Fact Check: सूरज से निकली अल्ट्रावॉयलट किरणों से कोरोना वायरस के इलाज को लेकर वायरल पोस्ट भ्रामक

कोरोना वायरस को अल्ट्रावॉयलट किरणों द्वारा मारा जा सकता है का वायरल हो रहा दावा भ्रामक है। अल्ट्रावॉयलट किरणें वायरस को मार सकती हैं पर कोरोना वायरस को मारने के लिए सिर्फ यह काफी नहीं होता।

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि सूरज से निकली अल्ट्रावॉयलट किरणें कोरोना वायरस को मार सकती हैं। विश्वास टीम ने अपनी पड़ताल में वायरल हो रहे दावे को भ्रामक पाया।

क्या हो रहा है वायरल?

सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में लिखा गया: “Live in under the sun…. cause UV ray can kill CORONA Virus … take care everybody…. we will be better soon i believe that… pray more / eat well / sleep well and stay at home.” हिंदी अनुवाद: सूरज की रोशनी में रहें, क्योंकि अल्ट्रावॉयलट किरणें कोरोना वायरस को मार सकती हैं। हम जल्दी ही स्वस्थ हो जाएंगे। दुआ करें, अच्छा खाएं, अच्छा सोएं और घर पर रहें।

वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड लिंक यहां देख सकते हैं।

पड़ताल

हमने जरूरी कीवर्ड का इस्तेमाल करते हुए गूगल सर्च से अपनी पड़ताल की शुरुआत की और हमें BBC Future नाम की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट मिली, जिसकी हेडलाइन थी: Can you kill coronavirus with UV light? हिंदी अनुवाद: क्या आप कोरोना वायरस को अल्ट्रावॉयलट किरणों से मार सकते हो?

आर्टिकल के अनुसार: “हालांकि, इस बारे में कोई शोध नहीं हुआ है कि कैसे अल्ट्रावॉयलट किरणें Covid-19 को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं, लेकिन अध्ययनों से पता चला है कि इसका उपयोग अन्य कोरोना वायरस, SARS के खिलाफ किया जा सकता है।” BBC Future की इस रिपोर्ट ने डेन अर्नाल्ड को कोट किया है, जो UV Light Technology के लिए काम करते हैं, जो यूके में कीटाणुनाशक उपकरण बनाने वाली एक कंपनी है।

हमने आगे सर्च किया और हमें South China Morning नाम के चैनल द्वारा अपलोड एक Youtube वीडियो मिला जिसका शीर्षक था: सार्वजनिक बसों को कीटाणुरहित करने के लिए शंघाई में अल्ट्रावॉयलट लाइट का इस्तेमाल किया गया। वीडियो के अनुसार, अल्ट्रावॉयलट (UV) लाइट उच्च स्तर पर कीटाणुरहित करने के लिए इस्तेमाल किये जा सकते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, “अल्ट्रावॉयलट रेडिएशन त्वचा और आपकी आंखों को प्रभावित कर सकता है। अपने हाथों को अल्कोहाल-बेस्ड सेनिटाइज़र से रब करना, अपने हाथों को साबुन और पानी से साफ़ करना, सबसे बेहतर उपाय है। वायरस को अपने हाथों से मिटाने के लिए।” WHO यह भी सुझाव देता है कि अल्ट्रावॉयलट लाइट या लैम्प का उपयोग हाथों या त्वचा के क्षेत्रों के लिए कीटाणुनाशक के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।

विश्वास न्यूज़ ने इस मामले को लेकर सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च (CFAR) में प्रोफेसर और हेड, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में प्रोफेसर शैलेंद्र सक्सेना से सम्पर्क किया। उन्होंने कहा: “यह सच है कि सूरज का एक्सपोजर एक व्यक्ति के विटामिन डी के स्तर को बढ़ाता है, तीव्र श्वसन संक्रमण की घटनाओं को कम करता है। आमतौर पर सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने को फायदेमंद माना जाता है, लेकिन यह COVID-19 से छुटकारा पाने में मदद नहीं करता है। अल्ट्रावॉयलट रेडिएशन वायरस को नष्ट कर देता है, लेकिन कोरोना वायरस को पूरा नष्ट करने के लिए महज सूरज की रोशनी काफी नहीं होगी।“

आगे उन्होंने कहा: “अल्ट्रावॉयलट किरणें जीवों के गुणसूत्रों में डीएनए संरचना को नुकसान पहुंचाती हैं। डीएनए में एक ‘मरम्मत तंत्र’ है, लेकिन यह हल्के जोखिम के लिए ही काम करता है। इसलिए, किसी वायरस पर अल्ट्रावॉयलट लाइट की एक केंद्रित मात्रा ही उसे मार सकती है। हालांकि, किसी वायरस के उजागर सतह पर आने पर ही इसके नतीजे देखे जा सकते हैं।”

इस पोस्ट को फेसबुक पर Darli Thiri Aung नाम के अकाउंट द्वारा शेयर किया गया है। सोशल स्कैनिंग पर पता चलता है कि यूज़र को 2576 लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: कोरोना वायरस को अल्ट्रावॉयलट किरणों द्वारा मारा जा सकता है का वायरल हो रहा दावा भ्रामक है। अल्ट्रावॉयलट किरणें वायरस को मार सकती हैं पर कोरोना वायरस को मारने के लिए सिर्फ यह काफी नहीं होता।

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