कोरोना वायरस को लेकर यह वायरल मैसेज यूनिसेफ की तरफ से जारी नहीं किया गया है।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि 26-27 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान पर कोरोना वायरस मर जाता है। इसमें कहा गया है कि गर्म पानी पीना और सूरज की रोशनी के संपर्क में आना भी प्रभावी है। इस मैसेज में आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक से भी परहेज करने को कहा गया है। वायरल पोस्ट में इस मैसेज का सोर्स UNICEF को बताया गया है। विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में ये वायरल मैसेज फर्जी पाया गया है।
सोशल मीडिया पर Clean and Green Services नाम के पेज से इस पोस्ट को शेयर किया गया है। इसमें लिखा है, ‘कोरोना वायरस इन्फॉर्मेशन सोर्स: UNICEF. अगर वायरस 26-27 डिग्री सेल्सियस में आये तो ये मर जायेगा, क्योंकि ये गर्म इलाकों में जिंदा नहीं रहता। गर्म पानी पीना और सूरज की रोशनी के संपर्क में आना भी प्रभावी है। आइसक्रीम और ठंडे खाने से दूर रहने की सलाह दी जाती है।’ इस पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
जैसा कि देखा जा सकता है, इस वायरल पोस्ट में UNICEF को इस सूचना का स्रोत बताया गया है।
विश्वास न्यूज़ ने यूनिसेफ की हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉक्टर कनुप्रिया सिंघल से बात की। उन्होंने बताया कि: “यूनिसेफ की तरफ से इस तरह का मैसेज नहीं भेजा गया है।“
वायरल पोस्ट का दावा है कि कोरोना वायरस 25-26 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर मर जाता है। हालांकि, मेडिकल एक्सपर्ट्स ने इस नए वायरस को लेकर ऐसा कोई दावा नहीं किया है।
डॉक्टर कनुप्रिया सिंघल के मुताबिक, “तापमान को लेकर इस वायरस की संवेदनशीलता की अबतक पहचान नहीं की जा सकी है। फिलहाल यह बहुत जरूरी है कि केवल भरोसेमंद सूचना स्रोतों जैसे हेल्थ मिनिस्ट्री की आधिकारिक वेबसाइट, WHO वेबसाइट या यूनिसेफ वेबसाइट्स पर ही भरोसा किया जाए। फर्जी न्यूज़ और मिस इन्फॉर्मेशन को बिना पुष्टि के सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करना चाहिए।”
यूनिसेफ के कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट क्रिस्टोफर टिडी ने हमें मेल पर बताया, “यह पोस्ट न तो यूनिसेफ की है और न ही सही है। पूरी दुनिया में लोग कोरोना वायरस से अपने और परिवार को बचाने के लिए जरूरी सावधानियां बरत रहे हैं। वैज्ञानिकता पर आधारित बेहतर तैयारियां आज के समय की जरूरत हैं। हालांकि, ढेर सारे लोग वायरस और इससे बचाव को लेकर जानकारियां शेयर कर रहे हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही जानकारियां काम की या भरोसे लायक हैं। स्वास्थ्य संकट के इस दौर में मिस इन्फॉर्मेशन लोगों को असुरक्षित या वायरस से ज्यादा असुरक्षित बनाती है। यह उन्माद और डर पैदा करती है। इसके अलावा सुरक्षा की झूठी भावना भी पैदा होती है।“
विश्वास न्यूज को आगे की पड़ताल में सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की आधिकारिक वेबसाइट पर एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘अबतक इसकी जानकारी नहीं है कि मौसम या तापमान का COVID-19 के फैलने पर असर है या नहीं। सामान्य सर्दी-जुकाम और फ्लू जैसे वायरस ठंड के मौसम में ज्यादा फैलते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि दूसरे महीनों में इन वायरसों से प्रभावित नहीं हुआ जा सकता। फिलहाल यह नहीं पता चल पाया है कि मौसम गर्म होने पर COVID-19 का फैलाव रुक जाएगा। COVID-19 के फैलने, इसकी गंभीरता और दूसरी चीजों के बारे में जानने के लिए अभी बहुत कुछ है और इस मामले में पड़ताल चल रही है।’
इस वायरल पोस्ट में आगे दावा किया गया है कि गर्म पानी पीने और सूरज के धूप में आने से आराम मिलता है।
हमें इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि गर्म पानी पीने और सूरज की रोशनी इन्फेक्शन को रोक सकती है। जनरल फिजिशियन डॉक्टर सजीव कुमार के मुताबिक, ‘इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। अबतक कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है। सर्दी-खांसी जैसे सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क में आने पर कोरोना वायरस फैलता है।’
वायरल पोस्ट में यह भी दावा किया गया है कि लोगों को आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन नहीं करना चाहिए।
हमारी पड़ताल में पता चला कि यूनिसेफ डिप्टी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर फॉर पार्टनरशिप्स, Charlotte Petri Gornitzka ने कोरोना वायरस मिस इन्फॉर्मेशन पर एक बयान जारी किया है।
इस बयान में कोरोना वायरस को लेकर जुड़े इन भ्रामक दावों का खंडन किया गया है। इसके मुताबिक, ‘पूरी दुनिया में कई भाषाओं में एक गलत ऑनलाइन मैसेज घूम रहा है। इसे यूनिसेफ का बताया जा रहा है। बीमारी से बचने के लिए इसमें अन्य चीजों के साथ-साथ आइसक्रीम और दूसरी ठंडी खाद्य सामग्रियों से परहेज को कहा जा रहा है। यह पूरी तरह से गलत है।’
विश्वास न्यूज पहले भी इस तरह के दावे का खुलासा कर चुका है, जिसे यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
Disclaimer: कोरोनावायरसफैक्ट डाटाबेस रिकॉर्ड फैक्ट-चेक कोरोना वायरस संक्रमण (COVID-19) की शुरुआत से ही प्रकाशित हो रही है। कोरोना महामारी और इसके परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं और जो डाटा शुरू में एक्यूरेट लग रहे थे, उसमें भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। आने वाले समय में इसमें और भी बदलाव होने का चांस है। आप उस तारीख को याद करें जब आपने फैक्ट को शेयर करने से पहले पढ़ा था।
निष्कर्ष: कोरोना वायरस को लेकर यह वायरल मैसेज यूनिसेफ की तरफ से जारी नहीं किया गया है।
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