विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीरें असली नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के जरिये बनाई गयीं हैं।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक जातीय संघर्ष में पिछले एक साल में सैकड़ों लोगों की जान चली गई। न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए मैतेई और कुकी दोनों समुदायों के साथ बातचीत जारी है। इस बीच सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरों से बनी एक रील वायरल हो रही है जिसमें सड़क पर बड़ी भीड़ नजर आ रही है। भीड़ के बीच एक बड़ा सा “Manipur Wants Peace” लिखा बैनर भी देखा जा सकता है। पोस्ट में इन तस्वीरों को मणिपुर में हुए विरोध प्रदर्शन का बताया गया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल इमेज असली नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई से बनी है।
फेसबुक यूजर Anti Bhakts ने वायरल पोस्ट को 15 सितम्बर को शेयर करते हुए लिखा, ”इतना बड़ा रैली हुआ मणिपुर में, कोई गोदी पत्रकार दिखाया आपको??”
पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।
अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने वायरल फोटो को गौर से देखा। तस्वीर में हमें बहुत-सी कमियां नजर आयीं। फोटो में किसी भी व्यक्ति का आकर पूरा नहीं है और भीड़ में धुंधलापन हैं। तस्वीरों में पीछे बनी बिल्डिंगों का ढांचा भी टेढ़ा-मेढ़ा है। इस फोटो में नजर आ रही कमियों को देखने पर हमें फोटो के एआई से क्रिएटेड होने का अंदेशा हुआ।
ढूंढ़ने पर हमें यह रील असमिया डिजिटल क्रिएटर, मानब ज्योति गोगोई द्वारा 1 फरवरी, 2024 को इंस्टाग्राम पर अपलोड मिली। यूजर ने इसे AI जनरेटेड बताया था।
पुष्टि के लिए हमने वायरल फोटो को एआई जेनरेटेड तस्वीर की जांच करने वाले टूल हाइव मॉडरेशन पर अपलोड किया। इसमें फोटो के एआई से बने होने की संभावना 99.3 प्रतिशत निकली। दूसरी तस्वीर के एआई से बने होने की संभावना 92 प्रतिशत निकली।
एक दूसरे एआई जेनरेटेड तस्वीर की जांच करने वाले टूल हगिंग फेस ने इसे 100 प्रतिशत एआई निर्मित बताया।
हमने फोटो को लेकर एआई एक्सपर्ट अंश महरा के साथ संपर्क किया। उन्होंने बताया, यह फोटो एआई निर्मित है, इसमें साफ तौर पर बहुत-सी कमियां नजर आ रही है।
मणिपुर हिंसा को लेकर विश्वास न्यूज़ ने पहले भी कई फैक्ट चेक किये हैं, उन्हें यहाँ पढ़ा जा सकता है।
अब बारी थी तस्वीरों को शेयर करने वाले पेज को स्कैन करने की। हमने पाया कि पेज को 35 हजार लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीरें असली नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के जरिये बनाई गयीं हैं।
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