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Fact Check: स्कूल की किताबों पर सरकार के टैक्स लगाए जाने का दावा गलत, टैक्स फ्री है स्कूली किताबें

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Sep 25, 2020 at 02:11 PM
  • Updated: Sep 25, 2020 at 03:04 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक इन्फोग्राफिक्स में दावा किया जा रहा है कि स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाने वाला भारत पहला देश बन गया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला।

सरकार की तरफ से स्कूली किताबों पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

सोशल मीडिया यूजर ‘Bluffmaster Modi’ ने वायरल ग्राफिक्स (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाने वाला पहला देश बना भारत
अनपढ़ रहेगा इंडिया
तभी तो भक्त बनेगा इंडिया।”

सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल हो रहा पोस्ट

पड़ताल किए जाने तक इस पोस्ट को करीब पांच हजार से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस पोस्ट में किए गए दावे को सही मानते हुए उसे अपनी प्रोफाइल पर साझा किया है।

https://twitter.com/AshishS17373782/status/1308367481040371713

पड़ताल

वायरल पोस्ट में स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाने का दावा किया गया है। देश में नई टैक्स व्यवस्था के तहत अब वस्तु और सेवाओं पर जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) की वसूली की जाती है। किताबों पर लगने वाले टैक्स की जानकारी के लिए हमने टैक्स स्लैब और उसमें शामिल वस्तुओं की सूची खंगाली।

टैक्स और उससे संबंधित जानकारी देने वाली कई वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, किताबें और समाचार पत्र जैसी छपी हुई सामग्री पर जीएसटी की दर शून्य है। चैप्टर 49 में इस बारे में पूरी जानकारी सूची के साथ मुहैया कराई गई है।

Source-Cleartax.com

डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी से इसकी पुष्टि होती है, जिसमें छपी हुई किताबों पर शून्य कर की जानकारी दी गई है।

इसके बाद हमने न्यूज सर्च की मदद ली। सर्च में हमें ऐसे कई आर्टिकल मिले, जिसमें किताबों पर लगने वाले शून्य टैक्स की जानकारी दी गई है। ‘द हिंदू बिजनेस लाइन’ की वेबसाइट पर 27 जनवरी 2018 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, किताबों पर शून्य फीसदी जीएसटी लगाए जाने का जिक्र है।

रिपोर्ट के मुताबिक, किताबों को जीएसटी से छूट मिली हुई है, लेकिन इसके बावजूद इसकी कीमतों में इजाफा हो सकता है और इसकी वजह प्रिंटिंग, बाइंडिंग और लेखकों को दिए जाने वाले रॉयल्टी पर लगने वाला 12 फीसदी जीएसटी टैक्स है।

इसे लेकर हमने टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट एवं अपना पैसा के चीफ एडिटर बलवंत जैन से संपर्क किया। हमने उनसे पूछा कि क्या प्रकाशकों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलने की वजह से यह कहना सही है कि सरकार ने किताबों पर टैक्स लगा दिया है। उन्होंने कहा, ‘यह कहना गलत है। किताबों को जीएसटी के दायर से बाहर रखा गया है। रही बात इनपुट टैक्स की तो इस लिहाज से ऐसा कोई सामान नहीं है, जिस पर हमें टैक्स नहीं देना पड़ता हो।’

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी इस दावे का खंडन किया गया है, जिसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार ने स्कूली किताबों पर टैक्स लगा दिया है। सरकार की तरफ से स्कूल में पढ़ाई जाने वाली किताबों पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया है।

वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले पेज को फेसबुक पर करीब पांच लाख से अधिक लोग फॉलो करते हैं। यह पेज मार्च 2013 से सक्रिय है।

निष्कर्ष: स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाए जाने के दावे के साथ वायरल पोस्ट फर्जी है। स्कूल की किताबों पर सरकार की तरफ से कोई टैक्स नहीं लगाया गया है।

  • Claim Review : स्कूली किताबों पर टैक्स लगाने वाला पहला देश बना भारत
  • Claimed By : FB User-Bluffmaster Modi
  • Fact Check : झूठ
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