Fact Check: इटली में कोरोना वायरस के बारे में इस वायरल संदेश में किए गए दावे झूठे हैं

विश्वास न्यूज़ ने इटालियन पत्रकारों, फैक्टचेकर्स और डॉक्टरों से संपर्क किया और यह निष्कर्ष निकाला कि इटली में कोरोनावायरस से रिकवरी के बारे में इस पोस्ट में किये जा रहे दावे झूठे हैं। विशेषकर यह दावा कि कोरोनावायरस वास्तव में एक बैक्टीरिया है और एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इसका इलाज किया जा सकता है गलत है।

नई दिल्ली, टीम विश्वास: पिछले कुछ हफ्तों से एक मैसेज वॉट्सऐप और विभिन्न फेसबुक पेजों पर वायरल हो रहा है। इस वायरल संदेश में कोरोना वायरस को लेकर कई दावे किये जा रहे हैं। विश्वास न्यूज़ ने इन दावों की जांच में पाया कि ये सभी दावे झूठे हैं।

क्या हो रहा है वायरल?

व्यापक रूप से वायरल इस पोस्ट में कई दावे किये गए हैं। वायरल मैसेज में अंग्रेजी में लिखा है:

“Covid 19 drug by Italian Government please read carefully and Slowly If feel like than please share Help to Save Humanity  THE LAST HOUR 🔺

INTERNATIONAL 🔴 ITALY 🇮🇹 IN ITALY, THE CORONAVIRUS REMEDY WAS FINALLY FOUND.

Thanks to Italian Doctors who finally disobeyed WHO’s Global Health Law not to perform an autopsy on the dead Coronavirus and they discovered that it is NOT a VIRUS but BACTERIA that causes Death!!! It causes Blood Clots to form and results in the Death of the Patient. Families World Wide should start asking for Autopsies on their Dead Relatives!

🔷Italy beats the so-called Covid-19, which is nothing more than “Disseminated Intravascular Coagulation” (Thrombosis).

🔷 And the way to fight or cure it is with “antibiotics, anti-inflammatories and anticoagulants” like simple ASPIRIN … which indicates that this disease has been poorly treated.

This sensational news for the whole world was produced by Italian Doctors who performed Autopsies on corpses produced by Covid-19.

🔷 Even more, according to Italian pathologists: “The respirators were never necessary, nor the intensive care units.” The Respirators helped to kill many.

🔷So therefore in Italy the change of protocols has started, ITALY IS REVOLVING AND ENDING WHAT WHO CALLED PANDEMIC WORLDWIDE. This remedy, the Chinese already knew and did not report it, but TO DO BUSINESS. Shame China!

Source of this information: ITALY Ministry of Health.

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SHARE IT SO THE WHOLE WORLD KNOW THAT WE HAVE BEEN DECEPTED AND OUR SENIORS HAVE BEEN KILLED!

@ italiarevelacurardelcovid19

ALERT → be vigilant !!!!

Send this information to all your family, your neighborhood, your acquaintances, your friends, your colleagues, your collaborators … etc. etc. and your environment in general ..:

If you contract Covid-19 … which is not a virus as we were led to believe, but a bacterium … amplified by 5 G elec”

जिसका हिंदी अनुवाद होता है:

“इटली की सरकार द्वारा कोविड-19 की दवा ढूंढी गयी। इस मैसेज को ध्यान से और धीरे-धीरे पढ़ें अगर आपको ठीक लगे तो कृपया मानवता को बचाने में मदद करें।

* इटली में, कोरोना वायरस की दवा ढूंढी गयी।”

इतालवी डॉक्टरों का धन्यवाद जिन्होंने अंत में WHO के वैश्विक स्वास्थ्य कानून की अवहेलना की और मृत कोरोना वायरस पर शव परीक्षण (ऑटोप्सी) की और उन्हें पता चला कि *यह एक VIRUS नहीं, बल्कि BACTERIA है जो मृत्यु का कारण बनता है !!! इससे रक्त के थक्के बनते हैं और रोगी की मृत्यु हो जाती है। दुनिया भर में परिवारों को अपने मृत रिश्तेदारों पर ऑटोप्सी के लिए दबाव देना शुरू करना चाहिए!

