Fact Check : संस्कृत पढ़ते छात्रों के वीडियो को गलत दावे के साथ किया जा रहा शेयर
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज ने अपने सिलेबस में संस्कृत को शामिल किया है, ताकि एकेडमी के छात्रों को अन्य धर्मों की जानकारी हो सके। एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज के प्रिंसिपल ने वायरल दावे का खंडन किया है।
- By: Pragya Shukla
- Published: Dec 9, 2023 at 04:49 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर संस्कृत श्लोक पढ़ते छात्रों का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि केरल में इस्लामिक संस्थान अपने छात्रों को मंदिरों का पुजारी बनाने के लिए संस्कृत पढ़ाना शुरू कर दिया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज ने अपने सिलेबस में संस्कृत को शामिल किया है, ताकि एकेडमी के छात्रों को अन्य धर्मों की जानकारी हो सके। एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज के प्रिंसिपल ने वायरल दावे का खंडन किया है।
क्या हो रहा है वायरल ?
फेसबुक यूजर ‘एस के कश्यप’ ने 7 दिसंबर 2023 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “केरल का शिक्षा मॉडल..केरल में मंदिर के पुजारी पद हासिल करने के लिए मुस्लिम शिक्षक मुसलमानों के एक वर्ग को संस्कृत सीखने के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं!”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
पड़ताल
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमन इनविड टूल की मदद से वीडियो के कई कीफ्रेम निकाले और उन्हें गूगल रिवर्स इमेज की मदद से सर्च करना शुरू किया। हमें वायरल वीडियो द फोर्थ नामक एक फेसबुक पेज और यूट्यूब पर मिला। वीडियो को 1 नवंबर 2022 को अपलोड किया गया था। मौजूद जानकारी के मुताबिक, “एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज ने अपने सिलेबस में संस्कृत को शामिल किया है। यहां करीब 8 सालों से इस्लामिक पीजी पढ़ाई के साथ-साथ धार्मिक अध्ययन की शिक्षा दी जा रही है। साथ ही एकेडमी में उच्च शिक्षा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक के पाठ्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं। पाठ्यक्रम पूरा करने वाले छात्र को ‘मलिकी’ डिग्री प्रदान की जाती है। हाल ही में एकेडमी के प्रिंसिपल ओनाम्बिली मोहम्मद फैजी ने सिलेबस में संस्कृत को शामिल करने की पहल की है।”
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने दावे से जुड़ी न्यूज रिपोर्ट सर्च करना शुरू किया। हमें एक रिपोर्ट नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट को 13 नवंबर 2022 को प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, “मलिक दीनार इस्लामिक कॉम्प्लेक्स (एमआईसी) संचालित एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज (एएसएएस) के प्राचार्य ओनाम्पिल्ली मुहम्मद फैजी ने कहा कि संस्कृत, उपनिषद, पुराण आदि पढ़ाने का उद्देश्य छात्रों में अन्य धर्मों के बारे में ज्ञान और जागरूकता पैदा करना है।”
अन्य न्यूज रिपोर्ट को यहां पर देखें।
एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, अन्य धर्मों और उनके रीति-रिवाजों को समझने और जानने के लिए एकेडमी में संस्कृत पढ़ाई जाती है।
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने एकेडमी के प्रिंसिपल ओनाम्पिल्ली मोहम्मद फैजी से संपर्क किया। उन्होंने वायरल दावे का खंडन करते हुए कहा, “हमारा संस्कृत को सिलेबस में जोड़ने का मकसद छात्रों को दूसरे धर्मों और इतिहास के बारे में बताना और सिखाना है। हम पुजारी बनने के लिए छात्रों को संस्कृत नहीं पढ़ा रहे हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर लोग हमारे एकेडमी के वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं। हमारे यहां पर जो संस्कृत पढ़ाते हैं। वह एक हिंदू समुदाय के शख्स हैं, उनका नाम रमेश हैं।”
अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। यूजर ने प्रोफाइल पर खुद को पटना का रहने वाला बताया हुआ है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज ने अपने सिलेबस में संस्कृत को शामिल किया है, ताकि एकेडमी के छात्रों को अन्य धर्मों की जानकारी हो सके। एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज के प्रिंसिपल ने वायरल दावे का खंडन किया है।
- Claim Review : .केरल में मंदिर के पुजारी पद हासिल करने के लिए मुस्लिम शिक्षक मुसलमानों के एक वर्ग को संस्कृत सीखने के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं।
- Claimed By : फेसबुक यूजर ‘एस के कश्यप’
- Fact Check : भ्रामक
पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...