नई दिल्ली (विश्वास टीम) सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया गया है कि मास्क पहनने से फंगल लंग इन्फेक्शन होता है और इसके कारण लोगों को इमरजेंसी रूम जाना पड़ता है। Vishvas News ने इसकी पड़ताल की और पाया कि वायरल हो रहा यह दावा झूठा है।
सोशल मीडिया के एक पोस्ट में लिखा है: “मास्क पहनने से लोग फंगल लंग इन्फेक्शन के साथ ईआर में जाना शुरू कर रहे हैं!! अपने मास्क से ब्रेक ले लो।”
पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।
वायरल हो रही पोस्ट 3 जुलाई, 2020 को शेयर की गई थी और तब से अब तक 17,000 बार इसे शेयर किया गया है।
हमने ऑनलाइन रिपोर्ट सर्च की कि क्या मास्क फंगल लंग इन्फेक्शन का कारण हो सकता है। यह साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय डाटा हमें नहीं मिला।
हमने नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. निखिल मोदी से बात की और पाया कि यह क्लेम साबित करने का कोई सबूत नहीं हैं।
उन्होंने कहा: “मैंने किसी भी व्यक्ति को फेस मास्क का इस्तेमाल करने के बाद इस तरह की स्थिति का सामना करते नहीं देखा है। ऐसे कई पेशे हैं जहां लोग घंटों मास्क लगाकर बिना किसी परेशानी के काम करते हैं। यह दावा पूरी तरह से फर्जी है कि मास्क पहनने से फंगल लंग इन्फेक्शन होता है।”
हमने डॉ. सजीव कुमार, जनरल फिजिशियन जो कोरोना वायरस के मरीजों को भी देख रहे हैं, से भी इस संबंध में बात की। दावे को जानने के बाद उन्होंने भी यही कहा कि यह फर्जी दावा है।
वास्तव में, ग्लोबल हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और हेल्थ मिनिस्ट्रीज भी लोगों को कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने के लिए मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं।
यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रीवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, लोगों को सार्वजनिक तौर पर मास्क लगाना चाहिए, विशेष रूप से तब मास्क जरूर लगाना चाहिए, जब सोशल डिस्टेंसिंग रखना मुश्किल हो जाता है।
यहां यह ध्यान रखने की जरूरत है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों, जिन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है या फिर बिना सहायता के मास्क को हटाने में असमर्थ हैं, उनका मुंह कवर नहीं करना चाहिए।
COVID -19 से बचाव के लिए मास्क पहनने से फंगल लंग इन्फेक्शन नहीं होता है। यह वायरल दावा फर्जी है।
Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए ,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।
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