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Fact Check : दिल्‍ली के शाहीन बाग में धरने पर बैठीं महिला की तस्‍वीर पत्रकार रवीश कुमार के नाम से वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि रवीश कुमार के नाम से शाहीन बाग की तस्‍वीर वाली वायरल पोस्‍ट फर्जी है। तस्‍वीर में रवीश कुमार नहीं, बल्कि धरने में बैठीं शकीला बेगम हैं।

  • By: Ashish Maharishi
  • Published: Feb 22, 2020 at 03:30 PM
  • Updated: Feb 24, 2020 at 02:28 PM

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। शाहीन बाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच एक फर्जी पोस्‍ट तेजी से वायरल हो रही है। इसमें महिलाओं को मुंह पर पट्टी बांधे हुए देखा जा सकता है। सोशल मीडिया में कुछ यूजर्स इस महिला की तस्‍वीर को ‘एनडीटीवी इंडिया’ हिंदी के संपादक रवीश कुमार के नाम पर वायरल कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने जब वायरल पोस्‍ट की पड़ताल की तो यह झूठी साबित हुई। दरअसल जिस तस्‍वीर को रवीश कुमार की बताकर वायरल किया जा रहा है, वह शाहीन बाग के धरने में पहुंचीं एक महिला की है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में

फेसबुक यूजर Neeraj Shandilya ने 18 फरवरी को दोपहर 3:48 बजे एक महिला की तस्‍वीर को अपने अकाउंट पर अपलोड करते हुए लिखा : ”शाहीनबाग से आई है ये तस्वीर…गौर से देखिये कहीं ये रविशकुमार तो नहीं??? रविश से ऐसी उम्मीद नहीं थी”

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले रवीश कुमार के नाम से वायरल तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड करके सर्च किया। हमें time8.in नाम की वेबसाइट पर मौजूद एक खबर मिली। इस खबर में ओरिजनल तस्‍वीर का यूज किया गया था। खबर 18 फरवरी 2020 को पब्लिश की गई। खबर में शाहीन बाग के धरने के बारे में बताया गया था। पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।

https://www.time8.in/protest-but-dont-block-roads-sc-to-shaheen-bagh-protesters/

खबर के अंत में तस्‍वीर के लिए शाहीन बाग ऑफिशियल (@Shaheenbaghoff1) को क्रेडिट दिया गया था। इसके बाद हमने @Shaheenbaghoff1 पर जाकर ओरिजनल तस्‍वीर को सर्च करना शुरू किया। हमें 11 फरवरी 2020 को अपलोड की गई दो तस्‍वीर मिली।

इन तस्‍वीरों में एक तस्‍वीर वही थी, जो अब रवीश कुमार के नाम से वायरल हो रही है। तस्‍वीर के साथ जो Tweet किया गया था : ”#जामिया और तुगलकाबाद में दिल्ली पुलिस की हिंसा और दमन के खिलाफ़ आज हम शाहीन बाग के लोग पूरे दिन मौन प्रदर्शन कर रहे हैं। माइक और स्पीकर नहीं चलेगा। अत्याचार के खिलाफ़ अपना विरोध हम शांतिपूर्ण तरीके से दर्ज करेंगे। आप सभी अपने पोस्टर और काली पट्टी के साथ आएं।”

इस पूरे मामले में रवीश कुमार कहते हैं कि तस्‍वीर उनकी नहीं, बल्कि शकीला बेगम की है। यह करतूत आईटी सेल की है।

पड़ताल के अगले चरण में हम रवीश कुमार के फेसबुक पेज पर गए। वहां हमें 19 फरवरी को की गई रवीश कुमार की एक पोस्‍ट मिली। इसमें उन्‍होंने वायरल तस्‍वीर का राज बताते हुए लिखा : ”पिछले कुछ दिनों से एक महिला को लेकर अफ़वाह उड़ाई गई कि रवीश कुमार है। जो चेहरे पर पट्टी बांध कर शाहीन बाग में बैठा है। ये सारे काम कभी स्माइली लगा कर तो कभी प्रश्नवाचक चिन्ह लगाकर किए जाते हैं। जब कई माध्यमों से पहली तस्वीर आई तो पता करने का मन किया। क्योंकि इसे कई हैंडल से शेयर किया गया है। मानसिक रूप से गुलाम हो चुके कई लोग मेरी पोस्ट के कमेंट में इस तस्वीर को पोस्ट करने लगे हैं। मुन्ने भारती को काफ़ी मेहनत करनी पड़ गई। आख़िर पता लगा कि जिस तस्वीर को रवीश कुमार बताया जा रहा है वो शकीला बेगम की है। जो वहीं के एक मोहल्ले में रहती हैं…।”

रवीश कुमार की पूरी पोस्‍ट यहां पढ़ी जा सकती है।

अंत में हमने फेसबुक यूजर Neeraj Shandilya के अकाउंट की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि यूजर पटना का रहने वाला है। उसके अकाउंट पर एक खास विचारधारा से प्रेरित कंटेंट ज्‍यादा होता है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि रवीश कुमार के नाम से शाहीन बाग की तस्‍वीर वाली वायरल पोस्‍ट फर्जी है। तस्‍वीर में रवीश कुमार नहीं, बल्कि धरने में बैठीं शकीला बेगम हैं।

  • Claim Review : दावा किया जा रहा है कि वायरल तस्‍वीर रवीश कुमार की है।
  • Claimed By : फेसबुक यूजर Neeraj Shandilya
  • Fact Check : झूठ
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