भारतीय संविधान में आर्टिकल-30ए नहीं है, जबकि अनुच्छेद 30 देश में भाषाई या धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों को शिक्षा संस्थानों को स्थापित और उनके प्रशासन का अधिकार देता है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-30ए को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि अनुच्छेद 30 मदरसों में कुरान पढ़ाने का अधिकार देता है जबकि अनुच्छेद 30ए स्कूलों में गीता पढ़ाने से रोकता है। इस पोस्ट को शेयर कर यूजर्स सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा फेक है। भारतीय संविधान में अनुच्छेद-30ए नहीं है। अनुच्छेद-30 अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित और संचालित शिक्षा संस्थानों को लेकर दिए गए अधिकारों को लेकर है। इससे पहले भी इस तरह का दावा वायरल हो चुका है, जिसकी पड़ताल विश्वास न्यूज ने की थी।
फेसबुक यूजर Giri baba (आर्काइव पोस्ट) ने 20 दिसंबर को पोस्ट किया,
अनुच्छेद 30 मे ,मदरसो मे कुरान पढाओ
अनुच्छेद 30A मे, विद्यालय मे गीता मत पढाओ
ये है हिन्दुस्तान में हिन्दुओ की स्वतंत्रता
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले कीवर्ड से गूगल पर इस बारे में ओपन सर्च किया। 1 जून 2020 को जागरण जोश में आर्टिकल 30 को लेकर एक रिपोर्ट छपी है। इसके अनुसार, भारतीय संविधान में अनुच्छेद 12 से लेकर 35 तक में मौलिक अधिकारों का प्रावधान है। अनुच्छेद-30 देश में अल्पसंख्यकों (धार्मिक या भाषाई) को कई अधिकार देता है। भारतीय संविधान में 30ए नाम का कोई आर्टिकल नहीं है। आर्टिकल 30 देश में धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यकों को दिए गए अधिकारों के बारे में है। यह अनुच्छेद अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और उसके प्रशासन का अधिकार देता है। इसके तीन सब-सेक्शंस हैं।
(1). देश में सभी अल्पसंख्यकों (धार्मिक या भाषाई) को खुद की पसंद के शैक्षिक संस्थानों को स्थापित करना और उन्हें चलाने का अधिकार देता है।
(1A). किसी भी अल्पसंख्यक द्वारा बनाए गए और चलाए जा रहे शैक्षणिक संस्थान की किसी प्रॉपर्टी के अनिवार्य अधिग्रहण के लिए कोई कानून बनाया जाता है, तो राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि इस तरह का कानून, अल्पसंख्यकों के अधिकारों को ना तो हनन करेगा और ना ही उनको निरस्त करेगा।
(2). अल्पसंख्यक द्वारा शासित किसी भी शैक्षिक संस्थान को आर्थिक सहायता देने के मामले में राज्य सरकार कोई भी भेदभाव नहीं करेगी।
अल्पसंख्यकों को अनुच्छेद-30 यह अधिकार देता है कि वे अपनी ही भाषा में अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान करा सकते हैं। मतलब मुसलमान चाहें तो अपने बच्चों को उर्दू और ईसाई चाहें तो अंग्रेजी माध्यम से पढ़ा सकते हैं।
लेजिस्लेटिव डॉट जीओवी डॉट इन पर भारतीय संविधान की कॉपी अपलोड है। इसके मुताबिक,
अनुच्छेद 30: शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार- (1) धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक-वर्गों को अपनी पसंद की शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।
(1क) खंड (1) में निर्दिष्ट अल्पसंख्यक वर्ग द्वारा स्थापित और प्रशासित संस्था के अनिवार्य अधिग्रहण के लिए कानून बनाते समय राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी संपत्ति के अधिग्रहण के लिए कानून द्वारा नियत या उसके अधीन अवधारित रकम इतनी हो कि उस खंड के अंतर्गत आने वाले अधिकार प्रभावित न हों।
(2) शैक्षित संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्था के विरुद्ध इस आधार पर भेदभाव नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक-वर्ग के प्रबंध में है।
वहीं, अनुच्छेद 28 शिक्षा संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने को लेकर है। इसके खंड 1 में दिया गया है कि राज्य-निधि से चल रहे किसी भी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी। वहीं, (2) में दिया गया है कि खंड 1 की कोई भी बात किसी ऐसे किसी भी शिक्षा संस्था को लागू नहीं होगी, जिसका प्रशासन राज्य करता है, लेकिन वह ऐसे ट्रस्ट के अधीन स्थापित हुई है, जिसके अनुसार उस संस्था में धार्मिक शिक्षा देना अनिवार्य है।
इस बारे में हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रही वकील अशनिका शर्मा से बात की। उनका कहना है, ‘अनुच्छेद 30 देश में भाषाई या धर्म पर आधारित सभी अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और उनके प्रशासन का अधिकार देता है। वहीं, अनुच्छेद 30(1) अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षिक संस्थानों को स्थापित और संचालित करने, जबकि खंड 1(A) अल्पसंख्यक द्वारा स्थापित और प्रशासित किसी शिक्षा संस्थान की भूमि अधिग्रहण को लेकर है। खंड (2) अल्पसंख्यकों द्वारा शासित शैक्षणिक संस्थान को आर्थिक सहायता देने में राज्य सरकार को भेदभाव नहीं करने को कहता है।‘
फेक पोस्ट करने वाले फेसबुक पेज ‘गिरि बाबा‘ को हमने स्कैन किया। 19 जुलाई 2022 को बने इस पेज को 582 यूजर्स फॉलो करते हैं। यह पेज एक विचारधारा से प्रेरित है।
निष्कर्ष: भारतीय संविधान में आर्टिकल-30ए नहीं है, जबकि अनुच्छेद 30 देश में भाषाई या धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों को शिक्षा संस्थानों को स्थापित और उनके प्रशासन का अधिकार देता है।
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