Fact Check: देसी घी के साथ गाय के उपले जलाने से नहीं बनेगी ऑक्सीजन, वायरल पोस्ट में किया गया दावा है गलत

हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा गलत है। गाय के उपले गाय के घी के साथ जलाने से ऑक्सीजन पैदा नहीं होती।

Fact Check: देसी घी के साथ गाय के उपले जलाने से नहीं बनेगी ऑक्सीजन, वायरल पोस्ट में किया गया दावा है गलत

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसके जरिए यह दावा किया जा रहा है कि घर में ही ऑक्सीजन पैदा करने के लिए गाय के गोबर से बने दो छोटे उपले देसी गाय का घी डालकर जलाएं। यह उपाय 10 ग्राम घी से 1000 टन वायु को ऑक्सीजन में परिवर्तित कर देता है। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा गलत है।

दरअसल कोई भी चीज जलाते समय ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है, लिहाजा गाय के उपले जलाने में भी ऑक्सीजन खर्च होती है न कि इससे ऑक्सीजन बनती है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर Mukul Malhotra ने यह पोस्ट शेयर की है, जिसमें लिखा गया है: घर में ऑक्सीजन पैदा करने के लिए गौ माता के गोबर से बने 2 छोटे कंडे (उपले) देसी गाय का घी डालकर जलाएं। 10 ग्राम घी 1000 टन वायु को ऑक्सीजन में परवर्तित (कन्वर्ट) कर देता है। हमारे (भारतीय) ऋषि मुनिया ने यह हजारों वर्षों पहले यह बताया था। शोध के रूप में जापान ने यह प्रयोग वर्षों पहले किया था।

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट में किए गए दावे की पड़ताल करने के लिए सबसे पहले इंटरनेट पर इस बारे में सर्च किया, लेकिन हमें ऐसी कोई स्टडी या रिसर्च रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें यह पुष्टि की गई हो कि गाय के उपले गाय के घी में जलाने से ऑक्सीजन पैदा होती है।

हमें नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन की वेबसाइट पर एक आर्टिकल मिला, जिसमें बताया गया है कि जानवरों के सूखे गोबर को बायोफ्यूल की तरह कई सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है। खुले में इसे जलाने से पर्टिकुलेट मैटर (PM), कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और इंडोर एन्वायरन्मेंट में वोलेटाइल और सेमी—वोलेटाइल ऑर्गेनिक स्पेशीज निकलती हैं। हालांकि, इसमें कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि गाय के उपले जलाने से ऑक्सीजन निकलती है।

इसके बाद हमने दहन प्रक्रिया (combustion process) को समझने की कोशिश की। दरअसल यह एक केमिकल प्रॉसेस है, जिसमें सब्सटेंस ऑक्सीजन से रिएक्ट करता है और हीट पैदा करता है। किसी भी चीज को जलाने के लिए ऑक्सीजन और हीट के स्रोत की जरूरत होती है।

ज्यादा जानकारी के लिए हमने आईआईटी बॉम्बे के डिपार्टमेंट ऑफ केमिस्ट्री के प्रोफेसर डॉ. प्रदीप माथुर से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा पूरी तरह गलत है। बर्निंग प्रॉसेस में ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जब भी आप कुछ जलाते हो तो इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन प्रोड्यूस नहीं होती, बल्कि खर्च होती है। लिहाजा मरीज के पास उपले जलाने से उसे धुएं की वजह से सांस लेने में तकलीफ बढ़ सकती है।

वायरल पोस्ट में यह भी दावा किया गया है कि जापान में भी इसे लेकर शोध किया गया है, लेकिन हमें ऐसा कोई शोध या रिसर्च पेपर नहीं मिला।

अब बारी थी फेसबुक पर पोस्ट को साझा करने वाले यूजर Mukul Malhotra की प्रोफाइल को स्कैन करने का। प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर हरियाणा के गुरुग्राम का रहने वाला है।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा गलत है। गाय के उपले गाय के घी के साथ जलाने से ऑक्सीजन पैदा नहीं होती।

False
Symbols that define nature of fake news
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