Fact Check: वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के लिए एनेस्थीसिया नहीं है जानलेवा, वायरल पोस्ट है फर्जी

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। जहां एक तरफ देश में कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीनेशन का काम चल रहा है, लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़ी फर्जी खबरों का भी बाजार गर्म है। अब सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसके जरिए दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाई है उन्हें किसी भी तरह के एनेस्थीसिया यहां तक कि लोकल एनेस्थीसिया से भी दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह उनके लिए जानलेवा हो सकता है। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है।

दरअसल इस दावे की पुष्टि करने के लिए न तो अभी तक कोई साइंटिफिक एविडेंस हैं और न ही इस तरह की कोई गाइडलाइंस जारी की गई हैं।

क्या है वायरल पोस्ट में?

ट्विटर यूजर Kamal Ekanayaka ने यह पोस्ट शेयर किया, जिसमें अंग्रेजी में लिखे गए टेक्स्ट का हिंदी अनुवाद है: वैक्सीनेशन वॉर्निंग, जिस भी व्यक्ति ने कोरोना से सुरक्षा के लिए वैक्सीन लगवाया है उसे किसी भी तरह का एनेस्थीसिया फिर चाहे वह लोकल एनेस्थीसिया ही क्यों न हो लेने के लिए मना किया गया है, क्योंकि ऐसा करने से उस व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की पड़ताल करने के लिए सबसे पहले यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या किसी वैक्सीन मैन्युफैक्चरर ने इस तरह की वॉर्निंग जारी की है। हमने पाया कि किसी भी वैक्सीन मैन्युफैक्चरर ने ऐसी कोई वॉर्निंग जारी नहीं की, जिसके तहत वैक्सिनेटेड लोगों को ऐसी सर्जरी न करवाने की सलाह दी गई हो, जिसमें एनेस्थीसिया की जरूरत पड़ती है।

हमने आईसीएमआर के एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिकेबल डिजीज डिविजन में वैक्सीनेशन पर काम कर रहीं साइंटिस्ट डॉ. अपर्णा मुखर्जी से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि इस तरह की कोई गाइडलाइंस जारी नहीं की गई हैं और वैक्सीनेशन लेने वाले व्यक्ति को एनेस्थीसिया देने से मौत हो सकती है। इस दावे की पुष्टि करने के लिए कोई साइंटिफिक एविडेंस नहीं है। आईसीएमआर ने भारत बायोटेक के साथ मिल कर कोवैक्सीन तैयार की है।

वायरल दावे के बारे में इंटरनेट पर सर्च करने पर हमें मलेशियन सोसायटी ऑफ एनेस्थीसियोलॉजिस्ट्स की 13 जून 2021 को जारी एक प्रेस स्टेटमेंट मिली, जिसमें उन्होंने वायरल हो रहे इस मैसेज को फर्जी करार दिया। इसमें उन्होंने लिखा कि अगर किसी व्यक्ति को अभी-अभी वैक्सीन लगी है तो ऐसे केस में अगर डॉक्टर चाहे तो गैर-जरूरी सर्जरी को टाला जा सकता है, लेकिन इसका अर्थ इससे नहीं है कि एनेस्थीसिया देने से उस व्यक्ति की मौत हो सकती है। ऐसा इसलिए किया जा सकता है, ताकि वैक्सीन की दोनों डोज का पूरा फायदा उस व्यक्ति को मिल सके।

हमने इस बारे में लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निशांत वर्मा से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन का एनेस्थीसिया से कोई संबंध नहीं है। वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा सही नहीं है। इसके कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि एनेस्थीसिया देने से वैक्सीनेटेड व्यक्ति की मौत हो सकती है। ऐसी कोई वॉर्निंग या गाइडलाइन अभी तक जारी नहीं की गई है।

अब बारी थी ट्विटर पर पोस्ट को साझा करने वाले यूजर Kamal Ekanayaka की प्रोफाइल को स्कैन करने का। प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर श्रीलंका के मालाबे का रहने वाला है।

निष्कर्ष

वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है। वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को एनेस्थीसिया नहीं लेना चाहिए ऐसी कोई गाइडलाइन अभी तक जारी नहीं हुई है और न ही इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण सामने आए हैं।

Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए, क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का इलाज खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।

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