Fact Check: मधुमक्खी के जहर से इन्फेक्शन ठीक होने का दावा भ्रामक है

विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। फेसबुक पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि मधुमक्खी के जहर वाली थेरेपी (इलाज) से सेल्यूलाइटिस (Cellulitis-इन्फेक्शन) ठीक हो सकता है। इस पोस्ट में तस्वीर भी है जिसमें इस इलाज से घाव में सुधार होते भी दिखाया गया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में इस वायरल पोस्ट का दावा भ्रामक निकला है।

क्या है वायरल पोस्ट में

Intuitive Apitherapy नाम के फेसबुक पेज पर इस पोस्ट को शेयर किया है। यह पोस्ट अंग्रेजी में है और इसके मुताबिक, ‘घाव ठीक नहीं हो रहा है? मधुमक्खी जहर थेरेपी से सेल्युलाइटिस (इन्फेक्शन) ठीक हो सकता है। यह तस्वीर इस थेरेपी के पहले और बाद की है। इस दौरान कोई एंटीबॉयोटिक नहीं ली गईं हैं। यह Intuitive Apitherapy का मरीज है।’

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने मधुमक्खी जहर थेरेपी को इंटरनेट पर सर्च कर अपनी पड़ताल शुरू की। हमें अमेरिका के फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गनाइजेशन की आधिकारिक वेबसाइट पर एक रिपोर्ट मिली। इस आर्टिकल के मुताबिक, ‘इस थेरेपी में जीवित मधुमक्खियों का सीधे मरीजों पर इस्तेमाल किया जाता है। हिप्पोक्रेट्स (प्रसिद्ध यूनानी चिकित्सक) ने मधुमख्यिों के जहर के चिकित्सीय इस्तेमाल के बारे में बताया था। कई मधुमक्खी पालक मानते हैं कि मधुमक्खी का डंक रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज में फायदेमंद है। ऐसा अक्सर कहा जाता है कि कुछ मधुमक्खी पालक इस बीमारी से पीड़ित हैं। हालांकि, यह पंरपरागत रूप से माने जाने वाली बात है। वैज्ञानिक पुष्टि नहीं होने के बावजूद यह डंक थेरेपी पुरानी, असाध्य बीमारियों में लाभ पहुंचाती है। मल्टीपल स्केरोसिस और रूमेटाइड अर्थराइटिस के कुछ पीड़ितों का यकीन है कि यह थेरेपी मदद करती है।’

हालांकि, भले ही कुछ ऐसे लोग यह मानते हों कि मधुमक्खी का डंक फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।

हमें बीबीसी मॉनिटरिंग के वेबसाइट पर एक रिपोर्ट मिली। यह एक 55 साल की स्पैनिश औरत के मामले से जुड़ी रिपोर्ट है। महिला दो सालों से मधुमक्खी-डंक थेरेपी ले रही थी और उसे गंभीर रिएक्शन हो गया, जिससे मौत भी हो गई। इस स्टडी को करने वाले शोधार्थियों ने मधुमक्खी डंक थेरेपी को ‘असुरक्षित और अस्वीकार्य’ बताया है।

इस महिला का केस एलर्जी डिवीजन ऑफ यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल, मैड्रिड के डॉक्टरों द्वारा जर्नल ऑफ इन्वेस्टिगेशनल एलर्जीलॉजी एंड क्लिनिकल इम्युनोलॉजी में भी रिपोर्ट किया गया।

हमें फोर्ब्स की वेबसाइट पर भी एक आर्टिकल मिला, इसका शीर्षक था Bee Venom Acupuncture: A Therapy That Could Kill You यानी मधुमक्खी जहर एक्यूपंक्चर: वो इलाज जो आपको मार सकता है। इस आर्टिकल को न्यूयॉर्क सिटी के लेनोक्स हिल हॉस्पिटल के इमरजेंसी फिजिशियन रॉबर्ट ग्लैटर ने लिखा है।

इस आर्टिकल में भी जर्नल ऑफ इन्वेस्टिगेशनल एलर्जीलॉजी एंड क्लिनिकल इम्युनोलॉजी की 55 वर्षीय स्पैनिश महिला पर आधारित रिपोर्ट का जिक्र किया गया है। यह महिला स्डैंडर्ड एक्यूपंक्चर सुइयों की जगह मधमक्खी डंक एक्यूपंक्चर में जिंदा मधुमक्खियों के डंक का इस्तेमाल करने की वजह से मर गई।

हमें एक रिव्यू भी मिला जिसमें अर्थराइटिस पर मधुमक्खी के जहर के असर का विश्लेषण किया गया है। इस रिव्यू में कहा गया है कि सैंपल साइज और क्वालिटी इस मात्रा में नहीं थे कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके।

मेडिसिन साइंस इंटरनेशनल मेडिसिन जर्नल की एक केस रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मधुमक्खी के डंक से हुए रिएक्शन को दो ग्रुप, शुरुआती और बाद में बांटा जाता है। शुरुआती रिएक्शन 14 मिनट से 4 घंटे के बीच में शुरू होता है। इससे तेज एलर्जी होती है और मौत भी हो सकती है।’ इसके मुताबिक, देर से होने वाले रिएक्शन 7-10 दिन बाद शुरू होता है। बाद में चलकर ये मायस्थेनिया ग्रेविस, मायोकार्डिटिस, पोलिसोमाइलाइटिस, पेरिफेरियल न्यूरिटिस, ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस, वास्कुलिटिस जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं।

विश्वास न्यूज ने इस संबंध में एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ फार्माकोलॉजी के नेशनल प्वाइजन इन्फॉर्मेशन सेंटर के डॉक्टर थॉमस से बात की। उन्होंने कहा, ‘हम मधुमक्खी के जहर से इलाज को प्रोत्साहित नहीं करते, क्योंकि इससे फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।’

यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक एपिथेरेपी, मधुमक्खी से जुड़े प्रोडक्ट आधारित पांरपरिक मेडिसिन का ही हिस्सा है। ट्रेडिशनल हर्बल, मिनरल या जानवरों की मदद से तैयार होने वाली कॉम्प्लिमेंट्री मेडिसिन अक्सर चर्चा का विषय रहती हैं, क्योंकि ऐसे उत्पादों को डाइट्री सप्लीमेंट के तौर पर फार्मेसी पर बेचा जाता है।

इसमें आगे कहा गया है कि मधुमक्खी के जहर को मुख्य रूप से एंटी-इंफ्लेमेंट्री और दर्दनिवारक के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा कुछ देशों में अर्थराइटिस और दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए मधुमक्खी के डंक का इस्तेमाल एपिथेरेपी करने वालों द्वारा होता है। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि के लिए काफी सबूतों की जरूरत है।

निष्कर्ष

वायरल पोस्ट का यह दावा भ्रामक है कि मधुमक्खी के जहर से इन्फेक्शन का इलाज हो सकता है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
पूरा सच जानें...

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

Related Posts
नवीनतम पोस्ट