Quick Fact Check: सांस रोकने के इस टेस्ट का कोरोना संक्रमण से कोई लेना-देना नहीं, वायरल वीडियो है फर्जी
- By: ameesh rai
- Published: Sep 24, 2020 at 11:10 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर 30 सेकंड एक वीडियो वायरल हो रहा है। 30 सेकंड के इस वीडियो में निश्चित समय अंतराल तक सांस लेने, उसे कुछ समय तक रोकने और फिर सांस छोड़ने की प्रकिया दिखाते हुए इसे कोरोना संक्रमण का टेस्ट बताया जा रहा है। विश्वास न्यूज को अपने वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी ये दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। विश्वास न्यूज पहले भी इससे मुलते-जुलते एक कथित सांस रोकने के दावे की पड़ताल कर चुका है। इस कथित ब्रिदिंग एक्सरसाइज का कोरोना संक्रमण के टेस्ट से कोई लेना-देना नहीं है। एक्सपर्ट के मुताबिक, ये दावा फर्जी है।
क्या हो रहा है वायरल
फेसबुक और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह वीडियो पोस्ट वायरल हो रही है। नौशाद खान नाम के फेसबुक यूजर ने इसे कोरोना टेस्ट बताते हुए शेयर किया है। यह वीडियो 30 सेकंड का है। इसमें एक सीधी रेखा है, जिसे तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा सांस लेने, दूसरा सांस रोकने और तीसरा सांस छोड़ने का है। तीनों हिस्सों को एक सीधी रेखा में रखा गया है, जिसपर से एक डॉट गुजर रहा है। इसी डॉट के गुजरने के हिसाब से व्यक्ति से सांस लेने, रोकने और छोड़ने को कहा जा रहा है।
वीडियो में दावा किया गया है, ‘यदि आप बिन्दु के अनुसार से A से B तक सांस रोक लेते हो तो आप कोरोना से मुक्त हो सकते हो।’ इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने जरूरी कीवर्ड्स (holding breath covid-19 etc.) की मदद से इंटरनेट पर इस दावे को खोजने की कोशिश की। सर्च रिजल्ट में हमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी और उनके आधिकारिक फेसबुक पेज से शेयर की गई एक पोस्ट मिली। WHO की वेबसाइट पर मिथ बस्टर सेक्शन में साफ तौर पर लिखा है कि 10 सेकंड या अधिक समय तक बिना परेशानी के सांस को रोक लेना इस बात का सबूत नहीं है कि आप कोरोना संक्रमण से मुक्त हैं।
WHO ने स्पष्ट किया है कि कोरोना संक्रमण का पता सांस की इस कथित एक्सरसाइज से नहीं लगाया जा सकता। WHO के मुताबिक, ऐसा करना खतरनाक है और संक्रमण की जांच का बेस्ट तरीका यह है कि आप लेबोरेटरी में जांच करवाएं। यहां क्लिक कर इस जानकारी को विस्तार से पढ़ा जा सकता है।
इसी जानकारी को WHO ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर भी शेयर किया है। इसे नीचे देखा जा सकता है:
विश्वास न्यूज के सामने पहले भी ऐसा ही एक दावा आ चुका है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के क्रिटिकल केयर में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर राजेश चावला भी इस वायरल वीडियो के गावे को नकार रहे हैं। उनके मुताबिक, ये कोरोना वायरस की जांच का सही तरीका नहीं है।
इसी से मिलते-जुलते दावे का पहले भी फैक्ट चेक किया जा चुका है। नीचे शेयर किए गए फैक्ट चेक आर्टिकल पर क्लिक कर विस्तार से जाना जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को पोस्ट करने वाले यूजर नौशाद खान की फेसबुक प्रोफाइल को स्कैन किया। प्रोफाइल पर दी गई जानकारी के मुताबिक यूजर चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। इस प्रोफाइल को अक्टूबर 2009 में बनाया गया है।
निष्कर्ष: सांस रोकने और छोड़ने के इस कथित टेस्ट से कोरोना वायरस संक्रमण का पता नहीं लगाया जा सकता। WHO भी इसका खंडन कर चुका है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, संक्रमण की जांच का बेस्ट तरीका यह है कि आप लेबोरेटरी में जांच करवाएं।
Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए ,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।
- Claim Review : 30 सेकंड के इस वीडियो में निश्चित समय अंतराल तक सांस लेने, उसे कुछ समय तक रोकने और फिर सांस छोड़ने की प्रकिया दिखाते हुए इसे कोरोना संक्रमण का टेस्ट बताया जा रहा है।
- Claimed By : नौशाद खान
- Fact Check : झूठ
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