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Explainer : पेंशनधारकों के बैंक अकाउंट पर साइबर ठगों की नजर, रहें सावधान

समय-समय पर सरकारी विभाग और बैंक लोगों को इसके बारे में सचेत कर रहे हैं। इसके बावजूद साइबर ठगी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

  • By: Ashish Maharishi
  • Published: Nov 11, 2024 at 03:39 PM
  • Updated: Nov 11, 2024 at 04:42 PM

नई दिल्‍ली। यदि आप या आपके परिवार में कोई पेंशन धारक है, तो सावधान हो जाएं, क्‍योंकि साइबर ठग ऐसे लोगों के बैंक खाते में सेंध लगा रहे हैं, जिन्‍हें पेंशन मिलती है। कभी रुकी हुई पेंशन दिलाने के नाम पर, तो कभी जीवन प्रमाण पत्र अपडेट कराने के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है। समय-समय पर सरकारी विभाग और बैंकों के बारे में लोगों को इसके बारे में सचेत किया जा रहा है। इसके बावजूद साइबर ठगी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

सबसे पहले बात करते हैं, दो ऐसे केस की, जिसमें एक रिटायर्ड हेड कांस्टेबल ने अनजान कॉलर पर भरोसा करके अपने लाखों रूपए गंवा दिए। दूसरी ओर, एक निजी कंपनी के गार्ड ने अपनी सूझबूझ से अपनी जीवनभर की राशि बचा ली।

केस नंबर 1 : यूपी के बागपत जिले के रिटायर्ड हेड कांस्टेबल के बैंक खाते से दो दिन में 8.50 लाख रुपए साफ कर दिए गए। इन रिटायर्ड हेड कांस्टेबल के पास एक अनजान कॉल आई थी। कॉलर ने खुद को सहारनपुर ट्रेजरी का एकाउटेंट बताकर उनसे पेंशन रुकने की बात कही। साइबर ठग ने रिटायर्ड हेड कांस्टेबल को कहा कि पेंशन बनाने के लिए वॉट्सऐप पर पासबुक की कॉपी या फिर पासबुक का सीआइएफ नंबर भेज दें। पहले तो रिटायर्ड हेड कांस्टेबल ने नंबर बताने से मना कर दिया। लेकिन जब कॉलर ने कहा कि एक बार वेरिफाई तो करना ही पड़ता है। विश्वास में आकर कॉलर को सीआइएफ नंबर बता दिया। कॉलर ने कहा कि आपके मोबाइल पर ओटीपी नंबर का मैसेज भी आएगा। वह भी बता देना, उसके बाद तीन माह की पेंशन आपके बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगा। उन्होंने कॉलर को ओटीपी नंबर भी बता दिया। उसके बाद उनके मोबाइल पर खाते से रुपए कटने के मैसेज आने शुरू हो गए।

केस नंबर 2 : दिल्‍ली की एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत 54 वर्षीय गार्ड के पास एक कॉल आता है। दूसरी ओर से कॉलर कहता है कि आपके पेंशन अकाउंट को होल्‍ड कर दिया गया है। मोबाइल पर एक ओटीपी आएगा, उसे शेयर कर दें। यह गार्ड भारतीय सेना से रिटायर्ड थे। उन्‍हें कॉलर पर शक होता है। इसलिए वे ओटीपी शेयर नहीं करते हैं। इस तरह उनकी पेंशन बच जाती है।

सेंट्रल पेंशन अकाउंटिंग ऑफिस यानी सीपीएओ ने अपनी वेबसाइट पर साफ शब्‍दों में कहा है कि साइबर जालसाज पेंशनभोगियों को उनके जीवन प्रमाण पत्र को ऑनलाइन अपडेट करने में मदद करने के बहाने कॉल कर रहे हैं और उन्हें धोखा देने के लिए इस नए तरीके का उपयोग कर रहे हैं। ये साइबर अपराधी पीड़ितों से उनके व्यक्तिगत विवरण जैसे पेंशन भुगतान आदेश संख्या, जन्म तिथि, बैंक विवरण, आधार नंबर आदि साझा करने के लिए कहते हैं और फिर सत्यापन के लिए वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) भेजने का दावा करते हैं और पेंशनभोगी से ओटीपी साझा करने का अनुरोध करते हैं। उनके साथ एक बार ओटीपी साझा करने के बाद, धोखेबाज को पीड़ित के पेंशन खाते तक पहुंच मिल जाती है और सभी उपलब्ध धनराशि को फर्जी खातों में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जिससे पीड़ितों के लिए अपना पैसा वापस पाना मुश्किल हो जाता है।

विश्‍वास न्‍यूज से बातचीत में साइबर एक्‍सपर्ट मोहित साहू साइबर ठगी के तरीकों के बारे में विस्‍तार से बताते हुए कहते हैं कि पेंशन धारकों से धोखाधड़ी में लोगों को कॉल या मेसेज किया जाता है कि आपका जीवन प्रमाण पत्र या केवाईसी करना होगा अन्यथा पेंशन नहीं मिलेगी। लोग झाँसे में आकर अपनी जानकारी साझा कर देते हैं। कई केस में आया है कि जालसाज लिंक भेजकर पेंशन धारकों को निशाना बनाते हैं। ऐसे लिंक का इस्‍तेमाल फ्राउडस्टर आइडेंटिटी थेफ़्ट या फाइनेंशिल फ्रॉड के लिए करते हैं। मोहित साहू साफ शब्‍दों में कहते हैं कि कभी भी ऐसे किसी भी लिंक को क्लिक ना करें। अपनी जानकारी को छुपा कर रखें। यदि फिर भी आपको साथ कोई धोखाधड़ी हो जाए तो 1930 पर रिपोर्ट करें।

राजस्‍थान के वरिष्‍ठ आईपीएस अधिकारी राजन दुष्‍यंत कहते हैं कि सिर्फ सावधानी रखकर ही साइबर ठगी से बचा जा सका है। कभी भी अपनी निजी जानकारी सार्वजनिक प्‍लेटफॉर्म या किसी के साथ शेयर न करें। इसमें जन्‍मतिथि, बैंक डिटेल्‍स, आधार नंबर, पैन नंबर आदि शामिल हैं।

2024 में लोकसभा में राष्ट्रीयकृत बैंकों (मुख्यतया एसबीआई) और अन्य निजी बैंकों के खाताधारकों के साथ पिछले पांच वर्षों में हुई साइबर धोखाधड़ी के कारण हुए नुकसान के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने बताया, “क्रेडिट कार्ड्, एटीएम/डेबिट कार्ड्स और इंटरनेट बैंकिंग की श्रेणी में फ्रॉड की वजह से पिछले पांच वित्तीय वर्ष में (एक लाख रुपये और उससे ऊपर की रकम) क्रमश: FY19-20 में 44.22 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 20-21 में 50.10 करोड़ रुपये, 2021-22 में 80.33 करोड़ रुपये, 2022-23 में 69.68 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 23-24 में 177.05 करोड़ रुपये रहा।”

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