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Fact Check: रेलवे के निजीकरण का दावा फर्जी है

रेलवे के निजीकरण का दावा पूरी तरह फर्जी साबित हुआ है। इसी के साथ पुणे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म टिकट बढ़ाने का उद्देश्य कोरोना के कारण लोगों की भीड़ को कम करना है। इसका रेलवे के निजीकरण से कोई लेना-देना नहीं है।

  • By: Gaurav Tiwari
  • Published: Aug 23, 2020 at 12:08 PM
  • Updated: Aug 25, 2020 at 02:49 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि कांग्रेस के शासन में रेलवे सरकारी था, इसलिए प्लेटफॉर्म टिकट 3 रुपये का था। वहीं, बीजेपी के शासन में रेलवे प्राइवेट हो गया है, इसी कारण से प्लेटफॉर्म टिकट 50 रुपये का हो गया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में रेलवे को प्राइवेट करने की बात फर्जी पाई गई है। बीजेपी के शासन में रेलवे प्राइवेट नहीं हुआ है। अभी भी रेलवे देश की संपत्ति है।

क्या है वायरल पोस्ट में

विश्वास न्यूज के चैटबॉट (वॉट्सऐप नंबर- 95992 99372) पर एक यूजर ने रेलवे के निजीकरण को लेकर किए जा रहे दावे के पीछे की सच्चाई पूछी। इस पोस्ट में लिखा है कि कांग्रेस के शासन काल में रेलवे सरकारी था। इसी कारण प्लेटफॉर्म टिकट 3 रुपये का मिलता था। बीजेपी के शासन में रेलवे प्राइवेट हो गया है। इसी कारण से प्लेटफॉर्म टिकट 50 रुपये का कर दिया गया है। इसी के साथ दो फोटो दी गई हैं। एक फोटो में 3 रुपये के भुगतान वाला प्लेटफॉर्म टिकट है, जबकि दूसरी फोटो में 50 रुपये के भुगतान वाला प्लेटफॉर्म दिखाई दे रहा है।

इसी के साथ ही ये पोस्ट हमें फेसबुक पर भी मिली। परवेज अहमद खान नाम के फेसबुक यूजर ने 18 जुलाई को ये पोस्ट शेयर की। इस पोस्ट को अब तक 10 बार शेयर किया जा चुका है। इस पोस्ट पर छह कमेंट भी किए गए हैं। 

इस पोस्ट के अर्काइव वर्जन को देखने के लिए क्लिक करें।

पड़ताल

इस पोस्ट में रेलवे के निजीकरण की बात की गई थी, तो हमने इस की जांच करने का फैसला किया। सबसे पहले हमने ये जानने की कोशिश की कि प्लेटफॉर्म का टिकट 50 रुपये होने की बात कितनी सही है। इस पर हमें नवभारत टाइम्स की वेबसाइट का लिंक मिला। इसमें बताया गया है कि रेलवे के पुणे डिवीजन में प्लेटफॉर्म टिकट का दाम बढ़ाकर 50 रुपये किया गया है।

इसी के साथ ही हमें रेलवे के प्रवक्ता का ट्वीट मिला, जिसमें लिखा था – पुणे जंक्शन द्वारा प्लेटफार्म टिकट का मूल्य 50 रुपये रखने का उद्देश्य अनावश्यक रूप से स्टेशन पर आने वालों पर रोक लगाना है, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके। रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट की दरों को कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों से ही इसी प्रकार नियंत्रित करता आया है। इससे पता चलता है कि प्लेटफॉर्म टिकट का मूल्य 50 रुपये करने का निजीकरण से कोई लेना-देना नहीं है। 

रेलवे के निजीकरण को लेकर हमें रेल मंत्री पीयूष गोयल का बयान मिला। इस बयान moneycontrol.com में छपी खबर के अनुसार, भारतीय रेलवे के निजीकरण की खबरों पर केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने साफ-साफ कहा है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा। उन्होंने कहा है कि कुछ रूट्स पर प्राइवेट प्लेयर्स को ट्रेन चलाने की मंजूरी से रेलवे की सेवा में सुधार होगा और नए रोजगार के अवसर मुहैया होंगे।

इसी के साथ हमें पीयूष गोयल के ऑफिस से किया गया ट्वीट मिला। 12 जुलाई, 2020 को किए गए ट्वीट में साफ लिखा है –
रेलवे का नही हो रहा है निजीकरण, सभी वर्तमान सेवाएं चलेंगी पहले की तरह। निजी भागीदारी से 109 रुट पर चलेंगी अतिरिक्त 151 अति आधुनिक ट्रेन, जिनसे बढ़ेगा रोजगार, मिलेगी आधुनिक तकनीक, बढ़ेगी सुविधा व सुरक्षा।

इस मामले पर रेलवे मंत्रालय के कार्यकारी निदेशक राजेश दत्त बाजपेयी ने कहा कि रेल महाप्रबंधकों के पास भीड़ को रोकने के लिए प्लेटफॉर्म टिकट का दाम बढ़ाने की पॉवर है। कोरोना के कारण भीड़ न हो इसीलिए ये फैसला लिया गया है।

https://www.instagram.com/p/CETRiCyn8tw/

निष्कर्ष: रेलवे के निजीकरण का दावा पूरी तरह फर्जी साबित हुआ है। इसी के साथ पुणे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म टिकट बढ़ाने का उद्देश्य कोरोना के कारण लोगों की भीड़ को कम करना है। इसका रेलवे के निजीकरण से कोई लेना-देना नहीं है।

  • Claim Review : कांग्रेस के शासन काल में रेलवे सरकारी था। इसी कारण प्लेटफॉर्म टिकट 3 रुपये का मिलता था। बीजेपी के शासन में रेलवे प्राइवेट हो गया है। इसी कारण से प्लेटफॉर्म टिकट 50 रुपये का कर दिया गया है।
  • Claimed By : परवेज अहमद खान
  • Fact Check : झूठ
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