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Explainer: ‘ब्रिक’ से ‘BRICS’ तक का सफर, ग्लोबल GDP में मजबूत हिस्सेदारी वाले उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (जुलाई 24) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023, 2024 और 2025 में उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर विकसित अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर के मुकाबले मजबूत रहेगी, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने का काम करेगी और ब्रिक्स यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका इन्हीं तेज गति से उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। अब इस समूह के सदस्य देशों की संख्या ऑरिजिनल पांच से बढ़कर 10 हो चुकी है।

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Oct 22, 2024 at 06:34 PM
  • Updated: Oct 22, 2024 at 07:59 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। ब्रिक्स (BRICS) का 16वां सम्मेलन रूस के कजान में 22-24 अक्टूबर के बीच हो रहा है, जिसमें भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। इस समूह का 16वां सम्मेलन रूस में हो रहा है और रूस में ही यह संगठन अस्तित्व में आया था।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (जुलाई 24) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023, 2024 और 2025 में उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर विकसित अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर के मुकाबले मजबूत रहेगी, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने का काम करेगी और ब्रिक्स (BRICS) यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका इन्हीं तेज गति से उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है।

मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात नए सदस्य के रूप में शामिल होने के बाद पांच देशों की सदस्यता वाला यह समूह अब 10 देशों के समूह में तब्दील हो चुका है।

वित्त वर्ष 23,24 और 25 के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था, विकसित अर्थव्यवस्था और उभरती अर्थव्यवस्थाओं का वृद्धि अनुमान (Source-वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट/IMF)

BRIC का उद्भव 

वर्ष 2001 में गोल्डमैन सैक्स की ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च डिवीजन “बिल्ड, बेटर, ग्लोबल, इकोनॉमिक  BRICs” नाम की रिपोर्ट को प्रकाशित किया था, जिसमें यह कहा गया था कि ब्राजील, रूस, भारत और चीन आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा तय करेंगे।

इस रिपोर्ट के लेखक गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ नील थे, जो उस वक्त ग्लोबल इकोनॉमिक रिसर्च के हेड थे और उन्होंने यह अनुमान लगाया था कि आने वाले 10 वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में “BRIC” का वजन काफी व्यापक होगा और इसी आधार पर उन्होंने जी-7 में ब्रिक के प्रतिनिधित्व को एडजस्ट करने का सुझाव दिया था।

इस वक्त तक ब्रिक जी-7 समेत अन्य समूह जैसा कोई इंटरगवर्नमेंटल ऑर्गनाइजेशन नहीं था। जून 2021 में एक रिपोर्ट (Is the Emerging World Still Emerging, Two Decades on the BRICS promise lingers) में जिम ओ नील ने इन उभरती अर्थव्यवस्थाओं के उभरते विकास की समीक्षा की थी और कहा था कि 2010-20 के बीच ब्राजील और रूस की आर्थिक प्रगति “बेहद निराशाजनक” रही है और इस लिहाज से मुझे “BRICs” की जगह “ICs” टर्म का इस्तेमाल करना चाहिए था। हालांकि, ब्रिक्स देश यह मानते हैं कि उनके बीच की पारस्परिक संबंधों की जड़ें 2001 की गोल्डमैन सैक्स रिपोर्ट से पहले से मौजूद हैं।

BRIC से BRICS तक का सफर

जुलाई 2006 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में पहली बार ब्राजील, रूस, भारत और चीन के लीडर्स के बीच औपचारिक मुलाकात हुई और इसके बाद BRIC देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में ब्रिक पर मुहर लग गई। जून 2009 में रूस के येकातेरिनबर्ग में पहली बैठक के बाद ब्रिक (BRIC) अस्तित्व में आया।

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के पांच मूल सदस्य हैं, जिसमें दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद यह ब्रिक से ब्रिक्स बन गया। अब इस समूह में कुल 10 सदस्य शामिल हैं।

