निमोनिया फेफड़े में संक्रमण के कारण होता है। यह वायरस और बैक्टीरिया के कारण होता है। ऐसे में बचाव ही सबसे सुरक्षित उपाय है।
नई दिल्ली। देश के कुछ हिस्सों में तापमान में गिरावट और प्रदूषण के कारण अचानक से निमोनिया के मरीजों की तादाद बढ़ गई है। निमोनिया से बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। निमोनिया काफी भयानक बीमारी है। यदि इसका समय पर इलाज नहीं कराया जाए, तो मरीज की जान भी जा सकती है। निमोनिया फेफड़े में संक्रमण के कारण होता है। यह वायरस और बैक्टीरिया के कारण होता है। ऐसे में बचाव ही सबसे सुरक्षित उपाय है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, फेफड़ों को नुकसान का बड़ा कारण वायु प्रदूषण भी है। हर साल वायु प्रदूषण के कारण दुनियाभर में 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है। प्रदूषण के कारण निमोनिया का खतरा भी बढ़ जाता है। दुनिया के 23 फीसदी निमोनिया के केस भारत में देखने को मिलते हैं।
फेलिक्स हॉस्पिटल, नोएडा के संस्थापक और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके गुप्ता कहते हैं कि निमोनिया काफी खतरनाक बीमारी है। इसके कारण काफी ज्यादा मौत होती हैं। हालांकि, अब वैक्सीन के कारण मौतों पर नियंत्रण पाया जा सका है, लेकिन निमोनिया के कारण जान गंवाने वालों की तादाद आज भी काफी ज्यादा है।
वे आगे बताते हैं कि वायु प्रदूषण के दौरान जब कोई सांस लेता है कि वातावरण में मौजूद छोटे-छोटे कण फेफड़ों में चले जाते हैं। जिसके कारण फेफड़ों की छोटी ग्रंथियों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता है। इसके कारण फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में निमोनिया होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
नेशन वाइड चिल्ड्रेन्स डॉट ओआरजी के अनुसार, निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है जो आपको बीमार कर सकता है। यह तब होता है, जब रोगाणु आपके फेफड़ों में चले जाते हैं। इसके लक्षणों में खांसी, बुखार और सांस लेने में कठिनाई शामिल है।
निमोनिया सबसे ज्यादा सर्दी के मौसम में होता है। 2 साल से कम उम्र के बच्चों या बुजुर्गों में सबसे ज्यादा जोखिम होता है। उचित चिकित्सा देखभाल के बिना जान भी जा सकती है।
निमोनिया के कारण फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। इसके लक्षण आमतौर पर फ्लू की तरह शुरू होते हैं। कुछ दिनों में ये धीरे-धीरे बदतर होते जाते हैं। निमोनिया में अचानक तेज बुखार, तेज़ सांस और खांसी हो सकती है।
किसी भी बीमारी से बचने के लिए सबसे पहले संबंधित बीमारी की वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। निमोनिया की वैक्सीन उपलब्ध है। इसी तरह कुछ सावधानी रखकर निमोनिया से बचा जा सकता है। चलिए अब बात करते हैं ऐसे ही महत्वपूर्ण उपायों के बारे में।
निमोनिया से बचाव के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी को मजबूत करें। हरी सब्जियां, फल का नियमित सेवन करें। व्यायाम जरूर करें। पर्याप्त नींद लें। ठंड के मौसम में च्यवनप्राश और गर्म पेय पदाथों का सेवन करें।
अपने डॉक्टर की सलाह पर फ्लू और निमोनिया की वैक्सीन जरूर लगाएं। वैक्सीन से संक्रमण का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। वैक्सीन बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वालों के लिए जरूरी है।
निमोनिया संक्रमण से फैलता है। ऐसे में साफ-सफाई का जरूर ध्यान रखें। अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोना बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर खाने से पहले, बाथरूम का उपयोग करने के बाद और खांसने या छींकने के बाद। इससे बैक्टीरिया और वायरस के फैलाव को रोका जा सकता है। सेनिटाइजर हमेशा पास रखें।
प्रदूषण के दौरान खुद को इससे बचाकर सुरक्षित रहा जा सकता है। वायु प्रदूषण से फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचता है। यदि बाहर जा रहे हैं तो मास्क का जरूर उपयोग करें। धुआं और धूल से बचें।
स्मोकिंग से फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और यह निमोनिया के संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है। अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे तुरंत छोड़ दें। ऐसे स्थानों पर जाने से भी बचें, जहां लोग स्मोकिंग कर रहे हों।
यदि आंकड़ों की बात की जाए तो लोकसभा में वर्ष 2023 में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब के अनुसार, 2017-2019 के दौरान पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौतों में से 17.5 फीसदी मौतें निमोनिया के कारण हुई थीं।
लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2022-23 में देश में बच्चों में 4,73,780 निमोनिया के केस देखने को मिले। इसमें सबसे ज्यादा केस उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों में आए।
डिस्क्लेमर : यह ऑटिकल एक्सपर्ट्स की मदद से लिखा गया है। यहां दी गई जानकारी केवल सूचना के लिए है। निमोनिया के लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
विश्वास न्यूज ने निमोनिया से पहले डेंगू, स्क्रब टाइफस, एमपॉक्स को लेकर भी विस्तार से लेख पब्लिश किया है। इसे आप नीचे पढ़ सकते हैं।
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