Fact Check : हार्ट अटैक को रोकने के लिए एस्पिरिन और पानी के उपयोग का भ्रामक दावा वायरल

फेसबुक पर एक वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि सोने से पहले एक गिलास पानी पीने और रोजाना एस्पिरिन लेने से दिल के दौरे को रोका जा सकता है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। दुनिया भर में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (सीवीडी) के सबसे ज्यादा मरीजों वाले देशों में भारत शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में इन बीमारी से होने वाली मौतों में भारत की हिस्‍सेदारी पांचवीं है,खासकर युवा आबादी में। ऐसे में कोई भी गलत सूचना हृदय रोगियों और अन्य लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है। फेसबुक पर एक वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि सोने से पहले एक गिलास पानी पीने और रोजाना एस्पिरिन लेने से दिल के दौरे को रोका जा सकता है। विश्वास न्यूज ने मिस इन्फॉर्मेशन (गलत सूचना) के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के अपने प्रयास में फेसबुक पर हार्ट अटैक और बचाव को लेकर सभी पोस्ट की जांच की और सच सबके सामने लाया।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर फातिमा माराविला ने 5 दिसंबर को एक पोस्‍ट को अपने अकाउंट पर अपलोड किया। इसमें कई प्रकार के दावे किए गए है। इसे आप नीचे पढ़ सकते हैं।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल की शुरुआत फेसबुक सर्च से की। फेसबुक पर ‘हार्ट अटैक और वॉटर’ जैसे कीवर्ड से ओपन सर्च करने पर हमें यही दावा कई साल पहले की तारीखों में भी मिले। वर्ष 2013 में भी ऐसे कई समान दावे मिले, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह पहली बार नहीं है, जब यह दावा वायरल हो रहा है। वायरल पोस्ट के साथ दिल की एक तस्‍वीर का इस्‍तेमाल करते हुए दावा किया गया कि दिन में खास समय पर पानी पीने से कुछ बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। पोस्‍ट में हार्ट अटैक में एस्पिरिन की भूमिका का भी जिक्र किया गया। विश्‍वास न्‍यूज ने क्रमवार इस पोस्‍ट की जांच की। वायरल पोस्‍ट के पहले भाग में दावा किया गया कि सोने से पहले 1 गिलास पानी स्ट्रोक या हार्ट अटैक से बचा सकता है। इस पोस्‍ट में पानी के सेवन और हार्ट अटैक से जुड़े मिथक भी शामिल हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कोच्चि चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष डॉ राजीव जयदेवन का कहना है कि वायरल पोस्ट निराधार और गलत है। उन्‍होंने कहा कि शरीर के लिए पर्याप्त पानी पीना महत्वपूर्ण है। पानी की मात्रा स्‍थान के तापमान, व्यायाम, आर्द्रता और शरीर से निकलने वाले पसीना पर निर्भर करता है। लोगों द्वारा पानी पीने की आदतों के बारे में तरह-तरह के दावे करना आम बात है। ऐसा न करने पर अक्सर गंभीर स्वास्थ्य परिणामों की चेतावनी दी जाती है। बहुत अधिक पानी पीने से स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है। ज्‍यादा पानी पीने से संभावित रूप से खतरनाक इलेक्ट्रोलाइट असामान्यताएं भी हो सकती हैं।

उन्‍होंने जानकारी देते हुए बताया कि लोगों के रात में पेशाब करने के लिए उठने के कई कारण हैं। फ़ेसबुक पोस्ट का दावा है कि यह गुरुत्वाकर्षण के कारण है। लेकिन यह केवल उन लोगों पर लागू होता है, जिनके दिल की विफलता जैसी स्थितियों से एडिमा से पैरों में सूजन होती है। जब ऐसा व्यक्ति सीधा लेट जाता है, तो यह सच है कि उस तरल पदार्थ में से कुछ – जो रक्त वाहिकाओं के बाहर होता है – रक्त परिसंचरण में वापस आ जाता है और अतिरिक्त को किडनी द्वारा फ़िल्टर किया जाता है। लेकिन अधिकांश स्वस्थ लोगों को यह समस्या नहीं होती है।

