Explainer: S&P ने GDP ग्रोथ अनुमान को घटाया, भारत के ग्रोथ रेट को लेकर देखें क्या है अन्य एजेंसियों का पूर्वानुमान!
भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर रेटिंग एजेंसियों के अनुमान अलग-अलग होते हैं। प्रमुख रेटिंग एजेंसियों के अलावा विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान काफी महत्वपूर्ण होते हैं, जिस पर बाजार और वैश्विक वित्तीय संस्थाओं समेत अन्य हितधारकों की नजर होती है। ये अनुमान किसी देश की अर्थव्यवस्था की अनुमानित वृद्धि या उसमें होने वाली गिरावट के कारणों को समझने में मददगार होते हैं।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Nov 27, 2024 at 06:17 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7% रही, जो वित्त वर्ष 2024-24 की पहली तिमाही की 8.2% वृद्धि दर से कम है। इसके बाद बाजार और वित्तीय संस्थाओं की नजर दूसरी तिमाही के आंकड़ों पर है। आरबीआई के मुताबिक, वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में वृद्धिर दर 7% और तीसरी तिमाही में 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है।
इस बीच मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन (MoSPI) ने जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) आंकड़ों को जारी किए जाने के समय में बदलाव किए जाने की घोषणा की है। मंत्रालय के मुताबिक, अब ये आंकड़ें (पूर्व के शाम 5.30 बजे के मुकाबले) शाम चार बजे जारी किए जाएंगे।
अक्टूबर महीने में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मॉनेटरी पॉलिसी समिति की बैठक हुई थी, जिसमें रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला लिया गया था। आरबीआई की इस रिपोर्ट में वित्त वर्ष 24-25 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।
केंद्रीय बैंक की इस बैठक के बाद नवंबर महीने में रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (S&P) ने अगले दो वित्त वर्ष FY26 और FY27 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमान में कटौती करते (देखें रिपोर्ट) हुए उसे घटाकर क्रमश: 6.7 और 6.8% कर दिया है। इससे पहले दोनों वित्त वर्ष के लिए अनुमान क्रमश: 6.9% और 7% था।
बताते चले कि वित्त वर्ष 25 के लिए एसएंडपी ने 6.8 फीसदी का अनुमान जाहिर किया है, जो आरबीआई के पूर्वानुमान से कम है। एसएंडपी ने उच्च ब्याज दर और कमजोर शहरी मांग का हवाला देते हुए अगले दो वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान में संशोधन किया है। वहीं, एजेंसी ने चीन के लिए 2024 के लिए ग्रोथ अनुमान को 4.8% के स्तर पर बरकरार रखा है, लेकिन 2025 के अनुमान को 4.3% से घटाकर 4.1% कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “अमेरिकी प्रशासन में होने वाला बदलाव चीन और शेष एशिया-प्रशांत के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। विशेषकर चीन पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ने की संभावना अधिक हो गई है और अमेरिका की वृहद (आर्थिक) तस्वीर में संभावित बदलाव से ब्याज दर से लेकर अलग-अलग उम्मीदें सामने आ रही हैं।”
एसएंडपी की इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात की घोषणा की है कि राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद वे कनाडा, मेक्सिको और चीन से होने वाले आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे। ट्रूथ सोशल पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने लिखा कि वे इन तीन देशों से होने वाले आयात पर 25% का शुल्क लगाएंगे। साथ ही चीन से होने वाले आयातों पर “अतिरिक्त 10% शुल्क” लगाया जाएगा।
फिच और S&P का अनुमान
फिच ने अपनी रिपोर्ट में भारत को वैश्विक तौर पर सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बताते हुए वित्त वर्ष 25 के 7.2% जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया है, जो वित्त वर्ष 8.2% की वृद्धि दर से कम है। वहीं, वित्त वर्ष 26 के लिए यह अनुमान 6.5% है।
फिच की रिपोर्ट के मुताबिक, सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर होने वाला पूंजीगत खर्च ग्रोथ रेट को गति देने वाला महत्वपूर्ण चालक बना हुआ है और साथ ही सरकार की खर्च गुणवत्ता बेहतर हुई है, जिससे राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने में मदद मिली है।
