Fact Check: खैबर पख्तूनख्वा मामले के बाद, ‘मंदिर बनाओ’ कैंपेन के नाम से वायरल की जा रही तस्वीर पुरानी है
विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि खैबर पख्तूनख्वा में हुई मंदिर घटना के बाद पाकिस्तान में ‘मंदिर बनाओ’ नाम का कोई आंदोलन नहीं चल रहा है। हालांकि, लोगों ने मंदिर को दोबारा बनाने की मांग की है और अपडेट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते के अंदर मंदिर को दोबारा बनाने का हुक्म भी दिया है। हालांकि, जिस तस्वीर को वायरल किया जा रहा है, वह जुलाई 2020 की है, जिससे साबित होता है कि तस्वीर पुरानी है और वायरल दावा फ़र्ज़ी है।
- By: Umam Noor
- Published: Jan 5, 2021 at 06:00 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की जा रही है, जिसमें कुछ लोगों को एक ग्राउंड में अलग-अलग बैनर पकडे प्रोटेस्ट करते हुए देखा जा सकता है। इसमें एक बड़ा बैनर नज़र आ रहा है, जिस पर लिखा है- ‘मंदिर बनाओ’। अब इसी तस्वीर को शेयर करते हुए यूजर दावा कर रहे हैं की पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मंदिर में हुई तोड़फोड़ मामले के बाद पाकिस्तान में ‘मंदिर बनाओ’ कैंपेन शुरू हो गया है।
विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि मंदिर बनाओ कैंपेन के नाम से जिस तस्वीर को वायरल किया जा रहा है, वह जुलाई 2020 की है, जब इस्लामाबाद में एक मंदिर के बनाने को लेकर प्रोटेस्ट किया गया था। इस तस्वीर का हाल ही में पेश आये मामले से कोई लेना-देना नहीं है। वायरल किया जा रहा दावा फ़र्ज़ी है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
फेसबुक यूजर Haroon Rashid Bhat ने एक तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, ”Muslims in Pakistan started ” Mandir Banao ” campaign after Hindu #temple destroyed in a remote village of northeast Khyber Pakhtunkhwa province”.
पोस्ट (आर्काइव लिंक) का हिंदी अनुवाद: खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हिन्दू मंदिर तोड़े जाने के बाद ‘पाकिस्तान के मुसलमानों ने ‘मंदिर बनाओ’ कैंपेन शुरू कर दिया है।
पड़ताल
अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गूगल रिवर्स इमेज के ज़रिये वायरल तस्वीर को सर्च किया। सर्च में हमारे हाथ बहुत-से न्यूज़ आर्टिकल लगे, जिसमें वायरल तस्वीर को देखा जा सकता है। 8 जुलाई 2020 को द न्यूज़ टुडे की खबर में भी तस्वीर नज़र आई। खबर में दी गई जानकारी के मुताबिक, ”विभिन्न संस्थानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के छात्रों ने इस्लामाबाद में पहले कृष्ण मंदिर के निर्माण के समर्थन में नेशनल प्रेस क्लब के सामने प्रदर्शन किया। मंदिर निर्माण के समर्थन में नारे लगाते हुए प्लेकार्ड थामे लोगों ने सरकार से निर्माण के लिए धन आवंटित करने की भी मांग की।” खबर में हमें तस्वीर पर फोटोग्राफर का नाम, आमिर कुरैश और गेट्टी इमेजेज़ लिखा हुआ नज़र आया।
अब हमने गेट्टी इमेजेज पर वायरल तस्वीर को सर्च किया और हमें 8 जुलाई 2020 को फोटोग्राफर आमिर कुरैशी के ज़रिये खींची गयी वही तस्वीर मिली, जिसे अब फ़र्ज़ी हवाले के साथ वायरल किया जा रहा है। दिए गए फोटो डिस्क्रिप्शन के मुताबिक, ”8 जुलाई 2020 को इस्लामाबाद में हाथो में प्लेकार्ड पकडे प्रदर्शनकारी पाकिस्तान की राजधानी में हिन्दू मंदिर बनाये जाने की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान की एक अदालत ने इस्लामाबाद में एक हिंदू मंदिर के निर्माण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सरकार ने अब इस मामले को देश के इस्लामिक काउंसिल के हवाले कर दिया है।”
अब यह तो साफ हो चुका था कि वायरल तस्वीर पुरानी है। इसके बाद हमने यह जानने की कोशिश कि कि क्या पिछले दिनों खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुई मंदिर घटना के बाद पाकिस्तान में ‘मंदिर बनाओ’ आंदोलन चल रहा है।
ख़बरों के मुताबिक, 30 दिसंबर 2020 को पाकिस्तान के प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में लोगों की भीड़ ने एक हिन्दू मंदिर को नुकसान पहुंचाया था, जिसके बाद पुलिस ने 45 लोगों को अरेस्ट किया और 8 पुलिस अफसर को सस्पेंड किया गया है। खबर के बारे में विस्तार से यहां और यहां पढ़ सकते हैं।
हमें बहुत-सी ऐसी ख़बरें मिली, जिसमें बताया गया कि पाकिस्तान में लोग मंदिर को दोबारा बनाने की मांग कर रहें हैं। हालांकि, ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिसमें ‘मंदिर बनाओ’ आंदोलन के चलने का ज़िक्र हो।
हिन्दुस्तान टाइम्स में 5 जनवरी को अपडेट की गई खबर के मुताबिक, ‘पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को खैबर पख्तूनख्वा की प्रांतीय सरकार को आदेश दिया कि वह करक जिले के तेरी गाँव में कृष्ण द्वार मंदिर के साथ श्री परमहंस जी महाराज की समाधि को दो सप्ताह में बहाल करे।” खबर को यहां पढ़ें।
वायरल दावा, ‘मंदिर बनाओ’ कैंपेन से जुडी जानकारी हासिल करने के लिए जागरण न्यू मीडिया के वरिष्ठ संपादक Pratyush Ranjan ने पाकिस्तानी वरिष्ठ पत्रकार लुबना जरार नकवी से संपर्क किया और लुबना के साथ वायरल पोस्ट शेयर की। उन्होंने हमें बताया, ” ‘मंदिर बनाओ’ जैसा कोई कैंपेन नहीं चल रहा है। यह वायरल तस्वीर पुरानी है, जब एक ख़ास मंदिर को बनाये जाने के लिए लोगों ने प्रदर्शन किया था और मंदिर को बनाने की मांग की थी।
पोस्ट को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Haroon Rashid Bhat की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर श्रीनगर का रहने वाला है। इसके अलावा प्रोफाइल से कश्मीर से जुडी पोस्ट शेयर की हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि खैबर पख्तूनख्वा में हुई मंदिर घटना के बाद पाकिस्तान में ‘मंदिर बनाओ’ नाम का कोई आंदोलन नहीं चल रहा है। हालांकि, लोगों ने मंदिर को दोबारा बनाने की मांग की है और अपडेट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते के अंदर मंदिर को दोबारा बनाने का हुक्म भी दिया है। हालांकि, जिस तस्वीर को वायरल किया जा रहा है, वह जुलाई 2020 की है, जिससे साबित होता है कि तस्वीर पुरानी है और वायरल दावा फ़र्ज़ी है।
- Claim Review : Muslims in Pakistan started
- Claimed By : Haroon Rashid Bhat
- Fact Check : झूठ
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