आरबीआई की तरफ से विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची जारी किए जाने के बाद पतंजलि समूह के डिफॉल्टर होने के दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट फर्जी है, जिसका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से डिफॉल्टर्स की सूची जारी किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया गया है कि स्वामी रामदेव ने सरकार से 2212 करोड़ रुपये का कर्ज ‘माफ’ करा लिए।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह पोस्ट फर्जी निकला। वायरल पोस्ट में आरबीआई की डिफॉल्ट सूची में जिस कंपनी (रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड) के नाम के आधार पर यह दुष्प्रचार किया जा रहा है, उसका पतंजलि समूह द्वारा अधिग्रहण किया जा चुका है और इस कंपनी के पूर्व प्रवर्तकों का नाम अभी भी विलफुल डिफॉल्टर्स के तौर मौजूद है, क्योंकि उन्हें RSIL के पुराने प्रमोटर्स के तौर पर वर्गीकृत किया गया है। पतंजलि समूह का RSIL के पूर्व प्रवर्तकों से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें कंपनी के पुराने प्रवर्तक होने की वजह से विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची में शामिल किया गया है।
फेसबुक यूजर ‘Vikesh Kumar’ ने वायरल पोस्ट को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”देशभक्त नही डिफाल्टर है रामदेव ,स्वदेशी के नाम पर बाबा रामदेव ने लोगों को कैसे वेबकूफ बनाया और सरकार से 2212cr माफ़ करा लिए , बाबा नही लुटेरे हैं ये।”
सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस पोस्ट को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। कांग्रेस नेता पंकज पूनिया ने भी इसे लेकर अपने वेरिफाइड हैंडल से ट्वीट (आर्काइव लिंक) किया है।
होक्सी टूल की मदद से हमने इस ट्वीट के प्रसार को चेक किया। नीचे दिए गए ग्राफ में देखा जा सकता है कि ट्विटर पर कितनी ज्यादा संख्या में में लोगों ने इसे शेयर किया है।
सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने 24 अप्रैल 2020 को देश के 50 विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची मुहैया कराई थी, जिनके ऊपर 68,607 करोड़ रुपये का कर्ज है। आरबीआई की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, बैंकों ने इस कर्ज को बट्टा खाते में डाल दिया है। इस सूची में रुचि सोया इंडस्ट्रीज का भी नाम है, जिसके 2,212 करोड़ रुपये के कर्ज को बैंकों ने बट्टा खाते में डाला है।
बिजनेस स्टैंडर्ड में 13 मार्च 2019 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, इंदौर की इस कंपनी ने दिसंबर 2017 में दीवालिया होने की अर्जी दी थी। कंपनी के ऊपर 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज था और कंपनी की बिक्री 2014-15 के 31,500 करोड़ रुपये के मुकाबले 2017-18 में कम होकर 12,000 करोड़ रुपये हो गई।
2017-18 की कंपनी की सालाना रिपोर्ट से इसकी पुष्टि होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुंबई शाखा में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और डीबीएस बैंक की तरफ से दायर की गई अर्जी के आधार पर 15 दिसंबर 2017 को कंपनी के दीवालिया प्रक्रिया की शुरुआत हुई।’
रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के दीवालिया होने की अर्जी दिए जाने के बाद करीब दर्जन भर कंपनियों ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई, जिसमें पतंजलि भी शामिल थी।
इस पूरी प्रक्रिया में टाइमलाइन को ध्यान से देखा जाना जरूरी है। आरबीआई ने देश के जिन 50 डिफॉल्टर्स की सूची जारी की है, वह 30 सितंबर 2019 तक का डेटा है और इस समय तक रुचि सोया इंडस्ट्रीज (RSIL) पतंजलि समूह का हिस्सा नहीं थी।
संपर्क किए जाने पर पतंजलि समूह के प्रवक्ता एस के तिजारावाल ने कहा कि कंपनी की तरफ से इस पूरे मामले में बयान जारी किया जा चुका है। कंपनी की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, ‘सितंबर 2019 तक RSIL पतंजलित समूह का हिस्सा नहीं थी और कंपनी के ऊपर किसी भी कर्ज से पतंजलि समूह का कोई लेना-देना नहीं था। RSIL का नाम और इसके पूर्व प्रवर्तकों का नाम क्रेडिट ब्यूरो (CIBIL) की लिस्ट में विलफुल डिफॉल्टर्स के तौर पर आता है, क्योंकि उन्हें RSIL के पुराने प्रमोटर्स के तौर पर वर्गीकृत किया गया है। पतंजलि समूह ने कंपनी के सभी पूर्व की कर्ज देने वाली संस्थाओं से अधिग्रहण के समय अनापत्ति प्रमाण पत्र ले लिया था। पतंजलि समूह का RSIL के पूर्व प्रवर्तकों से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें कंपनी के पुराने प्रवर्तक होने की वजह से विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची में शामिल किया गया है।’
18 दिसंबर 2019 को रुचि सोया इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण पूरा हुआ और यह तय मानकों के मुताबिक, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मंजूरी से हुआ। 18 दिसंबर 2019 को ‘लाइव मिंट’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘स्वामी रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने बुधवार को दीवालिया प्रक्रिया के तहत रुचि सोया का अधिग्रहण किए जाने की घोषणा की। पतंजलि आयुर्वेद का यह पहला और बड़ा अधिग्रहण है। पतंजलि ने इसके लिए कंपनी के ऊपर 4,350 करोड़ रुपये की बकाया राशि (कर्जदारों को) का भुगतान किया।’
इस रिपोर्ट में पतंजलि समूह के प्रवक्ता एस के तिजारावाला का भी बयान है। उन्होंने कहा, ‘हमने सभी औपचारिकताओं को पूरा कर लिया है और कर्ज एवं इक्विटी की पूरी रकम को जमा कराया जा चुका है। अब रुचि सोया आधिकारिक रूप से पतंजलि समूह की कंपनी है।’
स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी और कंपनी के नए प्रोमोटर्स की सूची को देखा जा सकता है।
वायरल पोस्ट में बैंकों की तरफ से 50 शीर्ष विलफुल डिफॉल्टर्स के करीब 68,000 करोड़ रुपये की राशि को बट्टा खाते में डाले जाने की प्रक्रिया को कर्ज माफी के तौर पर बताया गया है, जो गलत है।
हालिया प्रकाशित न्यूज रिपोर्ट में आरबीआई के प्रवक्ता ने इसे स्पष्ट किया है। उनके मुताबिक, जब कर्ज को बट्टा खाते में डाले जाने का मतलब यह नहीं होता है कि कर्ज को माफ कर दिया गया या उसकी वसूली बंद कर दी गई। कर्ज के ऐसे कई मामले हैं जिनकी वसूली में लंबा समय लगता है, इस वजह से उन्हें अलग खाते में रख दिया जाता है, ताकि मुनाफे पर इस राशि का बोझ नहीं आए और जैसे ही बैंक कर्ज की वसूली कर लेते हैं, वो उनके मुनाफे पर दिखाई देने लगता है।
वायरल पोस्ट शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को अलीगढ़ का रहने वाला बताया है। इस प्रोफाइल को करीब 250 से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: आरबीआई की तरफ से विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची जारी किए जाने के बाद पतंजलि समूह के डिफॉल्टर होने के दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट फर्जी है, जिसका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है।
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