आइए प्वाइंट में जानते हैं कि हिंदी दिवस के इतिहास और कुछ महान शख्स के हिंदी को लेकर कहे गए कथन।
नई दिल्ली। दुनिया की कोई भी भाषा केवल संचार का सशक्त माध्यम ही नहीं, बल्कि यह व्यक्ति की संस्कृति, सभ्यता और पहचान का मुख्य स्तंभ भी होती है। हिंदी भी एक ऐसी ही भाषा है। भारत समेत दुनिया के कई देशों में हिंदी बोलने वालों की संख्या करोड़ों में है। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 1975 में गृह मंत्रालय के अंतर्गत राजभाषा विभाग स्थापित किया है। हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसकी घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संसद में की थी।
आइए प्वाइंट में जानते हैं कि हिंदी दिवस के इतिहास और कुछ महान शख्स के हिंदी को लेकर कहे गए कथन।
1. 14 सितंबर 1949 के दिन हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। इसके साथ ही इसमें शब्दावली निर्माण, वर्तनी के मानकीकरण किए गए। सरकारी कार्यालयों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन की नीति अपनाई गई। संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा की बैठक में एक मत से निर्णय लिया कि भारत की राजभाषा हिंदी होगी।
2. अनुच्छेद 351. हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश– संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे, जिससे वह भारत की सामाजिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी में और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो, वहां उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे।
3. महात्मा गांधी ने मार्च 1918 में इंदौर में सम्पन्न हुए ‘हिंदी साहित्य सम्मेलन’ के अधिवेशन के सभापति के रूप में कहा था, ‘जैसे अंग्रेज अपनी मादरी जबान अंग्रेजी में ही बोलते और सर्वथा उसे ही व्यवहार में लाते हैं, वैसे ही मैं आपसे प्रार्थन करता हूं कि आप हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनने का गौरव प्रदान करें।’
4. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) में हिंदी नौ कामकाजी भाषाओं में से एक है।
5. केंद्र सरकार की राजभाषा वेबसाइट के मुताबिक, भारत और दूसरे देशों में 60 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं।
6. जून 1975 को भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत राजभाषा विभाग को एक स्वतंत्र विभाग के रूप में स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य राजभाषा संबंधी संवैधानिक और सांविधिक प्रावधानों के अनुपालन की निगरानी और समीक्षा करना तथा संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना था।
हिंदी के विकास में महात्मा गांधी से लेकर पंडित मदनमोहन मालवीय, जवाहर लाल नेहरू समेत गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर, महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे हजारों लोगों का योगदान प्रमुख रहा। नीचे पढ़ें तीन खास कोट्स।
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