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Explainer: ऑनलाइन गेमिंग में ठगे जा रहे लाखों रुपये, जानिए- क्या है इनका तरीका  

ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री बढ़ने के साथ ही इससे जुड़े फ्रॉड भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके जाल में फंसकर लोग अपनी कमाई गंवा रहे हैं। आइए, अपराधियों के तरीकों और इनसे बचने के उपाय पर एक नजर डालते हैं।

Online Gaming harms on health and fraud prevention

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री भारत में तेजी से अपने पैर जमा रही है। ऐप डाउनलोड के मामले में भारत सबसे बड़ा मोबाइल गेमिंग बाजार है। देश में 45 करोड़ से ज्यादा गेमर्स हैं। 2025 तक इनकी संख्या 50 करोड़ पहुंचने की उम्मीद है।

इसके स्याह पहलू भी हैं। ऑनलाइन गेमिंग की वजह से कई लोग कर्जे में डूब गए हैं। यूपी निवासी पुलिसकर्मी सूर्य प्रकाश अपना 10-15 लाख का कर्ज उतारने के लिए साथियों से 500-500 रुपये मांग रहे हैं।

ऐसे कई और उदाहरण होंगे, जो इस लत के दुष्प्रभावों को बताते हैं, लेकिन इसके अलावा साइबर क्रिमिनल ऑनलाइन गेमिंग के जरिए लोगों की पहचान और क्रेडिट व डेबिट कार्ड की डिटेल चुराने के अलावा साइबर बुलिंग और ब्लैकमेलिंग तक कर सकते हैं।

केस स्टडी

आजतक की वेबसाइट पर छपी खबर मुताबिक, प्रयागराज में एक गैंग युवाओं को कम पैसे लगाकर ज्यादा जीतने का लालच देकर फंसाता था। गेम की हार-जीत गैंग के हाथ में होती थी। ठग युवाओं को हारा हुआ दिखाकर उनके पैसे निकाल लेते थे। ये सोशल मीडिया हैंडल्स और तीन वेबसाइटों के जरिए इसका प्रचार करते थे।

खतरे

साइबर बुली: ऑनलाइन गेमिंग में कई खिलाड़ी यूजर को डरा-धमका भी सकते हैं। कुछ दूसरों को डराने या परेशान करने के लिए ही खेलते हैं। अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं।

वायरस या मैलवेयर : गेम्स डाउनलोड करने के लिए ई-मेल या टेक्स्ट मैसेज के जरिए लिंक्स भेजे जाते हैं। इन फ्री गेम्स को डाउनलोड करने से मालवेयर या वायरस भी डाउनलोड हो सकता है, जिसके जरिए ठग आपकी निजी जानकारी हासिल कर सकते हैं।

पहचान चुराना या आईडेंटिटी थेफ्ट: ऑनलाइन गेम्स को डाउनलोड करने के बाद अकाउंट खोलने के लिए यूजर की निजी जानकारी मांगी जाती है, जिसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसमें नाम व मोबाइल नम्बर तक शामिल होता है। आज के समय मोबाइल से सभी अकाउंट, यहां तक कि आधार भी जुड़ा होता है। इस जानकारी के जरिए ठग आपके नाम पर अकाउंट खोलने, उसे बेचने या आपके मौजूदा बैंक अकाउंट्स तक पहुंचने के लिए कर सकते हैं। दक्षिण कोरिया में एक हज़ार से ज़्यादा गेमर्स की पहचान ‘लाइनेज’ नामक एक काल्पनिक गेम के जरिए खतरे में पड़ गई थी। उनके नाम पर उनकी जानकारी के बिना गेम अकाउंट बनाए गए थे।

प्रोटेक्शन स्कीम: दक्षिण कोरिया में गेमिंग समुदाय के भीतर संगठित अपराध भी देखा गया है। इसका नतीजा ‘प्रोटेक्शन’ रैकेट के तौर पर सामने आया। इसमें अपराधी गैंग के गेमर्स कमजोर खिलाड़ियों को आभासी या वास्तविक ‘प्रोटेक्शन’ राशि नहीं देने पर बुरे परिणामों की धमकी देते हैं।    

क्रेडिट कार्ड की जानकारी: बहुत से गेम्स में प्वाइंट या सिक्के आदि और स्टेज पार करने के लिए क्रेडिट कार्ड की जानकारी देने को कहा जाता है। कुछ ऐप क्रेडिट कार्ड की जानकारी का दुरुपयोग भी कर सकते हैं। इसके लिए कुछ ठग ऑनलाइन पैसे भी ट्रांसफर करा लेते हैं।

अपराध के लिए उकसाना: अक्सर साइबर अपराधी नाबालिग होने का बहाना बनाकर किशोरों को अपने भरोसे में ले लेते हैं। वे बच्चों को गेम्स का टिप्स देकर प्वाइंट शेयर करके दोस्ती करने का प्रयास करते हैं। इसके बाद वे यूजर की निजी जानकारी लेकर इसका दुरुपयोग कर सकते हैं और यूजर को किसी अपराध करने के लिए उकसा सकते हैं।