उन्होंने आगे कहा कि लोगों के रात में पेशाब करने के लिए जागने का मुख्य कारण यह है कि वे सोने के समय अतिरिक्त पानी या अन्य तरल पदार्थ पीते हैं। पानी के सेवन को रात में कम करके इसे ठीक किया जा सकता है। जो लोग रात के खाने में नमकीन या अत्यधिक नमक लेते हैं, वे उस सोडियम को बाहर निकालने के लिए अधिक पेशाब करते हैं। मूत्रवर्धक गोलियां लेने के मामले में भी ऐसा ही है।

कुछ पुरुषों में एक और कारण यह है कि प्रोस्टेट ग्रंथि 40 साल की उम्र के बाद बढ़ने लगती है और यह उम्र बढ़ने के साथ-साथ सामान्य बात हो जाती है। इस कारण से अधूरा मूत्राशय खाली हो जाता है। इस प्रकार रात में मूत्राशय तक पहुंचने वाले मूत्र की थोड़ी-सी अतिरिक्त मात्रा के लिए भी पूर्णता की अनुभूति देना आसान होता है, कुछ हद तक एक गिलास में पानी मिलाना, जो पहले से ही आधा भरा हुआ है। अन्य कारणों में मधुमेह, संक्रमण, स्लीप एपनिया और अतिसक्रिय मूत्राशय जैसी स्थितियाँ शामिल हैं।

डॉ। जयदेवन ने द प्रिवेलेंस एंड कॉजेज ऑफ नोक्टोरिया – शीर्षक से एक शोध लेख भी साझा किया। अध्ययन से निकाले गए निष्कर्ष बताते हैं – नॉक्टोरिया सभी आबादी में आम है। यह वृद्ध लोगों में सबसे अधिक प्रचलित है, लेकिन यह युवा व्यक्तियों में भी सामान्‍य है। नॉक्टोरिया से इंसान की नींद, जीवन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।

अब बारी थी पड़ताल के अगले हिस्‍से की जांच करने की। इसमें हार्ट अटैक और रोजाना एस्पिरिन के सेवन के बारे में दावा किया गया। केरल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मधु श्रीधरन ने विश्‍वास न्‍यूज को बताया कि यह भ्रामक है। पानी का हार्ट अटैक से कोई संबंध नहीं है। ज्यादातर लोगों के लिए डेढ़ से दो लीटर पानी पीना काफी है, बशर्ते कि वो अत्यधिक गर्म या आर्द्र वातावरण में काम न कर रहे हों। हार्ट अटैक के प्राथमिक रोकथाम में एस्पिरिन की कोई भूमिका नहीं है। इसका अर्थ यह है कि जिस व्यक्ति को दिल का दौरा नहीं पड़ा है उसे लेने की आवश्यकता नहीं है / नहीं लेनी चाहिए। एस्पिरिन से अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है और अत्यधिक रक्तस्राव के कारण दिल के दौरे में होने वाला लाभ से आप वंचित हो सकते हैं। अगर आपको दिल का दौरा (अचानक सीने में दर्द) हो रहा है, तो एस्पिरिन लेने से मदद मिलेगी – लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जितनी जल्दी हो सके आप निकट के अस्पताल जाने की कोशिश करें।

पड़ताल के दौरान हमें एक लेख मिला। जिसका शीर्षक है – मिथबस्टर्स: विल ड्रिंकिंग वॉटर हेल्प विथ…? इसमें पानी को लेकर मिथकों के बारे में बताया गया। इसे आप नीचे पढ़ सकते हैं।

हैरानी की बात यह है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में ट्विटर पर #हार्टअटैक भी ट्रेंड कर रहा था। इसके पीछे की वजह जानने के लिए विश्वास न्यूज ने डॉ. एडमंड फर्नांडीस से संपर्क किया। वे सीएचडी ग्लोबल ग्रुप के संस्थापक और चिकित्सक और एडवर्ड एंड सिंथिया इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (ECIPH) के निदेशक हैं। हार्ट अटैक और एस्पिरिन को लेकर उनकी ओर से किया गया एक ट्वीट 4 दिसंबर, 2022 को वायरल हो गया था।

