Explainer: डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़े, इस तरह की फोन कॉल आते ही 1930 पर करें शिकायत

डिजिटल हाउस अरेस्ट के मामले बढ़ रहे हैं। ठग यूजर को डरा-धमकाकर उनसे लाखों रुपये ठग लेते हैं। इस दौरान पीड़ित को कुछ घंटे या दिनों तक 'बंधक' बनाकर रखा जाता है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। ‘हैलो, मैं कोतवाली से इंस्पेक्टर विजय बोल रहा हूं। आपके बेटे का नाम क्या है। उसे हमने रेप के आरोप में पकड़ा है। अगर उसे छुड़ाना चाहते हैं तो इस अकाउंट में रुपये भेज दें।’

आजकल इस तरह की कॉल से लगभग सभी मोबाइल यूजर दो-चार हो चुके होंगे। अगर यूजर इस कॉल में फंस गए तो उनको वीडियो कॉल के जरिए निगरानी में रखा जाता है, जब तक वह रुपये ट्रांसफर नहीं कर देते। इसमें कॉलर खुद को कभी सीबीआई अधिकारी तो कभी पुलिस विभाग या कुरियर कंपनी से बताता है। कुछ इस तरह का फोन आने पर लोग डर के मारे लाखों रुपये ट्रांसफर कर देते हैं। इस तरह के मामलों को डिजिटल अरेस्ट कहते हैं।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

बैंक ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, ‘डिजिटल हाउस अरेस्ट’ एक साइबर स्कैम है, जिसमें ठग पुलिस, सीबीआई या कस्टम अधिकारी बनकर पीड़ित को उनके घरों में ही बंधक बना लेते हैं और उन्हें ठगों की लाइव डिजिटल निगरानी में रखा जाता है। ठग उन्हें डराते हैं कि उनके द्वारा कोई गंभीर अपराध हुआ है और वे मामले की जांच कर रहे हैं। इसके लिए जालसाज नकली पुलिस स्टेशन का सेटअप बनाते हैं और नकली कानूनी कार्रवाई या गिरफ्तारी वारंट से बचने के लिए पीड़ितों को पैसे ट्रांसफर करने के लिए धमकाने के लिए वीडियो कॉल का उपयोग करते हैं।

क्या है तरीका?

14 मई 2023 को गृह मंत्रालय द्वारा पीआईबी के जरिए प्रेस रिलीज जारी कर इस तरह से अपराध से सचेत रहने की सलाह दी गई है। इसके अनुसार, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर साइबर अपराधियों द्वारा पुलिस अधिकारी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के रूप में धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और ‘डिजिटल अरेस्ट’ के बारे में बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। ये धोखेबाज आम तौर पर यूजर को कॉल करते हैं और सूचित करते हैं कि पीड़ित ने पार्सल भेजा है या वह पार्सल उसका है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है।

कभी-कभी, वे यह भी सूचित करते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी या प्रिय व्यक्ति किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है। ‘मामले’ को निपटाने के लिए पैसे की मांग की जाती है। कुछ मामलों में पीड़ितों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ से गुजरना पड़ता है और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर धोखेबाजों की नि​गरानी में रहते हैं। धोखेबाज पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर स्टूडियो का उपयोग करके असली सेटअप तैयार कर लेते हैं।

केस स्टडी

16 मई 2024 को टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर में लिखा है, “बेंगलुरु में 73 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक ने ठगों से 3.8 करोड़ रुपये ठग लिए। पीड़ित के पास 5 मई को सुबह फोन आया। उस शख्स ने खुद को फेडएक्स लॉजिटिक्स का एग्जीक्यूटिव बताया और पीड़ित का आधार और मोबाइल नंबर शेयर किया। उसने दावा किया कि ताइवान से पीड़ित के नाम से एक पार्सल आया है, जिसमें पांच पासपोर्ट, एक लैपटॉप, कुछ कपड़े और 150 ग्राम एमडीएमए (ड्रग्स) हैं।”

“उसने कहा कि उनके खिलाफ अंधेरी वेस्ट साइबर पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है, वह कॉल को ‘पुलिस अधिकारी’ को ट्रांसफर कर रहा है। इसके बाद एक शख्स आया, जिसने खुद को अंधेरी साइबर क्राइम का डीसीपी राजेश प्रधान बताया। उसने पीड़ित से कहा कि अब वह जांच पूरी होने तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ हैं। उसने उनको धमकी दी कि अगर वह घर से बाहर गए तो उनको गिरफ्तार कर लिया जाएगा। ठग ने उनको कमरे में खूद को लॉक करने के लिए कहा।”

“बाद में ठग ने उनको वीडियो कॉल की, जिसमें पीड़ित को बैकग्राउंड में पुलिस स्टेशन जैसा दिखा। ठग ने उनसे यह भी कहा कि उनको उनके नाम पर एक बैंक अकाउंट मिला है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। उसने उनको मनी लॉन्ड्रिंग और नॉरकोटिक्स समेत कई मामलों में फंसाने की धमकी की। बाद में मामला सुलझाने के लिए उसने रुपये एक अन्य बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने को कहा। ठग ने यह भी वादा किया कि जांच पूरी होने के बाद वह रुपये वापस कर देगा। उसने कई बार में 3.8 करोड़ अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करा लिए। इसके बाद ठग ने कहा कि जांच के 30 मिनट बाद ये रुपये उनके अकाउंट में वापस आ जाएंगे और फोन को काट दिया गया।”

“डीसीपी (ईस्ट) कुलदीप कुमार जैन ने बताया था कि पीड़ित को 5 से 10 मई तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया था। शिकायत मिलने के बाद नौ लाख रुपये फ्रीज कर दिए गए थे। पुलिस विभाग में डिजिटल अरेस्ट या ऑनलाइन जांच का कोई प्रारूप नहीं है।”

यहां करें शिकायत

14 मई 2023 को पीआईबी की वेबसाइट पर जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, इस तरह के मामले सामने आने के बाद एक हजार से ज्यादा स्काइप आईडीज को ब्लॉक किया जा चुका है। इनके सिम काड्र्स भी ब्लॉक किए जा रहे हैं। इस तरह की कॉल आने पर तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर इसके बारे में सचित करें।

एक्सपर्ट की राय

साइबर एक्सपर्ट एवं दिल्ली व यूपी पुलिस के साथ जुड़े किसलय चौधरी का कहना है कि अगर सीबीआई या पुलिस अधिकारी या इस तरह की कोई भी डराने वाली कॉल आती है तो सबसे पहले उसका नंबर देख लीजिए। अक्सर ऐसी कॉल +92 या दूसरे देशों के नंबरों से आती हैं। कई मामलों में फोन वॉट्सऐप पर आया था। अगर कोई पुलिस अधिकारी या अन्य कोई सरकारी ​अधिकारी फोन करेगा तो वह सीयूजी नंबर से करेगा। वेबसाइट पर जाकर उसका नंबर चेक किया जा सकता है। किसी भी सरकारी विभाग में इस तरह से ऑनलाइन जांच की कोई प्रक्रिया नहीं होती है, अगर ऐसा कुछ होता है तो तुरंत 1930 पर कॉल करिए या अपने नजदीकी थाने में जाकर शिकायत किजिए।

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