Fact Check: ऑक्सीजन टैंकर पर रिलायंस का स्टीकर चिपकाते युवकों के इस वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है

हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा गलत है। रिलायंस ने सऊदी अरब सहित पांच देशों से मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले 24 खाली कंटेनर एयरलिफ्ट किए थे और उन्हीं पर रिलायंस के स्टीकर लगाए जा रहे थे।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें तीन युवक एक टैंकर पर चढ़कर उस पर रिलायंस का स्टीकर चिपकाते नजर आ रहे हैं। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि सऊदी अरब जिन ऑक्सीजन के टैंकरों को भारत को डोनेट कर रहा है, रिलायंस उस पर अपना लेबल लगा रहा है। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है।

दरअसल वीडियो में नजर आ रहा टैंकर रिलायंस ने सऊदी अरब, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड्स और थाईलैंड से एयरलिफ्ट करवाए थे। यह खाली टैंकर थे और इसके जरिए कंपनी ने लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए अपनी ट्रांसपोर्टेशन कैपेसिटी को 500 मिट्रिक टन तक बढ़ाया है। वायरल वीडियो उस समय शूट किया गया था, जब यह टैंकर एयरपोर्ट पहुंचे थे और इन्हें जामनगर रिफाइनरी पहुंचाने से पहले इन पर स्टीकर लगाए गए थे।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर Vicky Ashrafi ने यह पोस्ट शेयर किया है, जिसमें लिखे गए अंग्रेजी टेक्स्ट का हिंदी अनुवाद है: सऊदी से डोनेट की गई ऑक्सीजन पर भारत में रिलायंस अपने नाम का लेबल लगा रहा है।

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल वीडियो के साथ किए गए दावे की पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले इंटरनेट पर रिलाइंस इंडस्ट्रीज के देश में ऑक्सीजन सप्लाई करने के बारे में सर्च किया। हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें रिलाइंस इंडस्ट्री के जामनगर रिफाइनरी में मेडिकल ग्रेड लिक्विड ऑक्सीजन बनने और इसे देश भर में सप्लाई करने का जिक्र था।

हमें रिलायंस फाउंडेशन के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से 1 मई को किया गया ट्वीट भी मिला, जिसमें कंपनी के रोजाना 1000 एमटी मेडिकल ग्रेड लिक्विड ऑक्सीजन प्रोड्यूस करने की जानकारी दी गई थी। इस ट्वीट में रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफ से जारी की गई प्रेस रिलीज भी शामिल है।

इस प्रेस रिलीज में रिलायंस ने सऊदी अरब की दिग्गज तेल कंपनी अरामको, बीपी और भारतीय वायु सेना को कंटेनरों की सोर्सिंग व ट्रांसपोर्टिंग के लिए धन्यवाद दिया है। बता दें कि कंपनी सऊदी अरब, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड और थाईलैंड से 24 कंटेनरों को एयरलिफ्ट करके भारत लाई है और इसके जरिए लिक्विड ऑक्सीजन के लिए 500 मीट्रिक टन परिवहन क्षमता को जोड़ा है।

वायरल वीडिया में दिख रहे कंटेनर्स के बारे में जानकारी लेने के लिए विश्वास न्यूज ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के पीआरओ फ्रैंको विलियम्स से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल वीडियो में किया जा रहा दावा गलत है। उन्होंने बताया कि मेडिकल ऑक्सीजन एक खास तरह के टैंकर में स्टोर की जाती है जिसे क्रायोजेनिक टैंकर कहा जाता है। इन टैंकरों में मेडिकल ऑक्सीजन को —180 डिग्री तापमान पर स्टोर किया जाता है। यह टैंकर काफी महंगे होते है, इसलिए कंपनी ने भारतीय वायुसेना की मदद से यह 24 खाली कंटेनर्स एयरलिफ्ट किए हैं। वायरल वीडियो उस समय का है जब जामनगर ऑक्सीजन प्लांट में इन कंटेनर्स को भेजने से पहले एयरपोर्ट पर इन पर स्टीकर्स लगाए गए थे।

उन्होंने हमें एयरपोर्ट पर ली गई कुछ कंटेनर्स की तस्वीरें भी भेजीं जिन पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड व रिलायंस फाउंडेशन का स्टीकर लगा हुआ दिखाई दे रहा है।

हमने इंटरनेट पर सऊदी अरब के भारत को ऑक्सीजन डोनेट करने के बारे में भी सर्च किया। हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिसमें सऊदी के भारत को 80 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन डोनेट करने की बात कही गई है। हमें सऊदी अरब में भारतीय दूतावास का एक ट्वीट भी मिला जिसमें ऑक्सीजन टैंकर्स की तस्वीरें भी शेयर की गई हैं। इन तस्वीरों में दिख रहे टैंकर्स वायरल वीडियो वाले टैंकर्स से काफी अलग हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत को इस मुश्किल घड़ी में मदद करने में और भी देश आगे आ रहे हैं।

अब बारी थी फेसबुक पर पोस्ट को साझा करने वाले यूजर Vicky Ashrafi की प्रोफाइल को स्कैन करने का। प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि खबर लिखे जाने तक यूजर के साथ 271 लोग जुड़े हुए थे।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा गलत है। रिलायंस ने सऊदी अरब सहित पांच देशों से मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले 24 खाली कंटेनर एयरलिफ्ट किए थे और उन्हीं पर रिलायंस के स्टीकर लगाए जा रहे थे।

False
Symbols that define nature of fake news
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