🔷इटली ने तथाकथित कोविड -19 को हराया है, जो “डिसिमिनेशन इंट्रावैस्कुलर कॉगुलेशन” (थ्रॉम्बोसिस) से ज्यादा कुछ नहीं है।

🔷 * और इसे लड़ने या ठीक करने का तरीका “एंटीबायोटिक्स, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीकॉगुलेंट्स” जैसा है जो साधारण ASPIRIN है … जो बताता है कि इस बीमारी का खराब इलाज किया गया है। *

पूरी दुनिया के लिए यह सनसनीखेज खबर इटली के डॉक्टरों द्वारा जारी की गई थी, जिन्होंने कोविड -19 से ग्रस्त मृतकों का शव परीक्षण किया था।

🔷इससे भी अधिक इटली के डॉक्टरों के अनुसार: “रेस्पिरेटर्स की कभी भी आवश्यक नहीं थी, न ही ICU इकाइयां ज़रूरी थीं।” इन उपकरणों और इकाइयों ने कई लोगों को मारने में मदद की।

🔷इसलिए इटली में प्रोटोकॉल में बदलाव की शुरुआत हो गई है, इटली बदल रहा है और जिसे विश्व भर में पेंडामिक कहा जा रहा है, उसे समाप्त करने को अग्रसर है. इस उपाय के बारे में चीन को पहले से मालूम था मगर व्यापार के चलते उसने विश्व को नहीं बताया। चीन शर्म करो। !

इस जानकारी का स्रोत: * इटली का स्वास्थ्य मंत्रालय। *

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यह जानकारी अपने सभी परिवार, अपने पड़ोस, अपने परिचितों, अपने दोस्तों, अपने सहयोगियों … आदि को भेजें ..:

कोविड-19 एक वायरस नहीं है, जैसा कि हमें बताया गया था, लेकिन यह एक जीवाणु है… जो 5 जी सिग्नलों से बढ़ता है।”

इस पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

दावे:

विश्वास न्यूज ने एक-एक करके दावों की पड़ताल करने का फैसला किया।

दावा नं 1

क) इटली के डॉक्टरों ने WHO के वैश्विक स्वास्थ्य कानून की अवहेलना की और मृत कोरोना वायरस का शव परीक्षण (ऑटोप्सी) किया और उन्हें पता चला कि *यह एक VIRUS  नहीं, बल्कि BACTERIA है। इससे रक्त के थक्के बनते हैं और रोगी की मृत्यु हो जाती है।

ख) इससे रक्त के थक्के बनते हैं और रोगी की मृत्यु का कारण बनता है। इटली तथाकथित कोविड -19 को पराजित करता है, जो कि “डिसमिसिव इंट्रावैस्कुलर जमावट” (थ्रोम्बोसिस) के अलावा और कुछ नहीं है। और इसका मुकाबला करने का तरीका, इसका इलाज, “एंटीबायोटिक्स, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीकॉगुलेंट्स” है।

ग) ASPIRIN, यह दर्शाता है कि इस बीमारी का खराब इलाज किया गया था। दुनिया के लिए यह सनसनीखेज खबर इटली के डॉक्टरों द्वारा बनाई गई है, जो कि कोविड-19 के कारण मरे लोगों की लाशों का शव परीक्षण करते हैं। “वेंटिलेटर और गहन देखभाल इकाई की आवश्यकता कभी नहीं थी।” इसलिए इटली में प्रोटोकॉल का परिवर्तन शुरू हुआ। SO-CEDED वैश्विक महामारी की पहचान की गई और जिसे WHO द्वारा संशोधित किया गया, इस इलाज को चीनी पहले से ही जानते थे और इसकी रिपोर्ट नहीं की व्यवसाय के चलते। स्रोत: इटली स्वास्थ्य मंत्रालय।

दावा नंबर 2

क) कोविड -19 अ एक वायरस नहीं है, जैसा कि हमें विश्वास दिलाया गया, यह बैक्टीरिया है जो 5G विद्युत चुम्बकीय रेज़ से बढ़ता है, जिससे सूजन और हाइपोक्सिया भी उत्पन्न होती है। वे निम्नलिखित कार्य करेंगे: एस्पिरिन 100mg और Apronax या Paracetamol लें। यह देखा गया है कि कोविड -19  रक्त का थक्का बनाता है, जिससे व्यक्ति के शरीर में रक्त का प्रवाह रुक जाता है। इससे हृदय और फेफड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिलता और व्यक्ति जल्दी ही मर जाता है।

