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Fact Check: गेट्स फाउंडेशन नहीं लगा रहा है स्वैब टेस्टिंग के बहाने से लोगों में माइक्रोचिप, वायरल पोस्ट फर्जी है

नहीं, गेट्स फाउंडेशन स्वैब टेस्टिंग के नाम पर माइक्रोचिप्स नहीं लगा रही है। वायरल पोस्ट फर्जी है।

  • By: Urvashi Kapoor
  • Published: Jun 20, 2020 at 06:13 PM
  • Updated: Aug 30, 2020 at 08:01 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़): सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस महामारी जैसी कोई चीज़ नहीं है, बल्कि यह सिर्फ गेट्स फाउंडेशन का एक कवरअप है। पोस्ट में आगे दावा किया जा रहा है कि गेट्स फाउंडेशन स्वैब टेस्टिंग के बहाने से लोगों में माइक्रोचिप्स लगा रही है। विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट को अपनी पड़ताल में फर्जी पाया।

क्या हो रहा है वायरल?

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस महामारी जैसी कोई चीज़ नहीं है! आगे दावा किया जा रहा है कि इस महामारी के बहाने से स्वैब टेस्टिंग के नाम पर लोगों के अंदर बिल गेट्स माइक्रोचिप्स लगाई जा रही हैं और इसके लिए गेट्स फाउंडेशन 25K डॉलर दे रहा है।

वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड लिंक।

पड़ताल

सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, COVID19 टेस्टिंग विभिन्न तरीकों से प्राप्त नमूनों पर की जा सकती है, जिसमें एक नासोफेरींजल स्वैब, थूक (खांसी), गले की सूजन आदि शामिल हैं। इसे हैंडलिंग करने के लिए कुछ विशिष्ट दिशानिर्देश हैं जो कि स्वैब संग्रह के बाद किए जाते हैं। ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है कि राज्य COVID19 स्वैब टेस्टिंग के दौरान गले में माइक्रोचिप्स डालती है।

पड़ताल के दौरान, हमें एक रिपोर्ट मिली जिसकी हेडलाइन थी: “Bill Gates will use microchip implants to fight coronavirus”. रिपोर्ट में कोरोना वायरस को लेकर पूछे गए रेडिट के साथ सवाल-जवाब को कोट किया गया था: “हमारे पास यह दिखाने के लिए कुछ डिजिटल सर्टिफिकेट होंगे कि किसका हाल ही में कोरोना का टेस्ट हुआ है और कौन कोरोना से ठीक हुआ है या जब हमारे पास एक वैक्सीन होगी जिसने उसे प्राप्त किया है।”

इस मामले को लेकर रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, बिल गेट्स ने स्वास्थ्य रिकॉर्ड के लिए “डिजिटल प्रमाणपत्र” होने की संभावना का उल्लेख किया। हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि यह प्रमाणपत्र “माइक्रोचिप प्रत्यारोपण” होंगे।”

विश्वास न्यूज़ ने इस मामले को लेकर गेट्स फाउंडेशन से ईमेल के जरिए संपर्क किया। उन्होंने जवाब देते हुए कहा: “हमारे साथ जुड़ने के लिए धन्यवाद। यह एक फर्जी खबर है कि गेट्स फाउंडेशन कोरोना स्वैब टेस्टिंग के दौरान माइक्रोचिप्स डाल रही है” उन्होंने हमारे साथ रॉयटर्स का आर्टिकल शेयर किया, जिसमें उन्होंने यह क्लेम फर्जी साबित किया था। आर्टिकल के अनुसार: “बिल गेट्स ने स्वास्थ्य रिकॉर्ड के लिए “डिजिटल प्रमाणपत्र” होने की संभावना का उल्लेख किया। हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि यह प्रमाणपत्र “माइक्रोचिप प्रत्यारोपण” होंगे। ऐसा हमारा कोई प्लान नहीं है कि इस महामारी के दौर में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाए।”

हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक अकाउंट की सोशल स्कैनिंग की और पाया कि यूज़र अमेरिका में रहता है।

निष्कर्ष: नहीं, गेट्स फाउंडेशन स्वैब टेस्टिंग के नाम पर माइक्रोचिप्स नहीं लगा रही है। वायरल पोस्ट फर्जी है।

  • Claim Review : दावा किया जा रहा है कि इस महामारी के बहाने से स्वैब टेस्टिंग के नाम पर लोगों के अंदर बिल गेट्स माइक्रोचिप्स लगाई जा रही हैं और इसके लिए गेट्स फाउंडेशन 25 डॉलर दे रहा है।
  • Claimed By : FB User- Deborah Janney
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