विश्वास न्यूज की पड़ताल में बीबीसी की टेम्पलेट को लेकर मंकीपॉक्स पर किया जा रहा वायरल दावा गलत निकला। बीबीसी द्वारा इस तरह का कोई टेम्पलेट जारी नहीं किया गया है और न ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा मंकीपॉक्स को लेकर इस तरह का कोई दिशानिर्देश जारी किया गया है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर बीबीसी के एक टेम्पलेट को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को लेकर कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, मंकीपॉक्स हवा के जरिए फैलने वाली बीमारी है। साथ ही यह भी बताया गया है कि यह व्यक्ति को पैरालाइज कर सकती है और व्यक्ति इससे 2 से 4 महीने तक संक्रमित रहता है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। बीबीसी द्वारा इस तरह का कोई टेम्पलेट जारी नहीं किया गया है और न ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा मंकीपॉक्स को लेकर इस तरह का कोई दिशानिर्देश जारी किया गया है।
फेसबुक यूजर Cynthia Oldham ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है, “हे भगवान, इन लोगों ने हमसे इतनी बड़ी बात छुपाई।”
पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने बीबीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर सर्च करना शुरू किया, लेकिन हमें वायरल दावे से जुड़ी कोई खबर या टेम्पलेट वहां पर नहीं मिला। हमने बीबीसी के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट को भी खंगालना शुरू किया। हमें वहां पर भी दावे से जुड़ी कोई पोस्ट नहीं मिली।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने यूएस की हेल्थ एजेंसी सीडीसी वेबसाइट पर मंकीपॉक्स के बारे में सर्च करना शुरू किया। हमें वहां पर भी वायरल दावे से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मिली। सीडीसी पर मंकीपॉक्स को लेकर बताया गया है, “मंकीपॉक्स संक्रमित शख्स के संपर्क में आने से होता है।
हमने दावे की सच्चाई जानने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर भी मंकीपॉक्स के बारे में सर्च करना शुरू किया। यहां पर भी हमें दावे से जुड़ी कोई पोस्ट नहीं मिली। मंकीपॉक्स को लेकर बताया गया है कि मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है। मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित किसी जानवर के संपर्क में आने से यह इंसानों में फैलता है। यह वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। जिसमें बंदर, कुत्ते और गिलहरी जैसे जानवर शामिल हैं। संक्रमित व्यक्ति से भी दूसरे व्यक्ति में संक्रमण फैल सकता है।
पूरी तरह से पुष्टि करने के लिए हमने डॉक्टर्स से संपर्क करना शुरू किया। सबसे पहले हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र की संचार अधिकारी शर्मिला शर्मा से संपर्क किया। हमने वायरल दावे को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने कहा, “यह गलत जानकारी है और WHO ने मंकीपॉक्स को लेकर इस तरह का कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया है।”
हमने अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय IMA COVID टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ राजीव जयदेवन से संपर्क किया। हमने वायरल दावे को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया यह दावा फर्जी है। मंकीपॉक्स एक जूनोसिस वायरस यानी जानवरों से इंसानों में फैलने वाला संक्रमण है। मंकीपॉक्स वायरस, स्मॉल पॉक्स या चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है। मंकीपॉक्स के लक्षण बहुत जल्द सामने आने लगते हैं। संक्रमित व्यक्ति को सबसे पहले हल्का-सा बुखार आता है। बुखार के साथ-साथ मांसपेशियों में दर्द, जकड़न और कमजोरी महसूस हो होती है। इसके साथ ही जैसे-जैसे मंकीपॉक्स की बीमारी बढ़ने लगती है, वैसे-वैसे संक्रमित रोगी के लिम्फ नोड्स में सूजन आने लगती है, जो कि मंकीपॉक्स की सबसे बड़ी पहचान है। त्वचा पर चकत्ते (चेहरे से शुरू होकर हाथ, पैर, हथेलियों और तलवों तक) पड़ते हैं।
विश्वास न्यूज ने करियर मेडिकल कॉलेज लखनऊ के प्रसिद्ध चिकित्सक, प्रो (डॉ) आशीष वर्मा से भी इस दावे को लेकर बातचीत की। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। मंकीपॉक्स जैसे-जैसे फैल रहा है, वैसे-वैसे देश में इसे लेकर गलत जानकारियां भी फैल रही हैं।
पड़ताल के अंत में विश्वास न्यूज ने फेक दावे को शेयर करने वाले यूजर Cynthia Oldham के फेसबुक हैंडल की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर को दो हजार तीन सौ से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में बीबीसी की टेम्पलेट को लेकर मंकीपॉक्स पर किया जा रहा वायरल दावा गलत निकला। बीबीसी द्वारा इस तरह का कोई टेम्पलेट जारी नहीं किया गया है और न ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा मंकीपॉक्स को लेकर इस तरह का कोई दिशानिर्देश जारी किया गया है।
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