा। इस तस्वीर को मौजूद ऑक्सीजन क्राइसिस से जोड़ कर वायरल किया जा रहा है। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है।

दरअसल वायरल हो रही यह तस्वीर साल 2017 की है। बिहार के पूर्णिया जिले के पूर्णिया सदर हॉस्पिटल में इस महिला की मौत के बाद जब अस्पताल से मॉर्चरी वैन नहीं मिली, तो पिता—पुत्र ने महिला की बॉडी को बाइक पर ही ले जाने का फैसला किया। इस घटना का वर्तमान में कई राज्यों में हो रहे ऑक्सीजन क्राइसिस से संबंध नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर Sandeep Sushant ने यह तस्वीर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा: ये है “बूलेट ट्रेन” वाला डिजिटल इंडिया,
एम्बुलेंस नही मिलने के कारण बाइक पर
माँ का शव ले जाने को मजबूर हुआ बेटा
क्या हम ऐसे ही हिंदुस्तान की चाह रखते है !!
क्या यही है अच्छे_दिन ? 😔 Murderer_Modi No_Oxygen_No_Vote

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल तस्वीर की पड़ताल करने के लिए सबसे पहले इसे गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से ढूंढा। हमें यह तस्वीर कई मीडिया रिपोर्ट्स में मिली। जून 2017 में छपी इन रिपोर्ट्स के अनुसार, यह तस्वीर बिहार के पूर्णिया जिले के सदर अस्पताल की है, जहां 50 साल की सुशीला देवी की बीमारी से मौत के बाद उसके पति शंकर शाह और बेटे को मॉर्चरी वैन न मिलने के कारण बाइक पर ही महिला का शव ले कर जाना पड़ा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शंकर शाह ने बताया कि मेरी पत्नी की मृत्यु के बाद हमने मेडिकल स्टाफ से मॉर्चरी वैन की मांग की, ताकि हम शव को अपने गांव तक ले जा सकें, लेकिन हमसे कहा गया कि हमें व्यवस्था अपने आप करनी होगी। प्राइवेट वैन का किराया चुकाने में हम असमर्थ हैं।

ज्यादा जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण के पटना डिजिटल हेड अमित आलोक से संपर्क किया। तस्वीर देखने के बाद उन्होंने बताया कि यह तस्वीर साल 2017 की है। तस्‍वीर में दिख रहा शव पूर्णिया के श्रीनगर प्रखंड के श्रीनगर गांव निवासी शंकर शाह की पत्नी सुशीला देवी का है। पूर्णिया सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। पति शंकर शाह ने अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस की मांग की, लेकिन उसे मुहैया नहीं कराया गया। प्राइवेट वाहन ने 2500 रुपये की मांग की। रुपये नहीं होने के कारण शंकर साह ने अपने पुत्र को बुलाया तथा मोटरसाइकिल पर शव को लादकर बेटे के शरीर से बांध दिया। खुद पीछे बैठकर शव को पूर्णिया जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर श्रीनगर गांव ले गए।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस घटना के बाद डीएम के निर्देश पर एसडीएम ने जांच की थी और अस्पताल प्रबंधन को दोषी ठहराया था।

गौरतलब है कि देश में कोरोना एक बार फिर पैर पसार चुका है और इस बार अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर्स की कमी सामने आई है। इसके बारे में मीडिया रिपोर्ट्स यहां देखी जा सकती हैं। हालांकि, वायरल तस्वीर साल 2017 की है और इसका मौजूदा पैनडैमिक से कोई संबंध नहीं है।

अब बारी थी फेसबुक पर पोस्ट को साझा करने वाले यूजर Sandeep Sushant की प्रोफाइल को स्कैन करने का। प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर बिहार के मोतिहारी का रहने वाला है।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल तस्वीर को गलत तरीके से मौजूदा ऑक्सीजन क्राइसिस से जोड़ा जा रहा है। यह तस्वीर साल 2017 की है।

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