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Explainer: मोबाइल पर ‘9’ या ‘0’ नंबर दबाने से हो जाएंगे ठगी का शिकार, सतर्क रहें

आजकल कभी ट्राई के नाम से या कभी साइबर क्राइम डिपार्टमेंट के नाम से ऑटोमेटेड कॉल आ रही हैं। इनमें यूजर को उसके डॉक्युमेंट्स के गलत उपयोग का हवाला देकर डराया जाता है और फिर उससे '0' या '9' नंबर दबाने को कहा जाता है। आइए, इस फ्रॉड के तरीके पर नजर डालते हैं।

trai india warned fraud through dialing 0 or 9 number

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। ‘साइबर अपराध विभाग की तरफ से महत्वपूर्ण सूचना है। आपके निजी क्रिडेंशियल का डार्क वेब पर लगातार उपयोग किया गया है, अगर आप रिपोर्ट नहीं करते हैं, तो हम आपके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। अगली जानकारी के लिए 9 दबाएं-‘

इस तरह की कॉल आने पर डरना लाजिमी है, लेकिन इसके बाद जो होता है, वह ज्यादा डरावना है। आजकल कभी ट्राई के नाम से या कभी साइबर क्राइम डिपार्टमेंट के नाम से इस तरह की ऑटोमेटेड कॉल आ रही हैं। इनमें यूजर को उसके डॉक्युमेंट्स के गलत उपयोग का हवाला देकर डराया जाता है और फिर उससे ‘0’ या ‘9’ नंबर दबाने को कहा जाता है। इसके बाद शुरू होता है ठगी का खेल। आइए देखते हैं क्या है साइबर अपराधियों का तरीका और इनसे कैसे बचा जाए।

केस स्टडी

20 सितंबर को नवभारत टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, “12 सितंबर को बेंगलुरु निवासी एक शख्स के पास फोन आया। कॉलर ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताते हुए कहा कि केवाईसी से जुड़े मामले के कारण उनका नंबर बंद किया जा रहा है। इस मामले में जांच चल रही है और उसने यूजर को ‘9’ नंबर दबाने को कहा। ‘9’ नंबर दबाते ही कॉल एक दूसरे शख्स के पास डायवर्ट हो गई। उसने खुद को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके आधार कार्ड का प्रयोग एक ऐसे बैंक अकाउंट के लिए हुआ है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। फिर उसने कॉल को तीसरे व्यक्ति के पास ट्रांसफर कर दिया।”

“तीसरे ठग ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर कहा कि पीड़ित के खिलाफ केस दर्ज हो गया है। जेल का डर दिखाने के बाद उसने उनसे कहा कि अब उनकी कोर्ट में पेशी होगी। कुछ देर बाद उनको वीडियो कॉल पर ज्वाइन कराया गया। इसमें पीड़ित को कोर्टरूम जैसा माहौल दिखाई दिया। थोड़ी देर बाद ‘कोर्ट’ में आदेश सुनाया गया कि पीड़ित अपने बैंक अकाउंट में जमा राशि को अन्य बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करे। उनके पैसे की जांच होगी। बाद में उसे वापस कर दिया जाएगा। इसके बाद पीड़ित ने करीब 59 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। फिर वह रातभर वीडियो कॉल पर रहे। जब दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो उन्होंने पहले वाले नंबर पर फोन मिलाया, जो बंद मिला।”

सौरव दास नाम के एक्स यूजर ने 24 अप्रैल को एक पोस्ट कर अपने साथ हुई फ्रॉड की कोशिश की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “आज सुबह मुझे एक कॉल आई। पूरी कॉल करीब 1 घंटे तक चली और मुझे पूरा यकीन था कि यह असली है।

स्कैमर्स ने शुरू में मुझे एक ऑटोमेटेड वॉयस कॉल (+91 8112-178017) के जरिए कॉल की और कहा कि यह TRAI से है। मुझसे कहा गया कि मेरा नंबर 2 घंटे में ब्लॉक हो जाएगा और ज्यादा जानकारी के लिए 9 दबाएं।

इसके बाद मेरी बात उससे हुई, जिसने टेलीकॉम डिवीजन से होने का नाटक किया। उसने मुझे बताया कि बॉम्बे अंधेरी ईस्ट में किसी ने मेरे आधार कार्ड के जरिए रजिस्टर किए गए एक नंबर के खिलाफ अवैध विज्ञापन और परेशान करने वाले टेक्स्ट के लिए शिकायत दर्ज कराई है। मुंबई पुलिस ने उन्हें ब्लॉकिंग रिक्वेस्ट भेजी है और इसलिए ट्राई को मालिक से जुड़े सभी नंबर ब्लॉक करने होंगे।