ख) इटली में डॉक्टरों ने डब्लूएचओ प्रोटोकॉल को नहीं माना और कोविड-19 से मरे एक व्यक्ति की लाश का शव परीक्षण किया … उन्होंने शरीर को काट दिया और हाथ और पैर और शरीर के अन्य हिस्सों को खोल दिया और महसूस किया कि नसों में रक्त जमा हुआ है और थ्रोम्बी से भरी हुई सभी नसें और धमनियां, रक्त को सामान्य रूप से बहने से रोक रहीं हैं और सभी अंगों, मुख्य रूप से मस्तिष्क, हृदय और फेफड़ों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच रहा, जिससे रोगी मर रहे हैं। इस निदान को जानने के बाद, इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड -19 के ट्रीटमेंट प्लान को बदल दिया। कोविड-19 उपचार प्रोटोकॉल और उनके सकारात्मक रोगियों को एस्पिरिन 100mg और Apronax के लिए प्रशासित करना शुरू किया गया। परिणाम: रोगी ठीक होने लगे और सुधार दिखने लगे और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक ही दिन में 14,000 से अधिक रोगियों को घर भेज दिया।

दावा नंबर 3

क) अब डब्ल्यूएचओ पर दुनिया भर में कई मौतों को कवर करने और दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं के पतन के लिए मुकदमा दायर किया जाएगा। अब समझ में आया कि शवों को शव परीक्षण या तुरंत दफनाने का आदेश क्यों दिया गया … और उन्हें अत्यधिक प्रदूषणकारी क्यों करार दिया गया। 

पड़ताल:

Vishvas News ने दावों की एक-एक करके गहन जांच की।

हम पहले दावे से शुरू करते हैं:

संदेश का दावा है कि कोरोना वायरस का इलाज इटली में पाया गया है। हाल ही में एक समाचार में, इटली के वैज्ञानिकों के एक दल ने एक जोड़ा टीका विकसित करने का दावा किया। यह वैक्सीन मानव कोशिकाओं में कोरोना वायरस को बेअसर कर देती है।

एक अन्य दावे में कहा गया है, “इटली के डॉक्टरों ने विश्व स्वास्थ्य कानून डब्ल्यूएचओ की अवज्ञा की, और कोरोना वायरस के मृतकों पर शव परीक्षण किया और उन्होंने पाया कि यह एक वायरस नहीं, बल्कि बैक्टीरिया है जो मृत्यु का कारण बनता है। इससे रक्त के थक्के बनते हैं और रोगी की मृत्यु का कारण बनता है। “

आपको बता दें कि ऐसा कोई विशिष्ट डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य कानून नहीं है जो मृत कोरोना वायरस रोगियों पर शव परीक्षण नहीं करने को कहता हो।

हालांकि, एक दस्तावेज है “COVID-19: अंतरिम मार्गदर्शन” जहां कोरोना वायरस से मरे व्यक्ति के शरीर के प्रबंधन को लेकर कुछ गाइडलाइंस हैं, जिससे मृतकों को संभालने वाले लोगों को सुरक्षित रखा जा सके और संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण हो सके। यह गाइडलाइंस स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को “रोगी कक्ष से स्थानांतरण के लिए शरीर को तैयार करने और पैकिंग करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।”

पूरा दस्तावेज यहां पढ़ें:

यह एक ज्ञात तथ्य है कि कोरोना वायरस वास्तव में एक वायरस है और बैक्टीरिया नहीं है

वायरल मैसेज में एक और दावा कहता है:

“कोरोना वायरस और कुछ नहीं, बल्कि डिस्मेंटेड इंट्रावैस्कुलर कॉगुलेशन (थ्रॉम्बोसिस) है जिससे रक्त के थक्के जमते हैं।”

दावा भ्रामक है, क्योंकि शरीर में रक्त के प्रवाह रुकने को कोविड 19 से हुई मौतों में एक प्रमुख कारण के रूप में नहीं देखा जा सकता है। एक अध्ययन में यह भी कहा गया है कि श्वसन विफलता (respiratory failure) स्पष्ट रूप से मृत्यु का मुख्य कारण है।

Vishvas News ने पुष्टि के लिए स्थानीय इटली डेली के संपादक, पत्रकार क्लेयर स्पीक से संपर्क किया, जिन्होंने पुष्टि की कि व्हाट्सएप संदेश में किए गए दावे झूठे हैं और इटालियन स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसी किसी भी चीज़ की घोषणा नहीं की है जिसका उल्लेख पोस्ट में किया गया है।

आइए अब हम दावा नंबर 2 की ओर बढ़ते हैं:

23 अप्रैल, 2020 को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा, नवीनतम हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड तकनीक 5G COVID-19 के प्रसार के लिए जिम्मेदार नहीं है और इसके और कोरोनावायरस के बीच किसी भी लिंक का कोई तकनीकी आधार नहीं है ”। इसे यहाँ पढ़ें।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरिया के खिलाफ काम नहीं करते हैं। नया कोरोनावायरस (2019-nCoV) एक वायरस है और इसलिए, एंटीबायोटिक्स का उपयोग रोकथाम या उपचार के साधन के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।

पोस्ट में यह भी दावा किया गया है कि इटली ने एक ही दिन में 14,000 मरीजों को घर भेजा है, हालांकि xinhuanet.com के अनुसार इटली में एक दिन में सबसे ज्यादा मरीज़ 30 अप्रैल को घर भेजे गए थे और इनकी संख्या थी 4,693।

दावा नंबर 3:

हमने पूरे इंटरनेट पर खोज की, लेकिन कहीं भी किसी देश या संस्था द्वारा इस सन्दर्भ में WHO पर मुकदमा चलाने वाली कोई खबर नहीं मिली। यह सिर्फ एक राय है।

Vishvas News ने इटली के एक चिकित्सक मार्को विनेली से संपर्क किया, जो कोरोना संक्रमित मरीजों मरीज़ों को देख रहे हैं। हमने उनसे पूछा कि क्या इटली के डॉक्टरों ने कभी कहा था कि वेंटिलेटर या गहन देखभाल इकाई (ICU) की कोविड 19 के इलाज में कोई आवश्यकता नहीं है और यह भी पूछा कि क्या डॉक्टर कोविड-19 रोगियों का इलाज एस्पिरिन 100mg और एप्रोनैक्स से कर रहे हैं? उन्होंने दोनों दावों को गलत बताया।

इसी तरह, हमने भारत में महामारी पर काम करने वाले एक डॉक्टर से भी संपर्क किया।

नागपुर में सेवारत डॉ सजल बंसल ने कहा कि एंटी-कॉगुलेंट्स सीधे नहीं दिए जाते हैं, यह मरीजों की स्थिति पर निर्भर करता है और कुछ रक्त परीक्षण के बाद दिया जाता है। वेंटिलेटर की जरूरत नहीं होने का दावा गलत है।  कोरोना वायरस एक श्वसन (रेस्पिरेटरी) रोग है और इसलिए, वेंटिलेटर की जरूरत है।

उन्होंने एस्पिरिन 100 मिलीग्राम और एप्रोनैक्स या पैरासिटामोल के साथ रोगियों का इलाज करने से भी इनकार किया और इस दावे को जानलेवा बताया।

फैक्ट-चेक पर काम करते हुए विश्वास न्यूज़ ने पाया कि यह मैसेज स्पेनिश में भी फ़ैल रहा है। विश्वास न्यूज़ ने बोलीविया वेरिफा के जोकिन मार्टेला से बात की। बोलीविया वेरिफा ने भी इस मैसेज का फैक्ट चेक किया था। उन्होंने कहा, “बोलिविया में यह संदेश केवल वॉट्सऐप के माध्यम से प्रसारित नहीं किया गया, बल्कि यह फेसबुक पर भी काफी वायरल है। संदेश कोविड-19 को ठीक करने के लिए एस्पिरिन और अन्य दवाओं की सिफारिश करता है। इससे बहुत-सी गलत जानकारियां फ़ैल रहीं हैं। बहुत-से लोगों ने इस मैसेज को यह मानते हुए वायरल किया था कि सरकार उनसे झूठ बोल रही है। कुछ अन्य लोगों ने खुद यह दवा ली, जिससे उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ गई। यह दावा पूरी तरह गलत साबित हुआ था। फैक्ट चेकर के रूप में  इस महामारी के दौरान वास्तव में हमारी एक महत्वपूर्ण भूमिका है।”

इस पोस्ट को कई लोगों द्वारा विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर साझा किया गया है। उनमें से एक फेसबुक यूजर है, जिसका नाम मनोज गोयनका है। यूजर मूल रूप से राजस्थान के चूरू का है और वर्तमान में कोलकाता में रहता है। उसके 5,000 फेसबुक मित्र हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने इटालियन पत्रकारों, फैक्टचेकर्स और डॉक्टरों से संपर्क किया और यह निष्कर्ष निकाला कि इटली में कोरोनावायरस से रिकवरी के बारे में इस पोस्ट में किये जा रहे दावे झूठे हैं। विशेषकर यह दावा कि कोरोनावायरस वास्तव में एक बैक्टीरिया है और एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इसका इलाज किया जा सकता है गलत है।

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