Explainer: ‘शंघाई 5’ से शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और भारत!
मौजूदा शंघाई सहयोग संगठन वास्तव में 'शंघाई 5' का विस्तार है, जिसका गठन 1996 में हुआ था और इसके सदस्य देश चीन, कजाकिस्तान , किर्गिस्तान, रूस और तजाकिस्तान थे। 2001 में उज्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद' शंघाई 5', बदलकर शंघाई सहयोग संगठन हो गया, जिसे हम संक्षिप्त में SCO के नाम से जानते हैं।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Oct 16, 2024 at 05:15 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिनों की पाकिस्तान यात्रा पर रहे, जहां उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लिया। हालांकि, उनकी इस यात्रा के एजेंडे में भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता शामिल नहीं थी, बल्कि यह पूरी तरह से SCO की बैठक तक सीमित था। जयशंकर ने एक्स पोस्ट के जरिए एससीओ की बैठक को भारतीय संदर्भ में सकारात्मक बैठक बताते हुए कहा कि भारत ने इस दौरान आठ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए और बातचीत में सकारात्मक और रचनात्मक योगदान दिया।
2023 में भारत ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की थी और उस वक्त इस संगठन के आठ सदस्य थे, जिसमें चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे और ऑब्जर्वर देशों की संख्या चार (अफगानिस्तान, बेलारूस,ईरान और मंगोलिया) थी। पूर्व में ऑब्जर्वर देश के रूप में मौजूद ईरान और बेलारूस के सदस्य के तौर पर शामिल होने के बाद 2024 में इसके सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 10 हो चुकी है।
2023 में आयोजित वर्चुअल सम्मेलन में ईरान, एससीओ का नौंवा सदस्य बना था और इसके बाद चार जुलाई 2024 को बेलारूस, एससीओ का दसवां सदस्य बना। फिलहाल इसके ऑब्जर्वर देशों की संख्या दो है, जिसमें अफगानिस्तान और मंगोलिया शामिल हैं, वहीं डॉयलॉग पार्टनर की संख्या 14 है, जिसकी संख्या 2023 में छह थी।
सदस्य देशों के लिहाज से इस संगठन को समझने की कोशिश करे तो यह यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और अंतराष्ट्रीय सुरक्षा व रक्षा संगठन है, जो भौगोलिक क्षेत्रफल और आबादी के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है।
इतिहास पर एक नजर
मौजूदा शंघाई सहयोग संगठन वास्तव में ‘शंघाई 5′ का विस्तार है, जिसका गठन 1996 में हुआ था और इसके सदस्य देश चीन, कजाकिस्तान , किर्गिस्तान, रूस और तजाकिस्तान थे। 2001 में उज्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद’ शंघाई 5′, बदलकर शंघाई सहयोग संगठन हो गया, जिसे हम संक्षिप्त में SCO के नाम से जानते हैं।
शुरुआत में इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सेंट्रल एशिया में आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ को रोकना था, जो अब व्यापक क्षेत्रीय और आर्थिक सहयोग मंच के रूप में तब्दील हो चुका है।
जून 2002 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग शिखर सम्मेलन में शंघाई सहयोग संगठन के चार्टर पर हस्ताक्षर किय गया और यह 19 सितंबर 2003 को अस्तित्व में आया, जो इस संगठन के उद्देश्यों और सिद्धांतों को दिशा देने वाला दस्तावेज है। 2017 में अस्ताना में हुई बैठक में भारत और पाकिस्तान इस संगठन के फुल मेंबर बने और 2023 में नई दिल्ली में हुई बैठक में ईरान को भी फुल मेंबर का दर्जा दिया गया, जो पूर्व में इस संगठन में ऑब्जर्वर स्टेट के तौर पर शामिल था।
SCO का आर्थिक वजन
2023 में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, एससीओ कुल वैश्विक आबादी के करीब 42% हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, जिसकी कुल वैश्विक जीडीपी में हिस्सेदारी 25% है। जी7 और जी20 के मुकाबले देखें तो वैश्विक जीडीपी में जहां जी-7 की हिस्सेदारी करीब 47% और जी-20 की हिस्सेदारी 82% है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, SCO के सदस्य देशों में सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में भारत है। IMF के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 और 2023 में जहां भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट क्रमश: 7 और 8.2 फीसदी रही, वहीं 2024 और 2025 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान क्रमश: 7 और 6.5 फीसदी है। वहीं, चीन की वृद्धि दर 2022 और 2023 में क्रमश: 3 और 5.2 फीसदी रही, जबकि 2024 और 2025 में चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 5.0 और 4.5 फीसदी है।
2022 और 2023 में पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.2% और -0.2% थी। वहीं, 2024 और 2025 के लिए पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान क्रमश: 2.0 और 3.5 फीसदी है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, इमर्जिंग मार्केट एंड डेवलपिंग इकोनॉमिज के अनुमान को संशोधित करते हुए उसमें इजाफा किया गया है, जिसमें एशिया से मुख्य तौर पर चीन और भारत शामिल हैं।
SCO का उद्देश्य
संगठन का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच राजनीतिक, व्यापार व अर्थव्यवस्था और पारस्परिक सांस्कृतिक समन्वय को सुनिश्चित करना है। साथ ही इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखना इस संगठन के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है।
कैसे काम करता है SCO?
हेड ऑफ स्टेट काउंसिल (HSC), SCO की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। एससीओ गतिविधि के संबंध में सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेने और निर्देश देने के लिए हर साल इसकी बैठक होती है। वहीं हेड्स ऑफ गवर्नमेंट काउंसिल (HGC) की भी बैठक साल में एक बार होती है, जिसमें बहुपक्षीय सहयोग रणनीति और संगठन के वार्षिक बजट को मंजूरी दी जाती है।
HSC और HGC के अलावा कई सदस्य देशों के संसद के स्पीकर, सुरक्षा परिषद के सचिवों, विदेश मंत्रियों, रक्षा मंत्रियों, आपदा राहत, अर्थव्यवस्था, परिवहन, संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा समेत अन्य मुद्दों पर बैठकों का आयोजन होता है।
SCO की दो स्थायी संस्था है, जिसमें से एक इसका सचिवालय है, जो बीजिंग में स्थित है, वहीं दूसरा रीजनल एंटी टेररिस्ट स्ट्रक्चर (RATS) है, जो ताशकंद में स्थित है। एससीओ के महासचिव और RATS के एग्जीक्यूटिव कमेटी डायरेक्टर की नियुक्ति तीन सालों के कार्यकाल के लिए HSC द्वारा की जाती है। आरएटीएस का उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ से निपटना है। वहीं, रूसी और चाइनीज, एससीओ की आधिकारिक भाषा है।
राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय व अर्थव्यवस्था और बिजनेस से संबंधित अन्य एक्सप्लेनर रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज के एक्सप्लेनर सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।
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