Fact Check: सोशल डिस्टन्सिंग बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन 14 घंटे के ब्रेक से वायरस के मर जाने का दावा करने वाला पोस्ट भ्रामक है

सोशल डिस्टेंसिंग महत्वपूर्ण है; लेकिन वायरल पोस्ट में दावा किया गया दावा कि ’14 घंटे के ब्रेक से COVID-19 की मौत हो जाएगी’ गलत है।

विश्वास न्यूज़, नयी दिल्ली। 19 मार्च, 2020 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनो वायरस प्रकोप पर देश को संबोधित करते हुए, 22 मार्च रविवार को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक देशव्यापी जनता कर्फ्यू की घोषणा की थी। जनता कर्फ्यू की घोषणा के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर इसको लेकर भ्रामक दावों की छड़ी-सी लग गयी। इसी को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें यह दावा किया गया है कि कोरोना वायरस का जीवन 8 – 12 घंटे का होता है और जनता कर्फ्यू 14 घंटे के लिए है। आगे दावा किया गया है कि 12 घंटे तक वायरस यदि किसी मानव शरीर के संपर्क में नहीं आएगा तो यह वायरस मर जाएगा। विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट भ्रामक है।

क्या हो रहा है वायरल?

इंस्टाग्राम पर bhallatanya.16 नाम के एक यूजर द्वारा शेयर की गई एक वायरल पोस्ट में दावा किया गया है: “जनता कर्फ्यू के पीछे तर्क… एक स्थान पर कोरोना वायरस की जिंदगी 8 – 12 घंटे और जनता कर्फ्यू 14 घंटे के लिए है…। इसलिए 12 घंटे के लिए वायरस मानव शरीर के संपर्क में नहीं आएगा, यह वायरस को मार देगा। ”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

जांच के दौरान, विश्वास न्यूज ने द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में एक शोध को पढ़ा। अध्ययन के अनुसार,यह वायरस कुछ घंटों से लेकर 2-3 दिनों तक इन्फेक्टेड सतह पर रह सकता है। उन्होंने मनुष्यों में ऊपरी और निचले रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से प्राप्त नमूनों में देखे गए वातावरण के समान वातावरण बनाया और नेबुलाइज़र की मदद से वायरस को हवा में स्प्रे करके अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि हवा में कम से कम 3 घंटे तक, तांबे की सतहों पर 4 घंटे तक, कार्डबोर्ड पर 24 घंटे तक और प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील सतहों पर 2-3 दिन तक इसका स्टेन रह सकता है।

अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस हवा के माध्यम से भी फैल सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO ) ने भी अपनी एडवाइजरी में कहा कि यह निश्चित नहीं है कि COVID-19 का कारण बनने वाला वायरस सतहों पर कितने समय तक जीवित रहता है, लेकिन यह अन्य कोरोना वायरसों की तरह ही व्यवहार करता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोना वायरस (COVID-19 वायरस की प्रारंभिक जानकारी सहित) कुछ घंटों या कई दिनों तक सतहों पर बना रह सकता है। यह अलग-अलग स्थितियों (उदाहरण के लिए सतह, तापमान या वातावरण की आर्द्रता) के ऊपर निर्भर करता है।

यदि आपको लगता है कि एक सतह संक्रमित हो सकती है, तो वायरस को मारने के लिए सरल कीटाणुनाशक से सफाई करें और अपनी और दूसरों की रक्षा करें। अपने हाथों को अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र से साफ करें या उन्हें साबुन और पानी से धोएं। अपनी आंखों, मुंह या नाक को छूने से बचें।

22 मार्च, 2020 को जनता कर्फ्यू से लोगों के बीच संपर्क में कमी आएगी जो कुछ हद तक इस बीमारी के प्रसार से बचने में मदद करेगा।

वायरल दावे को लेकर विश्वास न्यूज़ ने इंद्रप्रस्थ अपोलो के डॉ सुदीप खन्ना से बात की। उन्होंने कहा “एक सतह पर कोरोना.वायरस कितनी देर ज़िंदा रहता है इसके बारे में अभी कोई ज्ञात नहीं है। यह कहना गलत होगा कि वायरस 8-12 घंटे में मर जाएगा। ”

डब्ल्यूएचओ ने भी अपनी एडवाइजरी  में यह कहा है कि यह निश्चित नहीं है कि कोरोन वायरस कितने घंटों या दिनों तक सतहों पर बना रहता है। यह अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग हो सकता है।

यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉ कनुप्रिया सिंघल के अनुसार, “लोगों को बार-बार हाथ धोने के महत्व पर जोर देना चाहिए और खुद को कोरोनो वायरस से बचाने के लिए जितना संभव हो सके चेहरे को छूने से बचना चाहिए। “

Disclaimer: कोरोनावायरसफैक्ट डाटाबेस रिकॉर्ड फैक्ट-चेक कोरोना वायरस संक्रमण (COVID-19) की शुरुआत से ही प्रकाशित हो रही है। कोरोना महामारी और इसके परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं और जो डाटा शुरू में एक्यूरेट लग रहे थे, उसमें भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। आने वाले समय में इसमें और भी बदलाव होने का चांस है। आप उस तारीख को याद करें जब आपने फैक्ट को शेयर करने से पहले पढ़ा था।

निष्कर्ष: सोशल डिस्टेंसिंग महत्वपूर्ण है; लेकिन वायरल पोस्ट में दावा किया गया दावा कि ’14 घंटे के ब्रेक से COVID-19 की मौत हो जाएगी’ गलत है।

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