हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि रोपड़ पुलिस के अनुसार, वायरल वीडियो में नजर आ रही रेमडेसिविर की वायल्स फर्जी हैं।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें बहते पानी में कुछ डब्बे तैरते दिख रहे हैं। वीडियो में एक व्यक्ति इन में से कुछ डब्बे बाहर निकाल कर दिखाता है जिस पर नाम COVIFOR लिखा हुआ नजर आता है और इसमें से बॉटल निकलती है, जिस पर 5400 रुपए एमआरपी भी प्रिंट है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि हजारों रेमडेसिविर इंजेक्शंस को पानी में बहा दिया गया है। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो में किया गया दावा भ्रामक है।
दरअसल हाल में ही रोपड़ पुलिस को भाकड़ा नहर में करीब 600 नकली रेमडेसिविर के वायल्स तैरते बरामद हुए थे। वायरल वीडियो में नजर आ रहे वायल्स भी नकली हैं। यह ओरिजनल रेमडेसिविर नहीं है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
फेसबुक पेज दिल है हिंदुस्तानी ने यह वीडियो शेयर किया, जिसके साथ कैप्शन में लिखा गया है: हजारों रेमडीशिविर इंजेक्शन को पानी में बहा दिया गया😡😡 👉🏼ये होता है षड्यंत्र , चीन पापिस्तान के टुकड़ों पर पलनें वालें नेताओं + फर्जी किसान आंदोलन करनें वालों नें रातों रात साजिश करकें लाखों करोड़ो रू में खरीदकर रेमडीसीवर दवाई मरीजों तक ना पहुंचाकर पंजाब की नहरों मे बहा दी , जिस से मरीज की अकाल मृत्यु हो और सरकार की बदनामी हो 😡 अटल बिहारी सरकार में प्याज ऐसै ही नष्ट करके सरकार गिरायी थी A huge quantity of injection remdisivir floating in bhakhra river in punjab.Matter must be investigated.👇👇👇👇
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए सबसे पहले इंटरनेट पर कीवर्ड्स की मदद से सर्च किया। हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिसमें भाकड़ा नहर से 621 फर्जी रेमडेसिविर वायल्स मिलने की बात कही गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, ड्रग कंट्रोल ऑफिसर तजिंदर सिंह ने बताया कि दो जगह से 621 रेमडेसिविर और 1456 सेफोपेराजोन वायल्स सीज हुई है। इसके अलावा 849 बिना लेबल लगी वायल्स भी बरामद की गई है। शुरुआती जांच में यही कहा जा सकता है कि यह वायल्स फर्जी हैं।
ज्यादा जानकारी के लिए विश्वास न्यूज ने रोपड़ के एसएसपी अखिल चौधरी से संपर्क किया। उन्होंने भी हमें बताया कि भाकड़ा नहर में से यह वायल्स मिली हैं और शुरुआती जांच के आधार पर यही कहा जा सकता है कि यह वायल्स फर्जी हैं। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं लग पाया है कि आखिर भाकड़ा में इतनी बड़ी मात्रा में यह डब्बे किसने बहाए। एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले में जांच अभी जारी है।
ड्रग कंट्रोल ऑफिसर तजिंदर सिंह ने बताया कि नहर से बरामद हुए डब्बों का लेबल कंपनी के ओरिजनल वायल्स के लेबल से मेल नहीं खाते। इसी आधार पर यह माना जा रहा है कि यह फर्जी है।
हमें दिल्ली पुलिस डीसीपी क्राइम मोनिका भारद्वाज का 26 अप्रैल का एक ट्वीट भी मिला। इस ट्वीट में भी COVIFOR के फर्जी लेबल के बारे में बताया गया था। मोनिका ने अपने इसी थ्रेड में ओरिजनल COVIFOR की भी तस्वीर साझा की है।
हमने वायरल वीडियो में भी नजर आ रहे वायल्स के लेबल पर इसी तरह की कमियां देखीं। जैसे रेमडेसिविर से पहले Rx नहीं लिखा हुआ था और वायल्स का V भी लोअर केस में लिखा नजर आया।
अब बारी थी फेसबुक पर पोस्ट को साझा करने वाले पेज दिल है हिंदुस्तानी की प्रोफाइल को स्कैन करने का। प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यह पेज 2 जून 2020 को ही बनाया गया है और खबर लिखे जाने तक इसके कुल 455 फॉलोअर्स थे।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि रोपड़ पुलिस के अनुसार, वायरल वीडियो में नजर आ रही रेमडेसिविर की वायल्स फर्जी हैं।
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