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Fact Check: UNICEF के नाम से वायरल कोरोनावायरस से जुड़ी जानकारी वाला यह पोस्ट है भ्रामक

कोरोनावायरस पर यूनिसेफ के नाम से वायरल एडवाइजरी न तो सही है और न ही यूनिसेफ ने इसे जारी किया है।

  • By: Urvashi Kapoor
  • Published: Aug 7, 2020 at 05:52 PM
  • Updated: Aug 31, 2020 at 01:24 PM

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रेन एजुकेशन फंड UNICEF के नाम से एक पोस्ट वायरल हो रहा है। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि कोरोनावायरस हवा में नहीं तैरता, बल्कि यह जमीन पर रहता है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि यह वायरस हवा से नहीं फैलता। विश्वास न्यूज ने जब इन दावों की पड़ताल की तो पाया कि UNICEF ने ऐसी कोई एडवाइजरी जारी नहीं की है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

सोशल मीडिया पर UNICEF के नाम से वायरल इस मैसेज में लिखा गया है: यह वायरस हवा में नहीं, बल्कि जमीन पर रहता है, इसलिए यह हवा से नहीं फैलता। इस ग्राफिक में वायरस का मतलब कोरोनावायरस से है, जैसा कि इसके कैप्शन में भी साफ किया गया है।

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

वायरल दावे का सच जानने के लिए विश्वास न्यूज ने UNICEF में हेल्थ ऑफिसर डॉ. प्रफुल्ल भारद्वाज से संपर्क किया। डॉ. भारद्वाज ने बताया कि वायरल मैसेज का UNICEF से कोई संबंध नहीं है। UNICEF ने इस तरह की कोई एडवाइजरी जारी नहीं की है।

इससे यह साफ हो गया कि वायरल एडवाइजरी UNICEF ने जारी नहीं की है।

वायरल पोस्ट में आगे दावा किया गया है कि कोरोनावायरस हवा में नहीं, जमीन पर रहता है, लिहाजा यह हवा से नहीं फैलता।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मौजूदा प्रमाण यही बताते हैं कि कोविड 19 लोगों में डायरेक्ट, इंडायरेक्ट (संक्रमित जगह या ऑब्जेक्ट से) या इन्फेक्टेड व्यक्ति के मुंह या नाक से निकलने वाले स्राव के साथ संपर्क में आने से फैलता है। इसमें थूक, रेस्पिरेटरी सेक्रेशंस या सेक्रेशंस ड्रॉपलेट्स शामिल हैं। यह सब तब रिलीज होती हैं जब इन्फेक्टेड व्यक्ति खांसता, झींकता, बोलता या गाता है। जो लोग उस व्यक्ति के नजदीक हों (1 मीटर के दायरे में) उनके नाक, मुंह या आंखों पर अगर यह ड्रॉपलेट्स गिरें तो वह इन्फेक्टेड हो सकता है।

इसमें आगे बताया गया है कुछ मेडिकल प्रोसिजर्स के दौरान छोटी ड्रॉपलेट्स (जिन्हें एरोसोलाइज्ड ड्रॉपलेट्स न्यूक्लियाई या एरोसोल्स कहा जाता है) बनते हैं और यह हवा में लंबे समय तक रह सकते हैं। जब यह मेडिकल प्रोसिजर कोरोना पेशेंट्स के साथ किए जाते हैं तो इन एरोसोल्स में कोविड 19 वायरस हो सकता है। उस समय अगर किसी ने पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट नहीं पहने हैं तो यह सांस के साथ उनके अंदर जा सकता है और उन्हें भी इन्फेक्टेड बना सकता है। इसलिए कोरोना पेशेंट्स का इलाज कर रहे हेल्थ वर्कर्स को एयरबॉर्न प्रोटेक्शन लेना जरूरी है। विजिटर्स को भी ऐसी जगह जाने नहीं दिया जाना चाहिए जहां यह मेडिकल प्रोसिजर किया गया हो।

ड्रॉपलेट्स हवा में रहते हैं और अगर कोई व्यक्ति इन्फेक्टेड व्यक्ति के पास गया है तो हो सकता है कि उसका टेस्ट भी पॉजिटिव आए। इसलिए यह कहना गलत होगा कि कोरोनावायरस हवा से नहीं फैलता। हालांकि, इस पर रिसर्च अभी भी जारी है।

फेसबुक पर यह पोस्ट Clean & Green Services नाम के पेज ने शेयर की है। विश्वास न्यूज ने जब इस पेज की प्रोफाइल को स्कैन किया तो पाया कि यह पेज पाकिस्तान के इस्लामाबाद से चलाया जा रहा है।

निष्कर्ष: कोरोनावायरस पर यूनिसेफ के नाम से वायरल एडवाइजरी न तो सही है और न ही यूनिसेफ ने इसे जारी किया है।

  • Claim Review : यूनिसेफ ने कहा कि कोरोनावायरस हवा में नहीं, बल्कि जमीन पर रहता है।
  • Claimed By : FB Page: Clean & Green Services
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