गौरतलब है कि सॉवरेन रेटिंग तय करने के लिए एजेंसियां कई स्तरों पर मूल्यांकन करती हैं, जिसमें राजनीतिक, आर्थिक समेत कई अलग-अलग फैक्टर शामिल होते है। मूल्यांकन के दौरान सरकारी खर्च की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है और साथ ही राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने की दिशा में राजनीतिक प्रतिबद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
देशों की सॉवरेन रेटिंग और उसे तय किए जाने की प्रक्रिया को समझने के लिए देखें यह एक्सप्लेनर:
भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर रेटिंग एजेंसियों के अनुमान अलग-अलग होते हैं। प्रमुख रेटिंग एजेंसियों के अलावा विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान काफी महत्वपूर्ण होते हैं, जिस पर बाजार और वैश्विक वित्तीय संस्थाओं समेत अन्य हितधारकों की नजर होती है। ये अनुमान किसी देश की अर्थव्यवस्था की अनुमानित वृद्धि या उसमें होने वाली गिरावट के कारणों को समझने में मददगार होते हैं।
विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान
विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 24-25 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 25-26 और वित्त वर्ष 26-27 के लिए यह अनुमान क्रमश: 6.7 फीसदी और 6.7 फीसदी है। वित्त वर्ष 2025 के लिए विश्व बैंक का अनुमान पूर्व में जाहिर 6.6% की वृद्धि दर के अनुमान से अधिक है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमान वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में जारी करता है।
अक्टूबर की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था को उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में रखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 25 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7% और वित्त वर्ष 25-26 में 6.5% रहने की उम्मीद है।
उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में भारत की आर्थिक वृद्धि दर सर्वाधिक तेज रहेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की वृद्धि दर इन दोनों वित्त वर्ष में क्रमश: 4.8 और 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है, जो भारत से कम है।
आईएमएफ की रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्यवस्था, विकसित अर्थव्यवस्था और उभरती एवं विकासशील अर्थव्यवस्था का समग्र आउटलुक भी जारी किया गया है, जिसके मुताबिक, समग्र वैश्विक अर्थव्यवस्था और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर के मुकाबले (2024 और 2025) में उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर अधिक रहेगी।
आरबीआई का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 7.2 फीसदी और 2025-26 के लिए 7.1 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान रखा है।
आरबीआई ने अक्टूबर 2024 में जारी अपनी मॉनेटरी पॉलिसी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि कई चुनौतियों के बावजूद भारत की घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं। औद्योगिक क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन, निवेश गतिविधि में तेजी, सामान्य से बेहतर मानसून, ग्रामीण मांग में तेजी, बैंकों और कॉरपोरेट की मजबूत बैलेंस शीट और इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च पर सरकार का विशेष ध्यान ग्रोथ आउटलुक के लिए सकारात्मक हैं, लेकिन अनिश्चित वैश्विक आर्थिक परिदृश्य, गहराता भू-राजनीतिक तनाव, सप्लाई चेन पर बढ़ता दबाव और वैश्विक वित्तीय स्थिति में होने वाला उतार-चढ़ाव इस आउटलुक को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
बताते चले कि वर्ष 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में वित्त वर्ष 24-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5-7 फीसदी रखा था, जो एक संकीर्ण अनुमान था।
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक और बाहरी चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 23 में जिस गति को हासिल किया, उसे वित्त वर्ष 24 में भी जारी रखा। इस वजह से भारत की वास्तविक जीडीपी वित्त वर्ष 24 में 8.2 फीसदी बढ़ी, जो लगातार तीसरे वर्ष के 7% की ग्रोथ रेट से अधिक है। वित्त वर्ष 25 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के 6.5-7 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाते हुए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि यह अनुमान जोखिमों को संतुलित रखते हुए दिया गया अनुमान है, जो बाजार की उम्मीदों के मुकाबले कम है।
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