उसने मुझे FIR आदि का विवरण दिया और कहा कि वह कॉल को अंधेरी ईस्ट पुलिस स्टेशन को भेज रहा है। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं पुलिस से एक ‘स्पष्टीकरण पत्र’ भेजने के लिए कहूं कि यह मूल नंबर मेरा है और मैं ब्लॉक से बचने के लिए मामले से जुड़ा नहीं हूं।

इसके बाद मैं दूसरे व्यक्ति से जुड़ा, जिसने मुझे बताया कि वह मुंबई पुलिस में एसआई है। उसने कुछ विवरण लिए और कहा कि मेरा बयान दर्ज करना होगा, क्योंकि मैं बॉम्बे में शारीरिक रूप से मौजूद नहीं हो सकता।

फिर मुझे तीसरे व्यक्ति (+91 90324 07612) से एक वीडियो कॉल आया। वह पुलिस की वर्दी में था और अच्छी अंग्रेजी बोलता था। उसने अपने हेड कॉन्स्टेबल को अंग्रेजी में बुलाया और मेरे मामले की ‘जांच’ करने का आदेश दिया।

चौथा व्यक्ति (‘हेड कॉन्स्टेबल’) मेरा ‘बयान’ रिकॉर्ड कर रहा था और उसने मेरा आधार नंबर मांगा, जिसका मैंने गलत उल्लेख किया था। मैं देखना चाहता था कि वे इसके साथ क्या करते हैं। वह व्यक्ति वॉकी-टॉकी पर बात कर रहा था। मुझसे बोला गया कि मैं ’65 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग केस’ में शामिल था।

मुंबई पुलिस से आग्रह है कि वे इस पर ध्यान दें, क्योंकि घोटालेबाज उनका रूप धरकर ठगी कर रहे हैं।”

इन दोनों केस स्टडी से यह तो साफ हो गया कि यह भी ‘डिजिटल अरेस्ट’ का एक तरीका है।

ट्राई नहीं करता ऐसी कॉल

6 जून 2024 को ट्राई की तरफ से एक प्रेस नोट जारी कर कहा गया, “पता चला है कि ट्राई से होने का दावा करते हुए नागरिकों को धोखाधड़ी वाले वॉट्सऐप संदेश, एसएमएस और वॉयस कॉल किए जाते हैं। अपराधी जाली नोटिस का उपयोग कर रहे हैं, जो ट्राई के वरिष्ठ अधिकारियों के आधिकारिक संचार जैसा दिखता है। ये नोटिस यूजर के मोबाइल नंबर से जुड़ी अवैध गतिविधि का झूठा आरोप लगाते हैं और उन्हें किसी अधिकारी से संपर्क करने या सेवा समाप्ति का सामना करने के लिए दबाव डालते हैं। नागरिकों को यह भी धमकी दी जाती है कि अगर वे जवाब नहीं देते हैं तो उनके मोबाइल नंबर बंद कर दिए जाएंगे।”

“ट्राई संदेशों या आधिकारिक नोटिस के माध्यम से मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट करने के बारे में कोई कम्युनिकेशन शुरू नहीं करता है। ट्राई ने किसी भी तीसरे पक्ष की एजेंसी को ऐसे उद्देश्यों के लिए यूजर्स से संपर्क करने के लिए अधिकृत नहीं किया है। ट्राई से होने का दावा करने वाले और मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट करने की धमकी देने वाले किसी भी प्रकार के संचार (कॉल, संदेश या नोटिस) को संभावित धोखाधड़ी का प्रयास माना जाना चाहिए।”

फ्रॉड है यह

इस बारे में हमने लखनऊ साइबर क्राइम के एसपी राजेश कुमार यादव से संपर्क किया। उनका कहना है कि साइबर क्राइम विभाग इस तरह से कॉल नहीं करता है। यूजर को डराकर उनसे ‘9’ नंबर दबाने को कहा जाता है, जो कि एक फ्रॉड है। इससे बचना चाहिए।

यहां करें शिकायत

साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने कहा कि यह भी एक तरह का फ्रॉड है। ‘9’ नंबर दबाने से कॉल डायवर्ट हो जाती है। इस तरह की कॉल आने पर तुरंत 1930 पर कॉल करें या साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर कॉल करें। अपने नजदीकी पुलिस थाने या साइबर सेल में भी शिकायत की जा सकती है।

साइबर क्राइम के मामले बढ़े

पीआईबी की प्रेस रिलीज के मुताबिक, 2020 और 2021 के मुकाबले 2022 में साइबर क्राइम के मामले बढ़े हैं। एनसीआरबी के आंकड़ें बताते हैं कि 2020 व 2021 में जहां 50035 व 52974 साइबर क्राइम के केस दर्ज हुए थे, वहीं 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 65893 हो गई थी।

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