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Fact check: राम मंदिर निर्माण को लेकर अखिलेश यादव के नाम से वायरल हो रहा यह ट्वीट फर्जी और मनगढ़ंत है

अयोध्या में राम मंदिर को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम से वायरल हो रहा ट्वीट फर्जी और मनगढ़ंत है, जिसे दुष्प्रचार की मंशा के तहत एडिट कर तैयार किया गया है। अखिलेश यादव की प्रोफाइल से न तो ऐसा कोई ट्वीट किया गया है और न ही उन्होंने ऐसा कोई बयान दिया है।

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Jul 17, 2020 at 03:26 PM
  • Updated: Jul 17, 2020 at 03:53 PM

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के नाम से एक कथित ट्वीट वायरल हो रही है, जिसमें कहा गया है कि अगर (उत्तर प्रदेश) में हमारी सरकार होती तो मैं राम मंदिर कभी नहीं बनने देता।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत और अखिलेश यादव के खिलाफ दुष्प्रचार निकला। अखिलेश यादव के ट्विटर हैंडल से न तो ऐसा कोई ट्वीट किया गया है और न ही ऐसा कोई बयान दिया गया है। वायरल हो रहा ट्विटर पोस्ट वास्तव में एडिट कर बनाई गई फर्जी तस्वीर है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर “प्रशान्त मणि त्रिपाठी’ ने अखिलेश यादव के नाम से किए गए कथित ट्वीट के स्क्रीन शॉट (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है। इसमें लिखा हुआ है, ”हमारी सरकार होती तो मैं नेता जी के नक्शे कदम पर चलता, चाहे जितनी जाने जाती लेकिन राम मंदिर कभी नहीं बनने देता।”

अखिलेश यादव के नाम से वायरल हो रहा फर्जी ट्वीट

जांच किए जाने तक इस पोस्ट को करीब एक हजार से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं। कई अन्य यूजर्स ने इसे वास्तविक ट्वीट मानकर समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल पोस्ट में अखिलेश यादव के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से किए गए कथित ट्वीट की तस्वीर लगी है, जिसमें 3 नवंबर 2019 की तारीख का जिक्र है।

अखिलेश यादव के नाम से वायरल हो रहा फर्जी ट्वीट

ट्वीट की वास्तविकता और इसकी सच्चाई जानने के लिए हमने ट्विटर एडवांस सर्च का सहारा लिया। InVID टूल की मदद से जब हमने ट्वीट सर्च किया तो हमें पता चला कि अखिलेश यादव के ट्विटर हैंडल से 3 नवंबर 2019 को कोई ट्वीट ही नहीं किया गया। 2 नवंबर को उनके वेरिफाइड हैंडल से दो ट्वीट किए गए और इसके बाद उन्होंने 4 नवंबर 2019 को अगला ट्वीट किया।

अखिलेश यादव का ट्विटर हैंडल, जिस पर 3 नवंबर 2019को कई ट्वीट ही नहीं किया गया है

इसके बाद हमने WayBack Machine की मदद से आर्काइव को चेक किया। आर्काइव में हमें अखिलेश यादव के ट्विटर हैंडल से 3 नवंबर को किया गया एक भी ट्वीट नजर नहीं आया। आर्काइव ट्वीट में भी दो नवंबर के बाद 4 नवंबर 2019 को ट्वीट किए जाने की पुष्टि होती है।

Wayback machine पर भी अखिलेश यादव के ट्विटर हैंडल से 3 नवंबर 2019 को किए गए किसी ट्वीट का आर्काइव रिकॉर्ड नहीं मिला

यानी अखिलेश यादव के नाम से राम मंदिर को लेकर जिस ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है, वह फर्जी है और उसे गलत मंशा के साथ दुष्प्रचार के लिए एडिट कर तैयार किया गया है।

इसके बाद हमने न्यूज सर्च का सहारा लिया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने अगर ऐसा कोई बयान दिया होता तो निश्वित तौर पर वह खबर होती। हालांकि, सर्च में हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिसमें ऐसे किसी बयान का जिक्र हो।

हमें तीन मई 2019 को प्रकाशित एक खबर मिली, जिसमें अखिलेश यादव ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था, ‘राम मंदिर पर उनकी पार्टी और बीजेपी का एजेंडा एक ही है और वह भी संविधान के दायरे में शांतिपूर्ण तरीके से राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं।’

NBT की वेबसाइट पर तीन मई 2019 को प्रकाशित खबर

लखनऊ में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस ने बताया, ‘वायरल हो रहा ट्वीट सच नहीं हो सकता।’ उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने इस मामले में साफ-साफ अपना और अपनी पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा था कि वह अयोध्या में संविधान के दायरे में शांतिपूर्वक राम मंदिर निर्माण के पक्ष में हैं।

इससे पहले अखिलेश यादव के नाम से एक और फर्जी बयान वायरल हुआ था, जिसकी पड़ताल विश्वास न्यूज ने की थी।

वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को उत्तर प्रदेश के कानपुर का रहने वाला बताया है। यूजर की प्रोफाइल पर विचारधारा विशेष से संबंधित पोस्ट को शेयर किया जाता है।

निष्कर्ष: अयोध्या में राम मंदिर को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम से वायरल हो रहा ट्वीट फर्जी और मनगढ़ंत है, जिसे दुष्प्रचार की मंशा के तहत एडिट कर तैयार किया गया है। अखिलेश यादव की प्रोफाइल से न तो ऐसा कोई ट्वीट किया गया है और न ही उन्होंने ऐसा कोई बयान दिया है।

  • Claim Review : अखिलेश यादव ने कहा हमारी सरकार होती तो मैं कभी राम मंदिर नहीं बनने देता
  • Claimed By : FB User-प्रशान्त मणि त्रिपाठी
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