नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि चीन के लोग कोरोना वायरस की कोई दवा या वैक्सीन नहीं ले रहे हैं और खुद का इलाज अपने घर पर हीट के जरिए कर रहे हैं। वो गर्म भाप ले रहे हैं, गरारे कर रहे हैं और दिन में चार बार गर्म चाय पीते हैं। यह 4 दिनों में वायरस को मारता है और 5वें दिन वो लोग कोरोना वायरस से मुक्त हो जाते हैं। Vishvas News ने इस दावे की पड़ताल की और पाया कि यह वायरल पोस्ट फर्जी है।
सोशल मीडिया पोस्ट के मुताबिक, “चीनी लोग कोरोना वायरस के लिए कोई दवाइयां या वैक्सीन नहीं ले रहे हैं। हर घर में कोरोना वायरस केस है। उन्होंने इलाज के लिए अस्पताल जाना बंद कर दिया है। वो वायरस को गर्मी यानी हीट से मार रहे हैं। केतली से हॉट स्टीम इनहेलेशन दिन में 4 बार। दिन में 4 बार गर्म गरारे करें। दिन में 4 बार गर्म चाय। 4 दिनों में वायरस मर जाता है। 5 वें दिन वो कोरोना नेगेटिव हैं।”
पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।
WHO के अनुसार, कुछ पश्चिमी, पारंपरिक या घरेलू उपचार हल्के COVID-19 के लक्षणों में आराम दे सकते हैं, लेकिन ऐसी कोई दवा नहीं है जिससे इस बीमारी की रोकथाम की जा सके। WHO, COVID-19 की रोकथाम या इलाज दवाओं के साथ किसी सेल्फ-मेडिकेशन की सिफारिश नहीं करता है, जिसमें एंटीबायोटिक दवा भी शामिल हैं। हालांकि, पश्चिमी और पारंपरिक दोनों तरह की दवाओं के लिए कई क्लीनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं।
WHO के अनुसार, नॉर्मल ह्यूमन बॉडी का तापमान लगभग 36.5 ° C से 37 ° C तक रहता है, भले ही बाहर का तापमान या मौसम कितना भी गर्म हो। नए कोरोना वायरस से खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका अल्कोहल आधारित हैंड रब से हाथ साफ करना या फिर साबुन और पानी से लगातार हाथ धोते रहना है। आप COVID-19 वायरस से संक्रमित हो सकते हैं भले ही मौसम कितना भी गर्म हो या फिर तापमान कितना भी कम या ज्यादा क्यों न हो।
ऐसे में यह एक मिथक है कि कोरोना वायरस को मारने के लिए शरीर के तापमान को बढ़ाना जरूरी है। नॉर्मल ह्यूमन बॉडी का तापमान लगभग 36.5 ° C से 37 ° C तक रहता है।
एक अन्य दावे से पता चलता है कि गर्म चाय कोरोना वायरस को ठीक करती है।आयुष मंत्रालय के अनुसार, हर्बल चाय या तुलसी (तुलसी), दालचीनी (दालचीनी), कालीमिर्च (काली मिर्च), शुंठी (सूखी अदरक) और मुनक्का (किशमिश) से बना काढ़ा दिन में एक या दो बार पीने से इम्यूनिटी बढ़ती है जो COVID-19 के दौरान सेल्फ केयर के लिए अच्छा है। हालांकि, मंत्रालय इस तरह से COVID-19 के इलाज का दावा नहीं करता है।
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि चाय पीने से कोरोना वायरस ठीक हो जाता है, यह पूरी तरह से फर्जी पोस्ट है। पोस्ट में झूठा दावा किया गया है कि चीन में COVID-19 संक्रमित लोगों को दिन में तीन बार चाय दी जाती है। यह पोस्ट डॉ. ली वेनलियानग के एक कथन से बनाया गया है जो चाय और कोरोना वायरस के प्रभाव पर रिसर्च कर रहे थे, लेकिन वह वायरस के विशेषज्ञ के बजाय एक नेत्र विशेषज्ञ थे। चीन के अस्पताल मरीजों को चाय देकर COVID-19 का इलाज नहीं कर रहे थे।
एक अन्य दावे में कहा गया है कि कि गर्म पानी के गरारे करने से कोरोना वायरस ठीक हो जाता है। Vishvas News ने इससे पहले एक ऐसी ही पोस्ट को डिबंक किया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि यह दावा फर्जी है। यह फैक्ट चेक यहां पढ़ा जा सकता है।
पोस्ट में बताया गया है कि कोरोना वायरस का इलाज खुद करने के लिए गर्म पार्नी के 4 दिन तक गरारे करने चाहिए। Vishvas News ने पहले भी फैक्ट चैक में इस दावे को खारिज किया था। यहां पढ़ें।
Vishvas News ने केरल के जनरल फिजिशियन और कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज कर रहे डॉ. सजीव कुमार से बात की। उन्होंने कहा, “पोस्ट में किए गए दावे हल्की खांसी और बुखार के लक्षणों में आराम प्रदान कर सकते हैं, लेकिन ये कोरोना वायरस का इलाज नहीं करते हैं। अगर किसी को COVID से संबंधित लक्षण मिलते हैं तो उन्हें खुद इलाज करने के बजाय किसी चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
पोस्ट को गुरदीप सिंह बिर्दी नाम के एक यूजर ने फेसबुक पर शेयर किया है। हमने उपयोगकर्ता के सामाजिक प्रोफ़ाइल को स्कैन किया और पाया कि उपयोगकर्ता लुधियाना, पंजाब का रहनेवाला है।
गर्म भाप और चाय के जरिए कोरोना वायरस का इलाज किया जाता है, यह दावा करने वाला पोस्ट फेक है। नॉर्मल ह्यूमन बॉडी का तापमान लगभग 36.5 ° C से 37° C तक रहता है, भले ही बाहर का तापमान या मौसम कितना भी गर्म हो।
Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं, और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।
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