Explainer: क्या है P5, जिसमें भारत की एंट्री का विरोध करता रहा है चीन!
यूएन चार्टर का आर्टिकल 27 इसके सभी सदस्यों के एक वोट के साथ पांच देशों चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका को विशेष वीटो मत का अधिकार देता है। इन्हें सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य का दर्जा हासिल है, जिसमें उनके पास "राइट टू वीटो" का अधिकार है।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Oct 1, 2024 at 06:39 PM
- Updated: Oct 4, 2024 at 01:08 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। दो अप्रैल को गुजरात के राजकोट के एक कार्यक्रम में जब विदेश मंत्री एस जयशंकर से यह सवाल पूछा गया कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता कब मिलेगी, तो इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “….जरूर मिलेगी…जरूर मिलेगी..पर कुछ भी जो बड़ी चीज होती है, बिना मेहनत के नहीं मिलती है। इस बार थोड़ा ज्यादा ही मेहनत करना होगा।”
न्यूज एजेंसी एएनआई की दो अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक, जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी को लेकर कहा था, “….यूएनएससी को लेकर डिबेट चल रहा है कि क्या भारत को यूएनएससी की सदस्यता मिलनी चाहिए या नहीं? तो उस वक्त पंडित नेहरू का सुझाव था कि हम सीट (UNSC की स्थायी सदस्यता) के हकदार हैं, लेकिन चीन को पहले यूएनएससी की सीट मिलनी चाहिए। तो आज हम इंडिया फर्स्ट के बारे में बात कर रहे हैं और एक वक्त ऐसा था, जब भारत के प्रधानमंत्री चीन फर्स्ट के बारे में बात कर रहे थे।”
सर्च में हमें द हिंदू की 28 नवंबर 2021 की रिपोर्ट मिली, जिसमें 27 सितंबर 1955 को लोकसभा में डॉ. जे एन पारेख की तरफ से पूछे गए सवाल (क्या भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अनौपचारिक रूप से दी गई सीट की पेशकश को ठुकरा दिया था?) पर जवाहरलाल नेहरू के आधिकारिक जवाब का जिक्र है।
नेहरू ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए इस बात का खंडन किया था कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए कोई औपचारिक और अनौपचारिक पेशकश की गई थी। नेहरू ने कहा, “औपचारिक या अनौपचारिक, ऐसी कोई पेशकश नहीं की गई थी।” नेहरू ने आगे कहा, “भारत की घोषित नीति संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता की योग्यता रखने वाले सभी देशों की सदस्यता का समर्थन करने की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधिमंडल को ऐसा करने की सलाह दी गई है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में चीन को उसका वाजिब स्थान दिए जाने का हमेशा समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौजूदा सत्र में इससे संबंधित प्रस्ताव का भारत ने समर्थन किया है।”
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का समर्थन किए जाने के बाद यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर चर्चा का दौर शुरू हो चुका है। स्टार्मर से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (देखें रिपोर्ट) और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन कर चुके हैं।
इसी सत्र में रूस ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करते हुए यूएनएससी में ग्लोबल साउथ को ज्यादा भागीदारी देने की मांग की थी।
इसके अलावा कई देश UNSC में भारत की दावेदारी का समर्थन कर चुके हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस की तरफ से भारत की दावेदारी का समर्थन किया जाना इस लिहाज से अहम है क्योंकि ये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में शामिल हैं और जिनके पास वीटो का अधिकार है, जिन्हें सामूहिक तौर पर ‘P5’ यानी (परमानेंट मेंबर्स) के नाम से जाना जाता है।
और इस P5 में चीन इकलौता ऐसा सदस्य है, जिसने UNSC में भारत की दावेदारी का कभी समर्थन नहीं किया है।
क्या है UNSC?
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के छह अहम अंग हैं:
1. जनरल असेंबली (महासभा), 2. सुरक्षा परिषद (एससी), 3. आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC), 4. ट्रस्टीशिप काउंसिल, 5. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) और 6. यूएन सेक्रेटेरिएट या संयुक्त राष्ट्र सचिवालय।
संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण अंग है, जिसके 193 सदस्य हैं। प्रत्येक वर्ष सितंबर महीने में न्यूयॉर्क में इसकी बैठक होती है। 2024 में इसकी 79वीं महासभा की बैठक संपन्न हुई।
इनमें से पांच प्रमुख संस्थाओं का मुख्यालय न्यूयॉर्क है, जबकि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) का मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र की मुख्य ईकाई है, जिसमें सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं और प्रत्येक सदस्य को एक वोट का अधिकार होता है। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, इसके कुल सदस्यों की संख्या 193 है और इसकी 79वीं बैठक का आयोजन 24 सितंबर से शुरू हुआ था, जिसका समापन 30 सितंबर को हुआ।
संयु्क्त राष्ट्र की दूसरी महत्वपूर्ण संस्था सुरक्षा परिषद है। इस परिषद की मुख्य जिम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने की है, जिससे इसकी अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
इस परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं, जिसमें पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य शामिल हैं और यहां भी प्रत्येक सदस्य को एक वोट का अधिकार होता है। इस परिषद का गठन वर्ष 1945 में यूनाइटेड नेशंस चार्टर के तहत हुआ था।
और यूएन चार्टर का आर्टिकल 27 इसके सभी सदस्यों के एक वोट के साथ पांच देशों चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका को विशेष वीटो मत का अधिकार देता है। इन्हें सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य का दर्जा हासिल है, जिसमें उनके पास “राइट टू वीटो” का अधिकार है।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रावधान के मुताबिक, अगर इन पांच देशों में कोई भी 15 सदस्यीय परिषद के किसी भी प्रस्ताव पर नेगेटिव वोट का इस्तेमाल करता है, तो वह प्रस्ताव पारित नहीं माना जाएगा। वहीं, इन पांचों सदस्य देशों में से कोई एक किसी प्रस्ताव से पूरी तरह से सहमत नहीं है और लेकिन अगर वह वीटो का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहता है, तो वह अनुपस्थित होने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है और इस तरह से वह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाएगा।
इन्हीं विशेष अधिकारों की वजह से सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता अहम हो जाती है और इन्हीं पांच स्थायी सदस्यों को P5 के नाम से जाना जाता है।
अस्थायी सदस्य और उनका कार्यकाल
सुरक्षा परिषद में P5 के अलावा दस अन्य अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका कार्यकाल दो वर्षों का होता है और भारत कुल आठ मौकों पर परिषद का अस्थायी सदस्य रह चुका है।
वहीं, मौजूदा 10 अस्थायी सदस्यों में अल्जीरिया, इक्वाडोर, गुयाना, जापान, माल्टा, मोजांबिक, रिपब्लिक ऑफ कोरिया (या दक्षिण कोरिया), सियरा लियोन, स्लोवेनिया और स्विट्जरलैंड शामिल हैं। बतौर अस्थायी सदस्य भारत का हालिया कार्यकाल 2021-22 के लिए था।
UNSC में भारत की दावेदारी
सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता की राह में सबसे बड़ी अड़चन चीन का विरोध है। चीन के अलावा चारों स्थायी सदस्य हाल में और पहले भी कई मौकों पर भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर चुके हैं।
गौरतलब है कि हालिया संपन्न संयुक्त राष्ट्र महासभा की 79वीं बैठक के दौरान सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर कई यूजर्स ने यह दावा किया था कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के साथ ही वीटो का अधिकार मिल गया है, जो हमारी जांच में गलत निकला। संबंधित फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
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