Fact Check: एआई जेनरेटेड तस्वीर को गणेश उत्सव पर हुई पत्थरबाजी की घटना से जोड़कर किया जा रहा वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि पथराव के नाम से वायरल एक विशेष समुदाय की तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। असल में वायरल तस्वीर एआई की मदद से बनाई गई है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। तस्वीर में विशेष समुदाय के लोगों को पत्थरों को इकट्ठा करते हुए देखा जा सकता है। वायरल तस्वीर को गणेश उत्सव के दौरान हुए पथराव से जोड़कर शेयर किया जा रहा है। 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। असल में वायरल तस्वीर किसी असली घटना की नहीं, बल्कि एआई की मदद से बनाई गई है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर अंजली चौहान  ने 15 सितंबर 2024 को वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “गणपति महोत्सव के दौरान कहां-कहां हुआ हमला! सूरत, गुजरात – मुसलमानों का हमला कच्छ, गुजरात – मुसलमानों का हमला..मांड्या, कर्नाटक – मुसलमानों का हमला…औरंगाबाद, बिहार – मुसलमानों का हमला…महोबा, उत्तर प्रदेश – मुसलमानों का हमला…भीलवाड़ा, राजस्थान – मुसलमानों का हमला…गंगा-जमुनी तहजीब का पालन क्या केवल हिन्दू करेगा.?..क्या भाइचारा सिर्फ हिन्दूओं को ही निभाना होगा.??..क्योंकि मुसलमान तो हिंदुओं को चारा बनाने में लगे हैं।..और क्या अब तक किसी मौलाना-मौलवी ने इन हमलों के खिलाफ बोला।”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने फोटो को एआई टूल्स की मदद से सर्च किया। हमने हाइव मॉडरेशन टूल की मदद से फोटो को सर्च किया। टूल के अनुसार, वायरल तस्वीर 99 फीसदी तक एआई जनरेडेट है। 

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने हगिंग फेस टूल की मदद से भी फोटो को सर्च किया। इस टूल ने भी तस्वीर को 97 फीसदी तक एआई की मदद से बनाया गया बताया। 

गुजरातसूरत और कच्छ

जनसत्ता की 9 सितंबर और गुजरात समाचार की 11 सितंबर की रिपोर्ट के मुताबिक, सूरत और कच्छ के गणेश पंडाल पर कथित पथराव को लेकर वहां काफी बवाल हुआ था। 

मांड्या, कर्नाटक और औरंगाबाद बिहार

एपीबी न्यूज की 12 सितंबर 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक में भी कथित पथराव का ऐसा ही ममला देखने को मिला था। नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर 15 सितंबर 2024 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, औरंगाबाद में गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान बवाल देखने को मिला था।

उत्तर प्रदेश और राजस्थान 

आजतक की 15 सितंबर 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में भी कथित पथराव का मामला सामने आया था। दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर 17 सितंबर 2024 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में भी ऐसे मामले सामने आए थे।

अधिक जानकारी के लिए हमने एआई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे एआई एक्सपर्ट अंश मेहरा से संपर्क किया। उन्होंने तस्वीर को एआई जेनरेटेड बताया है।

अंत में हमने फोटो को गलत दावे के साथ वायरल करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर एक विचारधारा से जुड़ी पोस्ट को शेयर करता है। यूजर को करीब पांच हजार लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि पथराव के नाम से वायरल एक विशेष समुदाय की तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। असल में वायरल तस्वीर एआई की मदद से बनाई गई है।

False
Symbols that define nature of fake news
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