नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर की जा रही है। इसमें NASA के हवाले से दावा किया जा रहा है कि गांजे के पौधे का डीएनए धरती का नहीं बल्कि किसी दूसरे ग्रह का है। इसके अलावा, इस पोस्ट में बाबा रामदेव का जिक्र कर गांजे को औषधि बताते हुए इसे लीगल करने की मांग की जा रही है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा फर्जी निकला है। NASA ने ऐसी कोई पुष्टि नहीं की है कि गांजे के पौधे का कथित ‘एलियन डीएनए’ हमारे सोलर सिस्टम से बाहर का है।
फेसबुक पर A.K.Mishra नाम की प्रोफाइल से एक पोस्ट शेयर की गई है। इसमें नासा के हवाले से दावा किया गया है कि गांजे का ‘एलियन डीएनए’ है जो हमारे सोलर सिस्टम के बाहर से आया है। इस पोस्ट पर कैप्शन लिखा है कि, ‘बाबा रामदेव ने गांजे को औषधि बताते हुए, इसे लीगल करने की बात कही है, मैं उनकी इस बात का समर्थन करता हूँ, गांजा एक औषधि ही है, ब्रिटिश राज में इसे प्रतिबंधित किया गया था, अन्यथा यह भारत में कभी प्रतिबन्धित नहीं थी, उन्हें शराब बेचना था इसलिए गांजे को प्रतिबंधित किया। आयुर्वेद कहता है, गांजा से घुटनों का दर्द गायब हो जाता है, भूख लगती है, ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है जिस कारण ब्लड प्रेशर, हाईपरटेंशन जैस बीमारियां नहीं होतीं। वैसे भी नासा के रिसर्च में ये बात सामने आई है कि मारिजुआना अर्थात गांजा एकमात्र पौधा है जिसका DNA पृथ्वी के अन्य पौधों से मैच नहीं करता यह दूसरे ग्रह से लाया गया पौधा है। हमारे ऋषि मुनियों के ज्ञान और इसे भोले का प्रसाद कहना अनायास ही नहीं है।’
इस पोस्ट को 29 मई 2019 को पोस्ट किया गया है।
हमने इस पोस्ट पर आए कमेंट्स से अपनी पड़ताल की शुरुआत की। कई सारे यूजर्स अपने कमेंट में इस पोस्ट में किए गए दावे पर सवाल उठा रहे थे। हमने NASA confirms Marijuana has Alien DNA कीवर्ड्स की मदद से गूगल सर्च को भी अंजाम दिया। हमने इस गूगल सर्च में टाइम फिल्टर का भी इस्तेमाल किया।
हमें 26 अप्रैल 2019 का यूजर Dacia J. Ferris का एक ट्वीट मिला। इस यूजर ने Physics & Astronomy Zone के एक ट्वीट को रीट्वीट कर रखा था। साथ ही कैप्शन में लिखा था कि वह इस जानकारी के बाद आश्चर्यचकित हैं।
जब हमने Physics & Astronomy Zone के हैंडल पर मौजूद ट्वीट पर क्लिक किया तो हम 20 अप्रैल 2019 के एक वेबसाइट लिंक पर पहुंचे।
इस वेबसाइट पर हमें बिल्कुल वही तस्वीर मिली जो उस यूजर ने अपने फेसबुक पोस्ट में शेयर की है।
इस वेबसाइट पर मौजूद लेख में लिखा है कि, ‘अब जबकि आप इसे पढ़ रहे हैं, तो आप निश्चित तौर पर इस रिसर्च में रुचि लेंगे जो सोशल मीडिया यूजर्स के किसी कंटेंट को पढ़कर (या बिना पढ़े) सोशल मीडिया पर शेयर करने के व्यवहार का अध्ययन करती रहै।’ इसका मतलब यह निकल कर सामने आया कि सोशल मीडिया पर लोग पूरा नहीं पढ़ते और क्लिक-बेट हेडलाइन के चक्कर में पड़ जाते हैं।
इसी लेख में आगे लिखा है कि पिछले अप्रैल में NPR ने अपने फेसबुक पेज पर एक आर्टिकल शेयर किया था जिसका शीर्षक था कि Why doesn’t America read anymore? लेख के मुताबिक यह मजाक था और दरअसल कोई आर्टिकल था ही नहीं। वे यह जानना चाहते थे कि क्या उनके फॉलोवर्स बिना पढ़े आर्टिकल शेयर करते हैं या नहीं, और ऐसा ही हुआ।
