एम्स दिल्ली में मिले सात मरीजों का चीन में फैली सांस संबंधी बीमारी से कोई संबंध नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन दावों को गलत बताया है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। कोरोना के बाद चीन में सांस संबंधी बीमारी के कई मामले सामने आए हैं। अब सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि दिल्ली एम्स में चीन में फैली बीमारी माइकाप्लाज्मा निमोनिया के सात मामले सामने आए हैं। ये केस अप्रैल से सितंबर के बीच मिले हैं।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि एम्स में मिले सात मरीजों का चीन में फैली बीमारी से कोई संबंध नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय और दिल्ली एम्स ने ऐसे दावों को गलत बताया है।
फेसबुक यूजर Rajul sharma (आर्काइव लिंक) ने 7 दिसंबर को लिखा,
“भारत में चाइनीज बीमारी की एंट्री, दिल्ली एम्स में 7 मरीज माइक्रोप्लाजमा न्यूमोनिया पॉजिटिव पाए गए, जिसकी जद में छोटे बच्चे आ रहे हैं. यह बीमारी चीन में हाहाकार मचा रही है. दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) अस्पताल ने अप्रैल से सितंबर के बीच माइकोप्लाज्मा निमोनिया के सात मामलों का पता लगाया है.”
फेसबुक पर कुछ अन्य यूजर्स ने इस दावे को शेयर किया है।
वायरल दावे की जांच के लिए हमने कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर सर्च किया। 7 दिसंबर को दैनिक जागरण की वेबसाइट पर इससे संबंधित खबर छपी है। इसमें लिखा है, “दिल्ली एम्स में मिले सात मरीजों का चीन में फैले निमोनिया संक्रमण से कोई संबंध नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से इस तरह के दावों को भ्रामक और गलत बताया गया है। इस मामले में दिल्ली एम्स की तरफ से भी कहा गया है कि इन मामलों का चीन में फैली संक्रामक बीमारी से कोई संबंध नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि अप्रैल से सितंबर 2023 के दौरान एम्स में मिले निमोनिया के मरीजों के मामले में कोई चिंता की बात नहीं है। वे सब अब स्वस्थ हैं। उनमें कोई नया स्ट्रेन नहीं मिला है।”
एएनआई के आधिकारिक एक्स हैंडल से 7 दिसंबर को पीआईबी की प्रेस रिलीज को पोस्ट (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है,”चीन में निमोनिया के मामलों में हालिया वृद्धि से जुड़े एम्स दिल्ली में संक्रमण के मामलों का पता लगाने का दावा करने वाली मीडिया रिपोर्ट भ्रामक और गलत हैं। माइकोप्लाज्मा निमोनिया समुदाय-अधिग्रहित निमोनिया का सबसे आम बैक्टीरियल वजह है। एम्स दिल्ली में निमोनिया के मामलों का चीन में बच्चों में मिल रहे सांस संबंधी संक्रमण में हालिया वृद्धि से कोई संबंध नहीं है: भारत सरकार।”
प्रेस रिलीज में दिया गया है कि दिल्ली एम्स में मिले मामलों को चीन में फैली बीमारी से जोड़ने वाला दावा भ्रामक है। साफ किया जाता है कि इन सात मामलों का चीन में बच्चों में फैली सांस संबंधी बीमारी से कोई संबंध नहीं है। अप्रैल से सितंबर तक एम्स दिल्ली में चल रहे अध्ययन के तहत ये सात मामले सामने आए थे और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। दिल्ली एम्स में 611 सैंपल्स की जांच में माइकाप्लाज्मा निमोनिया को कोई भी केस नहीं मिला है।”
7 दिसंबर को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की वेबसाइट (आर्काइव लिंक) पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की प्रेस रिलीज में भी इन दावों को भ्रामक बताया गया है।
इस बारे में हमने एम्स दिल्ली के मीडिया कोऑर्डिनेटर राजीव मैखुरी से बात की। उनका कहना है, “सोशल मीडिया पर वायरल दावा गलत है। दिल्ली में एम्स में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, जिसका संबंध चीन में फैली बीमारी से हो।“
23 नवंबर 2023 को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, “मिड अक्टूबर 2023 से डब्ल्यूएचओ चीनी डेटा की निगरानी कर रहा है, जो उत्तरी चीन में बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारी में बढ़ोतरी दिखा रहा है। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने 13 नवंबर 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्वसन रोगों की घटनाओं में देशव्यापी वृद्धि की सूचना दी थी, जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है। माइकोप्लाज्मा निमोनिया और आरएसवी बड़ों की तुलना में बच्चों को अधिक प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं।”
गलत दावा करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। 13 फरवरी 2020 को बने इस पेज के करीब 1 लाख 41 हजार फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: एम्स दिल्ली में मिले सात मरीजों का चीन में फैली सांस संबंधी बीमारी से कोई संबंध नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन दावों को गलत बताया है।
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