Fact Check : गैर मुसलमानों को नौकरी देने पर प्रतिबंध नहीं है इस कंपनी में, वायरल दावा फ़र्ज़ी है
विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट की पड़ताल में पाया कि यह दावा फ़र्ज़ी है। हमदर्द कंपनी में किसी विशेष धर्म के लोगों को नहीं, बल्कि सभी मज़हब के लोगों को नौकरी दी जाती है।
- By: Umam Noor
- Published: Mar 18, 2021 at 05:04 PM
- Updated: Mar 18, 2021 at 05:10 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर रूह अफ़ज़ा की बोतल की तस्वीर को शेयर करते हुए हमदर्द कंपनी से जुड़ा एक दावा वायरल किया जा रहा है। इसके मुताबिक, हमदर्द कंपनी में गैर-मुसलामनों को नौकरी देने पर प्रतिबंध है और वहां किसी दूसरे धर्म के शख्स को नौकरी नहीं दी जाती है।
विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट की पड़ताल में पाया कि यह दावा फ़र्ज़ी है। हमदर्द कंपनी में किसी विशेष धर्म के लोगों को नहीं, बल्कि सभी मज़हब के लोगों को नौकरी दी जाती है और वहां सभी धर्मों के लोग काम करते हैं।
क्या है वायरल पोस्ट में ?
फेसबुक यूजर ‘जागो हिंदुस्तानी’ ने 15 मार्च को एक पोस्ट शेयर की, जिसमें शर्बत की दो बोतलें बनीं हैं और नीचे लिखा है, ‘रोटी पर थूक लगाने वाला वीडियो तो आप सबने देख ही लिया होगा, अब गर्मिया आगयीं हैं इसलिए रूहअफजा सोच समझ कर लेना। हमदर्द कंपनी में गैर मुसलमानो को नौकरी देने पर भी प्रतिबन्ध है।”
पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखें।
पड़ताल
अपनी पड़ताल को शुरू करने के लिए हमने सबसे पहले गूगल न्यूज़ सर्च किया और सच जानना चाहा। न्यूज़ सर्च में हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली। हमदर्द एक बड़ी और जानी-मानी कंपनी है और अगर वायरल दवा सच होता तो इससे जुडी कोई न कोई खबर न्यूज़ में ज़रूर मौजूद होती।
हमदर्द की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी हमें इस वायरल दावे को सही साबित करता हुआ कोई आर्टिकल नहीं मिला। वेबसाइट को खंगालने पर हमें मैनेजमेंट के मूल कर्मचारियों की नौ लोगों की लिस्ट में चार गैर-मुसलमान लोगों के नाम दिखे, जिससे यह साबित होता है कि वायरल दावा बेबुनियाद है।
पोस्ट से जुडी पुष्टि के लिए विश्वास न्यूज़ ने हमदर्द के ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट के डिप्टी मैनेजर फारूक शेख से संपर्क किया और उन्हें वायरल पोस्ट से जुडी जानकारी दी। उन्होंने हमें बताया कि ये पोस्ट बहुत सालों से फैलाई जा रही है, यह पूरी तरफ झूठ और बेबुनियाद है। उन्होंने विश्वास न्यूज़ को हमदर्द के कुछ सीनियर्स अफसरों के भी नाम बताए, जो कि गैर-मुस्लिम हैं।
1906 में अविभाजित भारत की राजधानी दिल्ली में हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने हमदर्द दवखाना की नींव रखी। ऐतिहासिक पुरानी दिल्ली की गलियों में से एक छोटे-से यूनानी क्लिनिक के रूप में शुरू हुआ था।
फ़र्ज़ी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक पेज ‘जागो हिंदुस्तानी’ की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया इस पेज से एक विशेष विचारधारा से प्रेरित पोस्ट शेयर की जाती हैं। वहीँ, इस पेज को 94,372 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट की पड़ताल में पाया कि यह दावा फ़र्ज़ी है। हमदर्द कंपनी में किसी विशेष धर्म के लोगों को नहीं, बल्कि सभी मज़हब के लोगों को नौकरी दी जाती है।
- Claim Review : हमदर्द कंपनी में गैर-मुसलामनों को नौकरी देने पर प्रतिबंध है
- Claimed By : Jago Hindustani
- Fact Check : झूठ
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