हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल हो रही तस्वीर उत्तर प्रदेश की नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की है और इसके साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें पीपीई सूट पहने चार लोग नीले रंग के प्लास्टिक में लिपटी एक बॉडी को कचरे वाली वैन में डालते दिख रहे हैं। वायरल पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में कोविड से मारे गए लोगों के शव कचरे वाली गाड़ी में डाले जा रहे हैं। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर के साथ किया गया दावा भ्रामक है।
दरअसल वायरल तस्वीर उत्तर प्रदेश से नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के डूंगरगांव की है, जहां अप्रैल में एंबुलेंस की कमी के चलते नई कचरा वैन में शवों को ले जाने का काम किया गया था। हालांकि, विरोध के बाद वहां से इस गाड़ी को हटा लिया गया था।
क्या है वायरल पोस्ट में?
फेसबुक यूजर Alisha Khatun ने यह तस्वीर शेयर करते हुए बांगला भाषा में कैप्शन लिखा, जिसका हिंदी अनुवाद है : उत्तरप्रदेश में कोविड पीड़ित मृतकों के शव कचरे वाली गाड़ी में फेंके जा रहे हैं।
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने वायरल तस्वीर की पड़ताल करने के लिए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से इसे ढूंढा। हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह तस्वीर मिली। 14 अप्रैल को छपी इन रिपोर्ट्स के अनुसार, यह तस्वीर छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की है, जहां कोरोना से मरे लोगों के शव श्मशान ले जाने के लिए कचरे वाली वैन का इस्तेमाल किया जा रहा था।
ज्यादा जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण समूह के सहयोगी अखबार नईदुनिया के राजनांदगांव रिपोर्टर मिथलेश दिवांगन से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि यह घटना 14 अप्रैल की है। राजनांदगांव के डूंगरगांव इलाके में सरकारी हॉस्पिटल को कोविड केयर सेंटर बनाया गया था। वहां उस दिन एंबुलेंस न होने के कारण कचरा फेंकने वाली नई गाड़ी का इस्तेमाल शवों को श्मशान पहुंचाने के लिए किया जा रहा था। हालांकि, विरोध के बाद इस वाहन को वहां से हटा लिया गया था। दिवांगन ने हमें बताया कि डूंगरगांव के विधायक दलेश्वर साहू ने यह मामला सामने आने के बाद इस कोविड सेंटर को दो शव वाहन दिलवाए थे।
अब बारी थी फेसबुक पर तस्वीर को साझा करने वाली यूजर Alisha Khatun की प्रोफाइल को स्कैन करने का। प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर पश्चिम बंगाल के हावड़ा की रहने वाली है।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल हो रही तस्वीर उत्तर प्रदेश की नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की है और इसके साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है।
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