Fact Check : कचरे में फेंकी गई इन थीसिस का नहीं है माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से कोई संबंध, फर्जी पोस्ट वायरल
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। यह तस्वीर माखन लाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से सम्बंधित नहीं है। यह तस्वीर 2016 में नाइजीरिया के नाम से वायरल हुई थी।
- By: Pallavi Mishra
- Published: Sep 21, 2023 at 02:36 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें कुछ किताबों को कचरे के डब्बे में पड़ा हुआ देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पीएचडी और एमफिल स्कॉलर्स द्वारा जमा की गई थीसिस और शोध निबंध हैं, जिन्हें यूनिवर्सिटी द्वारा ऐसे फेंका गया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। यह तस्वीर माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से सम्बंधित नहीं है। यह तस्वीर 2016 में नाइजीरिया के नाम से वायरल हुई थी।
क्या है वायरल पोस्ट में?
Damodar Singh Rajawat (दामोदर सिंह राजावत) नाम के फेसबुक यूजर (Archive) ने 20 सितम्बर को वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा “Final destination of our Ph.D thesis and MPhil dissertations. #mcubhopal” अनुवाद : हमारी पीएचडी थीसिस और एमफिल शोध प्रबंध का अंतिम गंतव्य। #mcubhopal
हालांकि 21 सितम्बर को 11 बजकर 49 मिनट पर यूजर ने कैप्शन में एक लाइन और जोड़ दी, जिसमें उन्होंने नाइजीरिया की यूनिवर्सिटी के बारे में लिखा “नाइजीरियाई विश्वविद्यालय ने अंतिम वर्ष के सैकड़ों छात्रों की थीसिस/प्रोजेक्ट को कूड़े में फेंक दिया – शिक्षा – नायरलैंड”
पड़ताल
वायरल पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें यह तस्वीर सबसे पहले नाइजीरिया की एक वेबसाइट पर 2016 में अपलोड मिली। यहां लिखी जानकारी के अनुसार, इस तस्वीर को डॉ. राफेल जेम्स ने शेयर किया था और नाइजीरिया की यूनिवर्सिटी से इसे सम्बंधित बताया था।
अब हमने डॉ राफेल जेम्स को सोशल मीडिया पर ढूंढ़ना शुरू किया। हमें इनका फेसबुक प्रोफ़ाइल मिला। यहां दी गयी जानकारी के अनुसार, डॉ राफेल जेम्स नाइजीरिया के अनुसंधान, सूचना प्रबंधन और मीडिया विकास केंद्र (CRIMMD) के महानिदेशक हैं। हमें इनके प्रोफ़ाइल पर यह तस्वीर दिसंबर 2016 में पोस्ट मिली। साथ में लिखा था “अनुवादित: विश्वविद्यालय में आपके अंतिम वर्ष में यह अनिवार्य है कि आप ‘अंतिम वर्ष का एक प्रोजेक्ट’ लिखें, जो शोध करने की आपकी क्षमता को दर्शाता हो। आपको परिकल्पना तैयार करनी होती है, संबंधित साहित्य की समीक्षा करनी होती है, कभी-कभी आप साक्षात्कार, सर्वेक्षण और अन्य शोध तकनीकें भी करते हैं, जिसमें वर्तमान और ऐतिहासिक जानकारी दोनों शामिल हो सकती हैं। आपके शोध कार्य के परिणाम का उपयोग आगे के शोध कार्यों के लिए या तो इसका समर्थन करने के लिए या इससे असहमत होने के लिए किया जा सकता है। आज अधिकांश विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र उचित शोध कार्य करने की भी जहमत नहीं उठाते, वे पुरानी परियोजनाओं की नकल करते हैं और लिखने वालों की पहचान बदल देते हैं। फ्रैंकलिन ओकेचुकु ओनवुबिको द्वारा पोस्ट की गई इस तस्वीर को देखें। एक विश्वविद्यालय, एक शैक्षणिक संस्थान के लिए अपने अंतिम वर्ष के छात्रों के परियोजना निष्कर्षों को फेंक देना, यह नाइजीरिया में शिक्षा का अंत है। अगर इसका उपयोग समाज के लाभ के लिए नहीं किया जाएगा तो स्कूल क्यों जाएं, शोध क्यों करें? मैं अपील कर रहा हूं कि कृपया कोई भी विश्वविद्यालय जो इस तरह की चीजों को फेंकना चाहता है, उसे CRIMMD लाइब्रेरी को दान कर दें, हमें इन्हें रखने में खुशी होगी।” हमने इस विषय में डॉ राफेल से संपर्क साधा है। उनका जवाब आते ही फैक्ट चेक को अपडेट किया जाएगा।
हालाँकि, इस पोस्ट में इस तस्वीर की जगह या समय की जानकारी नहीं थी। पोस्ट में फ्रैंकलिन ओकेचुकु ओनवुबिको को तस्वीर का क्रेडिट दिया गया है। हमने ढूंढा मगर ज्यादा जानकारी न होने के कारण उनके बारे में कोई जानकारी हाथ न लग सकी।
हमें इस मामले में कुछ खबरें भी मिलीं। इन ख़बरों में भी डॉ राफेल जेम्स की पोस्ट का ही हवाला दिया गया था। मगर तस्वीर के ऑरिजिन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
चूंकि, वायरल पोस्ट में माखनलाल यूनिवर्सिटी का ज़िक्र है, इसलिए हमने MCU के पीएचडी थीसिस के बारे में खोजना शुरू किया। हमने पाया कि इस यूनिवर्सिटी में जमा होने वाली थीसिस के कवर पर यूनिवर्सिटी का लोगो होता है। हालांकि, वायरल तस्वीर में दिख रही बुकलेट पर ऐसा कोई लोगो नहीं है। अंतर आप नीचे दिए गए कोलाज में देख सकते हैं।
इसके बाद हमने माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी के वीसी केजी सुरेश से संपर्क साधा। उन्होंने वायरल पोस्ट को नकारते हुए बताया, “यह पोस्ट बिलकुल फर्जी है और इसे यूनिवर्सिटी की छवि धूमिल करने के लिए वायरल किया गया है। यूनिवर्सिटी में थीसिस को डिस्पोज करने का संवैधानिक तरीका है, कभी भी शोध कार्य को इस तरह फेंका नहीं जाता है। हम अपने स्कॉलर्स के थीसिस को संभाल कर स्टेट और आर्ट कॉम्पैक्टर में सुरक्षित रखते हैं। मैंने इस विषय में एक फेसबुक पोस्ट भी जारी की है। इस मामले में साइबर सेल में मामला भी दर्ज करवाया जाएगा।” वीसी के जी सुरेश ने हमारे साथ अपनी यूनिवर्सिटी में थीसिस के लिए बनी कॉम्पैक्टर शेल्फ की तस्वीरें भी शेयर कीं।
विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में यह बात साफ हुई कि वायरल तस्वीर पुरानी है और इसका माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से कोई संबंध नहीं। मगर विश्वास न्यूज़ स्वतंत्र रूप से इस तस्वीर के सोर्स और समय की पुष्टि नहीं करता।
वायरल पोस्ट को दामोदर सिंह राजावत नाम के यूजर ने शेयर किया था। यूजर प्रोफ़ाइल के अनुसार, वे पेशे से पत्रकार हैं और मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। उनके फेसबुक पर लगभग 5000 फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। यह तस्वीर माखन लाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से सम्बंधित नहीं है। यह तस्वीर 2016 में नाइजीरिया के नाम से वायरल हुई थी।
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- Claimed By : FB User Damodar Singh Rajawat
- Fact Check : झूठ
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