Fact Check: COVID-19 से संबंधित नहीं है डॉग वैक्सीन, भ्रामक पोस्ट हो रही वायरल
पोस्ट में दिखाया गया केनाइन कोरोना वायरस वैक्सीन असली है, लेकिन यह कुत्तों के लिए इस्तेमाल होता है और हाल के वर्तमान कोरोना वायरस से संबंधित नहीं है।
- By: Urvashi Kapoor
- Published: May 8, 2020 at 02:42 PM
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की गई है, जिसमें केनाइन कोरोना वायरस वैक्सीन नाम का एक लेबल दिखाया गया है। यह गलत सुझाव देता है कि कोरोना वायरस का वैक्सीन 2001 से मौजूद था और 19 साल बाद यह कहा जाता है कि इसका कोई वैक्सीन नहीं है। Vishvas News ने इसकी पड़ताल की और पाया कि यह वायरल पोस्ट भ्रामक है। पोस्ट में यह दिखाया गया है कि वैक्सीन सही है, लेकिन यह पशु उपयोग के लिए है और यह कोरोना वायरस से संबंधित नहीं है।
दावा
सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट में लिखा है: “यह 2001 में था अब मुझे यह बताएं कि 19 साल बाद कहा जाता है कि कोई वैक्सीन नहीं है।” इस पोस्ट में केनाइन कोरोनावायरस वैक्सीन नाम का लेबल दिखाया गया है। पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
हमने वायरल पोस्ट में दिखाए गए कोरोना वायरस वैक्सीन को ढूंढा। हमने पाया कि यह नोबिवाक 1-सीवी है, जो मर्क एंड कंपनी की एक सहायक कंपनी द्वारा बिक्री किए जाने वाला वैक्सीन है। यह कुत्तों को केनाइन कोरोना वायरस या सीसीवी से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
पशु चिकित्सा कंपनी वीसीए हॉस्पिटल्स ने बताया, केनाइन कोरोना वायरस डिजीज, जिसे CCoV भी कहा जाता है, कुत्तों या विशेष तौर पर पिल्लों (puppies) में ज्यादा पाया जाता है। केनाइन कोरोना वायरस आमतौर पर कम समय के लिए होता है, लेकिन जिन कुत्तों को यह बीमारी हो जाती है उन्हें कुछ दिनों के लिए पेट की परेशानी से जूझना पड़ता है।
उन्होंने आगे बताया, “केनाइन कोरोना वायरस (CCoV), SARS-CoV-2 जैसा वायरस नहीं है जो कोरोना वायरस (COVID-19) का कारण बनता है। CCoV कुत्तों में गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल की समस्या उत्पन्न करता है।”
कोरोना वायरस (COVID-19) एक संक्रामक रोग है, जो हाल ही में पाए गए कोरोना वायरस के कारण होता है। इस समय COVID-19 के लिए कोई स्पेसिफिक वैक्सीन या इलाज नहीं है। हालांकि, इसके संभावित उपचारों के लिए क्लीनिकल टेस्ट चल रहा है।
दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में इस वायरस के शुरू होने से पहले COVID -19 एक अज्ञात संक्रमण था। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के अनुसार, 1960 के दशक के मध्य में मानव कोरोना वायरस की पहचान की गई थी।
Vishvas News ने डॉ. निखिल मोदी से बात की, जो नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट हैं। उन्होंने कहा, “वायरल पोस्ट में दिखाया गया वैक्सीन वर्तमान कोरोना वायरस से अलग वायरस के इलाज के लिए है। इससे COVID-19 का इलाज नहीं किया जा सकता है। यह कुत्तों के इलाज के लिए है। यह दवा मनुष्यों के लिए नहीं है।”
Vishvas News ने पहले भी इसी तरह की एक पोस्ट को डिबंक किया था जिसमें मवेशियों को लगाए जाने वाले एक वैक्सीन को वर्तमान कोरोना वायरस के इलाज के रूप में गलत तरीके से शेयर किया गया था।
इस वायरल पोस्ट को फेसबुक पर Misael Benitez नाम के यूजर ने शेयर किया है। यूजर की प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर के 16,991 फॉलोअर्स हैं।
Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं, और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।
निष्कर्ष: पोस्ट में दिखाया गया केनाइन कोरोना वायरस वैक्सीन असली है, लेकिन यह कुत्तों के लिए इस्तेमाल होता है और हाल के वर्तमान कोरोना वायरस से संबंधित नहीं है।
- Claim Review : कोरोना वायरस का वैक्सीन 2001 से मौजूद था और 19 साल बाद यह कहा जाता है कि इसका कोई वैक्सीन नहीं है
- Claimed By : FB User: Misael Benitez
- Fact Check : भ्रामक
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