उन्होंने विश्‍वास न्‍यूज से कहा कि मेडिकल मिसइन्फॉर्मेशन आज के समय की बड़ी चुनौती है। हर किसी को इससे सचेत रहने की आवश्‍यकता है। आंख बंद कर करके किसी भी पोस्‍ट पर भरोसा न करें। एस्पिरिन और अन्य दवाएं अपने डॉक्टर से सही मार्गदर्शन के बाद ही लेनी चाहिए।

अपोलो अस्‍पताल के कार्डियोवैस्कुलर सर्जरी के डॉ. मुकेश गोयल ने एस्पिरिन के दैनिक उपयोग के बारे में कहा कि यह केवल एक डॉक्‍टर की सलाह के बाद ही लिया जाना चाहिए। स्व-चिकित्सा करने और अपने जीवन को जोखिम में डालने के बजाय अस्पताल के इमरजेंसी में जाना सबसे अच्छा है।

चौंकाने वाली बात यह है कि वायरल पोस्ट में अमेरिकी गैर-लाभकारी स्वास्थ्य संगठन मेयो क्लिनिक के वीरेंड सोमर्स के नाम का भी इस्‍तेमाल किया गया। सर्च के दौरान विश्वास न्यूज को क्लिनिक की यह पोस्ट मिली, जिसने उन सभी दावों को खारिज किया जा चुका है।

डॉ. सोमर्स ने 12 फरवरी, 2014 को सेंट लुईस अमेरिकी समाचार पत्र में प्रकाशित एक लेख में भी दावों का खंडन किया। डॉ. सोमर्स ने अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल के 29 जुलाई, 2008 के अंक में प्रकाशित एक अध्ययन में योगदान दिया था, लेकिन अध्ययन में दिल के दौरे को रोकने के लिए पानी या एस्पिरिन का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।

वायरल पोस्‍ट में 911 (अमेरिका के लिए आपातकालीन नंबर) और एस्पिरिन के बारे में भी दावा किया गया है, इसलिए विश्वास न्यूज ने लॉस एंजिल्‍स के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. हरविंदर सहोता से संपर्क किया। वे एफडीए अप्रूव्ड परफ्यूजन बैलून एंजियोप्लास्टी के आविष्कारक हैं, जिसे ‘सहोता परफ्यूजन बैलून’ के रूप में जाना जाता है।

उन्‍होंने विश्‍वास न्‍यूज को मैसेज के जरिए बताया कि रात में पेशाब करने के लिए उठना डायबिटीज या प्रोस्टेट के कारण हो सकता है। हार्ट अटैक में एस्पिरिन लेना मददगार होता है अगर इससे कोई दिक्‍कत न हो। सबसे अच्छी सलाह जो मैं दे सकता हूं, वह है कि एक अच्छे हृदय रोग विशेषज्ञ से दिखाएं और उनकी सलाह मानें।

साथ ही, प्रत्येक सरकारी अधिकृत बॉडी आपको किसी आपात स्थिति में नजदीकी अस्पताल में जाने के लिए कहेगा न कि आपके पड़ोसियों के पास जाने के लिए। सोशल मीडिया पर पोस्‍ट शेयर करने से वह आपके प्रिय सदस्‍य को नहीं बचा सकता है।

पड़ताल के अंत में भ्रामक पोस्‍ट करने वाली यूजर की जांच की गई। सोशल स्कैनिंग करने पर विश्वास न्यूज ने पाया कि फेसबुक यूजर फातिमा फिलीपींस के मनीला में रहती हैं। उनके 195 फॉलोअर्स हैं।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में हार्ट अटैक से बचाव के लिए पानी और एस्पिरिन को लेकर किया गया दावा भ्रामक साबित हुआ। यह दावा कि बिस्तर पर जाने से पहले एक गिलास पानी पीने से दिल का दौरा पड़ने से बचाव होता है और जो लोग दिल के दौरे को रोकने के लिए एस्पिरिन लेते हैं, उन्हें बेहतर परिणाम के लिए रात में ऐसा करना चाहिए’ अप्रमाणित और गलत है।

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