X
X

Fact Check: ये तस्वीरें दिल्ली की नहीं, फिलीस्तीन और श्रीनगर की हैं

दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान पत्थरबाजी करती हुई लड़िकयों की तस्वीर गलत दावे के साथ वायरल हो रही हैं। वायरल पोस्ट में नजर आ रही सभी तस्वीरें दिल्ली से बाहर की हैं और दिल्ली हिंसा से कई सालों पहले की हैं।

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Mar 2, 2020 at 07:11 PM
  • Updated: Aug 30, 2020 at 08:37 PM

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। दिल्ली में हुई हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर पत्थरबाजी करती हुई महिलाओं की तस्वीरें वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीरें दिल्ली में पुलिस पर पत्थर चलाने वाली महिलाओं की हैं।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। पत्थर फेंकती महिलाओं की इन तस्वीरों का दिल्ली से कोई संबंध नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Jaspreet Jass Singh’ ने तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा है, ”दिल्ली की मुस्लिम लड़कियों से प्यार न करना क्योंकि, दिखती हैं मुमताज की तरह, लगती हैं गुलाब की तरह, दिल में चुभती हैं कांटे की तरह, और पत्थर से बॉलिंग करती हैं इमरान खान की तरह..।”

दिल्ली हिंसा के नाम पर गलत दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीरें

कई अन्य यूजर्स ने इन्हीं तस्वीरों को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया है।

(वायरल पोस्ट का सामान्य लिंक और आर्काइव लिंक)

पड़ताल

वायरल पोस्ट में चार तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए दावा किया गया है कि पत्थर फेंकती यह सभी महिलाएं दिल्ली की हैं।

पहली तस्वीर:

दिल्ली हिंसा के नाम गलत दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर

गूगल रिवर्स इमेज किए जाने पर हमें यह तस्वीर आउटलुक इंडिया की वेबसाइट पर मिली। अप्रैल 2019 में प्रकाशित फोटो गैलरी में कई तस्वीरों के साथ इस तस्वीर का भी इस्तेमाल किया गया है।

आउटलुक इंडिया की वेबसाइट पर प्रकाशित तस्वीर

रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर एपी के फोटोग्राफर डार यासिन ने श्रीनगर में खींची थी, जब नागरिकों की मौत के बाद श्रीनगर में सुरक्षा बलों के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा था।

दूसरी तस्वीर:


दिल्ली हिंसा के नाम गलत दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर

दूसरी वायरल तस्वीर एक महिला की है, जिसमें उसे गुलेल ताने हुए देखा जा सकता है। यांडेक्स की मदद से रिवर्स इमेज किए जाने पर यह तस्वीर कई वेबसाइट पर 2015 में प्रकाशित रिपोर्ट में मिली। https://litci.org/ पर 11 दिसंबर 2015 को प्रकाशित रिपोर्ट में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।

litci.org पर 11 दिसंबर 2015 को प्रकाशित रिपोर्ट

एक अन्य वेबसाइट  www.ongsono.com पर 11 अक्टूबर 2015 को प्रकाशित रिपोर्ट में भी इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।

ongsono.com पर 11 अक्टूबर 2015 को प्रकाशित रिपोर्ट

दोनों की जगह इस तस्वीर को फिलीस्तीन का बताया गया है। दोनों ही जगह तस्वीर को इस्तेमाल किए जाने की तारीख दिल्ली में हुई हिंसा से करीब पांच साल पहले की है।

तीसरी तस्वीर:


दिल्ली हिंसा के नाम पर गलत दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर

यांडेक्स की मदद से रिवर्स इमेज किए जाने पर यह तस्वीर www.thetower.org पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में मिली।

the tower में अप्रैल 2014 को छपी रिपोर्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर

अप्रैल 2014 को प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक, यह तस्वीर भी फिलीस्तीनी लड़कियों की हैं और इसका दिल्ली हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है।

चौथी तस्वीर:



दिल्ली हिंसा के नाम पर गलत दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर

गूगल रिवर्स इमेज में यह तस्वीर कई वेबसाइट पर लगी मिली। सभी रिपोर्ट में इस तस्वीर को फिलीस्तीन का बताया गया है। www.palestinow.com पर 8 मार्च 2017 को प्रकाशित रिपोर्ट में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है। रिपोर्ट में इस तस्वीर की क्रेडिट लाइन में AFP और उसके फोटोग्राफर अब्बास मोमानी का जिक्र है।

क्रेडिट लाइन में दी गई जानकारी के मुताबिक यह तस्वीर रमल्लाह में 7 अक्टूबर 2015 को खींची गई थी। यानी, वायरल पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें दिल्ली से बाहर की हैं और दिल्ली हिंसा से कई सालों पहले खींची गई हैं।

दिल्ली में हुई हिंसा को कवर करने वाले दैनिक जागरण के सीनियर रिपोर्ट शुजाउद्दीन ने बताया, ‘उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान पत्थरबाजी की घटनाएं हुई थीं, लेकिन वायरल पोस्ट में शामिल कोई भी तस्वीर यहां की नहीं है।’

इससे पहले भी दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर कई तस्वीरें और वीडियो गलत दावे के साथ वायरल हुई है, जिसकी पड़ताल को विश्वास न्यूज पर पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान पत्थरबाजी करती हुई लड़िकयों की तस्वीर गलत दावे के साथ वायरल हो रही हैं। वायरल पोस्ट में नजर आ रही सभी तस्वीरें दिल्ली से बाहर की हैं और दिल्ली हिंसा से कई सालों पहले की हैं।

  • Claim Review : दिल्ली हिंसा में पत्थरबाजी करती लड़कियां
  • Claimed By : FB User-Jaspreet Jass Singh
  • Fact Check : झूठ
झूठ
फेक न्यूज की प्रकृति को बताने वाला सिंबल
  • सच
  • भ्रामक
  • झूठ

पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...

टैग्स

अपनी प्रतिक्रिया दें

No more pages to load

संबंधित लेख

Next pageNext pageNext page

Post saved! You can read it later