सितंबर 2010 में न्यूयॉर्क में BRIC विदेश मंत्रियों की बैठक में दक्षिण अफ्रीका को पूर्ण सदस्य के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद BRIC समूह का नाम बदलकर ब्रिक्स BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) कर दिया गया। इसके बाद, दक्षिण अफ्रीका ने तीसरे ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लिया, जिसका आयोजन चीन के सान्या में 14 अप्रैल 2011 को हुआ था।

BRICS का आर्थिक वजन

बतौर संगठन कुल वैश्विक आबादी में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) की हिस्सेदारी करीब 42 फीसदी और कुल वैश्विक क्षेत्रफल में 30%  हिस्सेदारी है। 2023 के ब्रिक्स सम्मेलन के साथ जारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल वैश्विक जीडीपी में ब्रिक्स की हिस्सेदारी 23% और कुल वैश्विक ट्रेड में इसकी हिस्सेदारी 18% है।

वैश्विक जीडीपी, व्यापार और वैश्विक जनसंख्या में यह हिस्सेदारी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की है, जो ब्रिक्स के पांच मूल सदस्य हैं और उपरोक्त आंकड़ें 2023 ब्रिक्स सम्मेलन के आधार पर हैं।

ब्रिक्स देशों में सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भारत है। आईएमएफ के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अनुमान के मुताबिक, 2022 और 2023 में भारत की वृद्धि दर क्रमश: 7 और 8.2% रही है, वहीं इस अवधि में चीन की वृद्धि दर क्रमश: 3 और 5.2 फीसदी रही है। 2022 और 2023 में दक्षिण अफ्रीका की जीडीपी वृद्धि दर 1.9 और 0.7 फीसदी जबकि ब्राजील की आर्थिक वृद्धि दर 3 और 2.9 फीसदी रही है।

ग्राफिक्स में ब्रिक्स के पांच मूल सदस्यों अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक वृद्धि दर के वास्तविक आंकड़ें और अनुमानित आंकड़ों को दिखाया गया है।

कैसे काम करता है ब्रिक्स?

जहां तक सांगठिन ढांचें की बात है, तो ब्रिक्स का कोई स्थायी सचिवालय या ऑफिस नहीं है। इसकी अध्यक्षता B.R.I.C.S के क्रम में सदस्य देशों के बीच स्थानातंरित होती रहती है। अध्यक्ष देश सम्मेलन का आयोजन करने के साथ ही सम्मेलन की प्राथमिकताओं और साल की अन्य गतिविधियों की योजना बनाता है।

न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB)

न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) को आम  बोलचाल की भाषा में ब्रिक्स बैंक के नाम से जाना जाता है, जिसकी स्थापना ब्रिक्स के सदस्य देशों ने की थी। एनडीबी को स्थापित करने का का विचार सबसे पहले नई दिल्ली में 2012 में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में आया था।

इसके बाद 15 जुलाई 2014 को फोर्टलेजा सम्मेलन में सदस्य देशों के बीच इस बैंक को स्थापित किए जाने के समझौते पर हस्ताक्षर हुआ और 21 जुलाई 2015 से इस बैंक ने काम करना शुरू कर दिया। बैंक का मुख्यालय शंघाई में है और इसके क्षेत्रीय कार्यालय दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में हैं। एम वी कामत इस बैंक के पहले प्रेसिडेंट (2015-20) थे।

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के पांच मूल सदस्य हैं और अब इस समूह के सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 10 हो चुकी है

स्टैंडर्ड एंड पूअर्स और फिच ने इस बैंक की रेटिंग को ‘AA+’ और  जापान क्रेडिट रेटिंग एजेंसी और एनालिटिकल रेटिंग एजेंसी ने इस बैंक को (ACRA) ‘AAA’ रेटिंग दी हुई है। 2021 ब्रिक्स सम्मेलन के आंकड़ों के मुताबिक,  एनडीबी ने 25.07 अरब डॉलर की लागत वाले 70  इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की फंडिंग की है, जिसमें भारत में 6.9 अरब डॉलर की लागत वाले 18 प्रोजेक्ट शामिल हैं।

राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय व अर्थव्यवस्था और बिजनेस से संबंधित अन्य एक्सप्लेनर रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज के एक्सप्लेनर सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।

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