सेहत पर असर: ऑनलाइन गेम्स ज्यादा खेलने से सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे आंखें खराब हो सकती हैं। साथ ही टेंशन, सिर, पीठ व गर्दन में दर्द की शिकायत बढ़ सकती है। मोटापे की समस्या और व्यवहार में बदलाव। इससे यूजर हिंसक भी हो सकता है। यूजर के मन में आत्महत्या करने का विचार भी आ सकता है।

बचाव

– केवल अधिकृत सोर्स से ही ऐप डाउनलोड करें। जैसे- गूगल प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर आदि।

– वेबसाइट की वैधता सुनिश्चित करने के लिए हमेशा गेमिंग ऐप के पब्लिशर की जानकारी को चेक कीजिए

– व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें। साइबर अपराधी इसका गलत उपयोग कर सकते हैं।

– कभी भी ऐप की खरीदारी और आकर्षक सब्सक्रिप्शन ऑफर के जाल में न फंसें।

– कभी भी ई-मेल या टेक्स्ट मैसेज में आए संदिग्ध लिंक्स पर क्लिक न करें।

– उपयोग में न होने पर वेबकैम को ढककर रखें। अनजान के साथ चैटिंग में वेबकैम का प्रयोग मत करें।

– क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड की जानकारी किसी के भी साथ शेयर मत करें।

– कंप्यूटर या स्मार्ट फोन में अच्छा एंटीवायरस इंस्टॉल करें। उन्हें नियमित रूप से अपडेट करते रहें।

– ऑनलाइन गेमिंग अकाउंट और अन्य ऑनलाइन अकाउंट के पासवर्ड जटिल होने चाहिए। इसे किसी के साथ शेयर मत करें और समय-समय पर बदलते रहें।

– ऑनलाइन गेमिंग के दौरान जिसे यूजर जानता न हो, उससे न मिलें।

– कोई समस्या होने पर अपने माता-पिता को जानकारी दें।  

– आउटडोर गेम्स खेलने की आदत डालें। इससे शरीर भी स्वस्थ रहता है।

कार्रवाई

24 जनवरी 2024 को एएनआई पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, गेमिंग ऐप से हो रहे फर्जीवाड़े को देखते हुए गृह मंत्रालय की साइबर विंग ने गेमर्स को सतर्कता बरतने को कहा है। केंद्र ने 15 दिसंबर 2023 तक कुल 581 ऐप्स को ब्लॉक किया था।  इनमें से 174 सट्टेबाजी व जुए वाले ऐप्स थे। इन गेमिंग एप्लीकेशन में PUBG, GArena Free Fire भी थे। सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म फर्जी बैंक खातों के माध्यम से यूपीआई भुगतान जमा कर रहे थे और इन खातों में जमा राशि हवाला, क्रिप्टो और अन्य अवैध माध्यम से भेजी जा रही थी। महादेव के अलावा जिन ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया गया, उनमें Parimatch, Fairplay, 1XBET, Lotus365, Dafabet और Betwaysatta शामिल हैं। इनमें से कई प्रतिबंधित सूची में हैं और कुछ भारत में अवैध रूप से काम कर रहे थे।

यहां करें शिकायत

इस बारे में हमने नोएडा साइबर सेल के डीएसपी साइबर क्राइम विवेक रंजन राय से संपर्क किया। उनका कहना है कि ऑनलाइन गेम्स प्वाइंट्स या रिवार्ड के चक्कर में लोग ठगी के शिकार हो जाते हैं। साथ ही अनजान लिंक्स पर क्लिक कर देते हैं, जिससे उनको डेटा चोरी हो जाता है। ऐसी कोई घटना होने पर साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना दें या साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर कंप्लेंट करें। नजदीकी साइबर सेल में भी शिकायत कर सकते हैं।

एक्सपर्ट की राय

पूर्व आईपीएस एवं साइबर एक्सपर्ट डॉ. त्रिवेणी सिंह ने कहा, ऑनलाइन गेम्स में रिवार्ड का लालच देकर युवाओं को फंसाया जाता है। इसमें जमा पैसे को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए बाहर भेजा जाता है। शुरू में युवाओं को जीता हुआ दिखाकर फंसाते हैं और फिर बड़ा अमाउंट लगाने पर हारा हुआ दिखा देते हैं। गेम की कमान ठगों के हाथ में होती है। कुछ मामलों में गेमर्स से क्रेडिट कार्ड की डिटेल भी मांग ली जाती है। ठगों के जाल में फंसकर बच्चे अपने माता-पिता का क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर लेते हैं और जब तक उनके अभिभावकों का इसका पता चलता है, ठगी हो चुकी होती है।

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