Fact Check: भगत सिंह के खिलाफ केस लड़ने वाले वकील का RSS से नहीं था कोई संबंध, दुष्प्रचार हो रहा वायरल
- By: Abhishek Parashar
- Published: Sep 25, 2019 at 02:45 PM
- Updated: Sep 25, 2019 at 06:18 PM
नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक पोस्ट में दावा किया गया है भगत सिंह को फांसी दिलाने के लिए अंग्रेजों की ओर से जिस वकील ने मुकदमा लड़ा था, उनका नाम ‘राय बहादुर’ ‘सूर्यनारायण शर्मा’ था और वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक हेडगेवार के ‘मित्र’ और संघ के ‘सदस्य’ भी थे।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गुमराह करने वाला निकला। भगत सिंह के खिलाफ एक मामले में ‘राय बहादुर सूरज नारायण’ अभियोजन पक्ष के वकील थे, लेकिन उनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई संबंध नहीं था।
क्या है वायरल पोस्ट में?
फेसबुक पर वायरल हो रहे पोस्ट में लिखा गया है, ‘भगत सिंह का केस लड़ने वाला वकील एक मुसलमान था, जिसका नाम आसिफ अली था और भगत सिंह को फांसी दिलाने के लिए अंग्रेजों की ओर से जिस वकील ने केस लड़ा था, उस गद्दार का नाम राय बहादुर सूर्यनारायण शर्मा था, जो RSS के संस्थापक हेडगेवार का मित्र और RSS का सदस्य था।’
पड़ताल किए जाने तक इस पोस्ट को 300 से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं। सर्च में पता चला कि यह पहली बार नहीं है जब यह पोस्ट इसी दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हुआ हो।
पड़ताल
पड़ताल की शुरुआत हमने भगत सिंह से जुड़े दस्तावेजों के साथ की। सर्च में हमें इंडियन लॉ जर्नल की वेबसाइट पर आर्काइव में पड़ा एक लिंक मिला, जो अदालतों में हुई ऐतिहासिक सुनवाई से जुड़ा हुआ था।
‘The Trial of Bhagat Singh’ शीर्षक से मौजूद ऑनलाइन दस्तावेज में केंद्रीय विधानसभा की कार्यवाही के दौरान 8 अप्रैल 1929 को बम फेंके जाने के मामले में चले ट्रायल का जिक्र है। दस्तावेज के मुताबिक, ‘इस मामले में ट्रायल की शुरुआत 7 मई 1929 को हुई, जिसमें ब्रिटिश सरकार की तरफ से राय बहादुर सूर्यनारायण ने सरकार का पक्ष रखा।’
इसकी पुष्टि के लिए विश्वास न्यूज ने ‘अंडरस्टैंडिंग भगत सिंह’, ‘द भगत सिंह रीडर’ जैसी किताबें लिखने वाले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चमन लाल से बात की। उन्होंने कहा, ‘जहां तक भगत सिंह के वकील के तौर पर आसफ अली के मुकदमा लड़ने का जिक्र है, वह पूर्णतया सही है। हालांकि, राय बहादुर सूर्यनारायण शर्मा के बारे में वह दावे के साथ कुछ भी नहीं कह सकते।’
राजनीतिक इतिहासकार ए जी नूरानी की लिखी पुस्तक ‘The Trial of Bhagat Singh’ में दिए गए रेफरेंस से इसकी पुष्टि होती है।
किताब में दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘एडिशनल मजिस्ट्रेट एफ बी पूल की अदालत में (केंद्रीय विधानसभा में बमबारी के मामले में) ट्रायल की शुरुआत 7 मई 1929 को हुई। आसफ अली बचाव पक्ष के वकील के तौर पर पेश हुए, जबकि राय बहादुर सूरज नारायण अभियोजन पक्ष के वकील के तौर पर। कोर्ट में भगत सिंह के अभिभावक, उनके चाचा अजित सिंह की पत्नी और अरुणा आसफ अली थे। जब उन्हें अदालत में लाया गया तब भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त ने इंकलाब जिंदाबाद और साम्राज्यवाद मुर्दाबाद का नारा लगाना शुरू किया।’
ऐतिहासिक दस्तावेजों और इतिहासकारों के मुताबिक, बमबारी कांड में भगत सिंह का पक्ष आसफ अली ने रखा और अभियोजन पक्ष की तरफ से राय बहादुर सूरज नारायण पेश हुए। हालांकि, कहीं भी सूरज नारायण के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने का जिक्र नहीं मिला।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रांत के प्रवक्ता राजीव तुली ने विश्वास न्यूज से बातचीत में इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि जब यह मुकदमा चल रहा था तब संघ विदर्भ प्रांत से बाहर भी नहीं निकला था। उन्होंने कहा, ‘यह कांग्रेस प्रेरित दुष्प्रचार है, जो संघ को बदनाम करने के लिए लगातार चलाई जाती रही हैं।’ तुली ने बताया, ‘1929 में संघ विदर्भ प्रांत तक ही सिमटा हुआ था। 1935 में संघ ने पंजाब और 1939 में दिल्ली में अपना कार्य शुरू किया।’
‘भारतवर्ष की सर्वांग स्वतंत्रता’ के लेखक और संघ के विचारक नरेंद्र सहगल ने भी इसे खारिज करते हुए कहा कि यह महज अफवाह है। उन्होंने सौंडर्स ‘वध’ का जिक्र करते हुए कहा, ‘सौंडर्स की हत्या करने के बाद राजगुरु हेडगेवार से मिले थे। हेडगेवार ने उन्हें भूमिगत होने के लिए नागपुर में भेजा, जहां तत्कालीन सरकार्यवाह भैयाजी दानी ने फॉर्महाउस पर वह भूमिगत रहे।’
उन्होंने कहा कि हेडगेवार ने राजगुरु को उनके गांव जाने से मना किया था, लेकिन उन्होंने यह सलाह नहीं मानी और फिर गिरफ्तार हो गए। सहगल ने कहा कि इस प्रसंग का जिक्र नारायण हरिपालकर ने अपनी किताब ‘डॉ हेडगेवार चरित्र’ में किया। उन्होंने कहा कि इसी प्रसंग का जिक्र उन्होंने अपनी किताब ‘भारतवर्ष की सर्वांग स्वतंत्रता’ में भी किया है।
निष्कर्ष: भगत सिंह के खिलाफ केस लड़ने वाले वकील के नाम पर भ्रामक पोस्ट वायरल हो रहा है। केंद्रीय असेंबली में बम फेंकने के मामले में भगत सिंह का पक्ष वकील आसफ अली ने रखा था और इसी मामले में अभियोजन यानी सरकार की तरफ से मुकदमा राय बहादुर सूरज नारायण ने रखा था, लेकिन उनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई संबंध नहीं था।
- Claim Review : भगत सिंह के खिलाफ केस लड़ने वाले वकील का RSS से था संबंध
- Claimed By : FB User-Modi Mukt Bharat
- Fact Check : भ्रामक
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