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Fact Check: यूनेस्को ने नादर समुदाय को प्राचीन जाति घोषित नहीं किया था, वायरल दावा फ़र्ज़ी है

वायरल पोस्ट फर्जी है। यूनेस्को ने नादर समुदाय को दुनिया की सबसे प्राचीन जाति घोषित नहीं किया है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्टर में दावा किया जा रहा है कि यूनेस्को ने नादर समुदाय को एक प्राचीन जाति घोषित किया है। Vishvas News की जांच में दावा फर्जी निकला। यूनेस्को के संपादक ने वायरल दावे का खंडन किया।

क्याा हो रहा है वायरल

एक प्रमाण पत्र के साथ एक पोस्टर को इस दावे के साथ साझा किया गया है कि यूनेस्को ने नादर समुदाय को एक प्राचीन जाति घोषित किया है। पोस्ट में लिखा है कि यूनेस्को द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के विरासत और पुरातत्व विभाग ने नादर समुदाय को दुनिया की सबसे पुरानी और विश्वसनीय नस्ल के रूप में घोषित किया गया है। पोस्टर में आगे लिखा है, “वे दुनिया में 3 लाख से अधिक जाति और जातीय समूहों का अध्ययन करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। भारत में कोई अन्य जाति शीर्ष 10 स्थानों में नहीं है… ”

वायरल पोस्ट का आकाईव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

हमने नादर समुदाय और यूनेस्को की घोषणा के बारे में खबरों के लिए इंटरनेट पर खोज की। हमें कहीं भी ऐसी कोई खबर नहीं मिली।

नादर तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों – कन्याकुमारी, थूथुकुडी, तिरुनेलवेली और विरुधुनगर में रहने वाली एक तमिल जाति है। हालांकि, हमें इस विशिष्ट समुदाय को दुनिया में सबसे प्राचीन नस्ल के रूप में पहचानने वाली यूनेस्को की कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली।

वायरल पोस्ट में दिख रहे सर्टिफिकेट या प्रमाण पत्र पर साफ़ तौर से ‘नादर और इंडिया’ शब्द का अलग फॉन्ट और साइज देखा जा सकता है। सर्टिफिकेट पर ‘invisible people in Central Asia’ लिखा हुआ भी देखा जा सकता है। इसके वेरिफिकेशन के लिए हमने प्रमाणपत्र की जांच की।

हमें यूनेस्को अल्माटी वेबसाइट पर 20 फरवरी 2017 को प्रकाशित एक लेख मिला, जिसमें कहा गया था-“अल्माटी में यूनेस्को क्लस्टर कार्यालय यूएनएचसीआर और ट्यूरन विश्वविद्यालय के सहयोग से तीन घंटे की एक कार्यशाला आयोजित की गई थी। इस कार्यशाला में मध्य एशिया में स्टेटलेसनेस की समस्या के बारे में युवा नेताओं को जागरूक किया गया था। इस कार्यशाला के सभी प्रतिभागियों को यह प्रमाण पत्र दिया गया था, जिसे एडिट करके वायरल किया जा रहा है।

इस मामले में स्पष्टीकरण के लिए हमने यूनेस्को प्रेस सेवा के अंग्रेजी संपादक रोनी अमेलन से संपर्क किया। उन्होंने कहा, “हां, यह पोस्ट पूरी तरह से निराधार है।”

इस पोस्ट को फेसबुक यूजर कुमार शंकर ने शेयर किया था। यूजर के प्रोफइल की स्कैनिंग से पता चला है कि वह तमिलनाडु से है और फेसबुक पर उसके 4,941 दोस्त हैं।

निष्कर्ष: वायरल पोस्ट फर्जी है। यूनेस्को ने नादर समुदाय को दुनिया की सबसे प्राचीन जाति घोषित नहीं किया है।

  • Claim Review : यूनेस्को द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के विरासत और पुरातत्व विभाग ने नादर समुदाय को दुनिया की सबसे पुरानी और विश्वसनीय नस्ल के रूप में घोषित किया गया है
  • Claimed By : Kumar Sankar
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