हमने अपनी आगे की पड़ताल में इस आर्टिकल में दिए गए लिंक पर क्लिक किया। ऐसा करने के बाद हम नेशनल पब्लिक रेडियो, अमेरिका की वेबसाइट पर एक अप्रैल (अप्रैल फूल्स डे) को पोस्ट किए गए आर्टिकल पर पहुंचे। इसका शीर्षक Why doesn’t America read anymore? था। इसमें लिखा था कि, ‘असल पाठक, आपको बधाई और हैपी अप्रैल फूल्स डे! कभी-कभी हमने पाया कि कुछ लोग एनपीआर की स्टोरी पर बिना पढ़े कमेंट कर रहे हैं। अगर आप इसे पढ़ रहे हैं तो कृपया इस पोस्ट को लाइक करें और इसपर कमेंट न करें। आइए देखते हैं कि इस स्टोरी पर लोगों का क्या कहना है।’
हमने इस मामले की आगे भी पड़ताल की। हमने पाया कि नासा ने ऐसे किसी दावे की पुष्टि नहीं की है। हमें फोर्ब्स पर भी एक आर्टिकल मिला। इसका शीर्षक था 59 Percent Of You Will Share This Article Without Even Reading It. यानी आपमें से 59 फीसदी लोग बिना पढ़े इस आर्टिकल को शेयर करेंगे।
इस आर्टिकल में लिखा है कि IFLScience.com ने हाल ही में एक ऐसा ही एक्सपेरिमेंट किया। एक आर्टिकल पब्लिश किया गया जिसका शीर्षक था Marijuana Contains “Alien DNA” From Outside Of Our Solar System, NASA Confirms (यानी नासा ने पुष्टि की है कि गांजे का ‘एलियन डीएनए’ हमारे सोलर सिस्टम से बाहर का है।) इसमें आगे लिखा गया कि अबतक इस आर्टिकल को 141000 से अधिक शेयर मिल चुके हैं। यह न तो गांजे के बारे में है और न ही एलियन डीएनए के ही बारे में। यह दरअसल एक एक्सपेरिमेंट था जो यह देखने के लिए किया गया कि केवल चौंकाऊ हेडिंग से ही कितने शेयर मिल सकते हैं। IFLScience ने भी एक पोस्ट के अंदर इस बात का जिक्र करते हुए लिखा था कि हमने काफी पहले यह नोटिस किया कि हमारे कई फॉलोवर पढ़े बिना ही किसी आर्टिकल को लाइक, शेयर करने के अलावा खुशी-खुशी उसपर राय भी देंगे।
फोर्ब्स ने गांजे के एलियन डीएनए होने की कथित फेक स्टोरी का भी जिक्र किया है कि कैसे लोग बिना पूरा पढ़े ऐसी स्टोरी के चक्कर में फंस जाते हैं।
वायरल पोस्ट के कैप्शन में बाबा रामदेव का भी जिक्र करते हुए लिखा गया है कि ‘बाबा रामदेव ने गांजे को औषधि बताते हुए, इसे लीगल करने की बात कही है।’
पातंजलि के आचार्य बालकृष्ण ने क्वॉर्ट्ज मैग्जीन को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में गांजे के कुछ हिस्से का इस्तेमाल इलाज के लिए हो रहा है। हम इसके कई रूपों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं। हमें गांजे के पौधे के फायदे और इसके सकारात्मक इस्तेमाल के ऊपर विचार करना चाहिए।’
इंडियाटाइम्स की एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, हाल में पंचकुला में हुए एक TEDx इवेंट में बालकृष्ण ने भी हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने इलाज के उद्देश्यों के साथ-साथ भारत में बिजनस और रोजगार के मौकों के लिए गांजे को लीगल करने पर जोर दिया।
फेसबुक यूजर ने अपनी पोस्ट के कैप्शन में एक और दावा किया है कि ‘नासा के रिसर्च में ये बात सामने आई है कि मारिजुआना अर्थात गांजा एकमात्र पौधा है जिसका DNA पृथ्वी के अन्य पौधों से मैच नहीं करता यह दूसरे ग्रह से लाया गया पौधा है।’ हमने अपनी पड़ताल में पाया कि नासा ने ऐसी कोई रिपोर्ट या बयान जारी नहीं किया है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा फर्जी पाया गया है कि गांजे का डीएनए पृथ्वी के अन्य पौधों से मैच नहीं करता और यह किसी दूसरे ग्रह से लाया गया पौधा है। हमारी पड़ताल में सामने आया है कि नासा ने ऐसी कोई रिसर्च नहीं की है और न ही गांजे का ‘एलियन डीएनए’ होनी की पुष्टि की है।
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