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Explainer: 2024 United States Presidential Election: जानें चुनाव प्रक्रिया और कमला हैरिस की उम्मीदवारी के बारे में 

2024 का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 5 नवंबर 2024 को होने वाला है, जो अमेरिका का 60वां राष्ट्रपति चुनाव होगा। इस चुनाव में अमेरिकी मतदाता चार साल के लिए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करेंगे। यह चुनाव न केवल अमेरिकी नागरिकों के बीच, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर भारतीयों के बीच भी चर्चा का एक प्रमुख विषय है। इसका मुख्य कारण कमला हैरिस की ऐतिहासिक उम्मीदवारी है।

  • By: Pallavi Mishra
  • Published: Sep 27, 2024 at 10:47 AM
  • Updated: Sep 27, 2024 at 05:09 PM

नई दिल्‍ली। 2024 का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 5 नवंबर 2024 को होने वाला है, जो अमेरिका का 60वां राष्ट्रपति चुनाव होगा। इस चुनाव में अमेरिकी मतदाता चार साल के लिए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करेंगे। यह चुनाव न केवल अमेरिकी नागरिकों के बीच, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर भारतीयों के बीच भी चर्चा का एक प्रमुख विषय है। इसका मुख्य कारण कमला हैरिस की ‘ऐतिहासिक’ उम्मीदवारी है।

भारतीय-अफ्रीकी मूल की कमला हैरिस, जो पहले ही उपराष्ट्रपति पद संभाल चुकी हैं, अब 2024 के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं। दूसरी ओर, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 2024 के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार हैं। ट्रम्प, 2016 में राष्ट्रपति बने थे और 2020 में चुनाव हार गए थे, एक बार फिर से राष्ट्रपति पद की दौड़ में हैं।

भारतियों के बीच इस चुनाव को लेकर बढ़ती रुचि के मद्देनज़र ज़रूरी हो जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझा जाये।  

कैसे होता है अमेरिकी चुनाव? 

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावी प्रक्रिया चुनाव से एक से डेढ़ साल पहले शुरू हो जाती है। अमेरिका के दो प्रमुख राजनीतिक दल, डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन, अपने उम्मीदवारों के साथ चुनावी अभियान का आगाज करते हैं। इसके बाद, डेमोक्रेट और रिपब्लिकन उम्मीदवारों के बीच टीवी पर बहस होती है, जहां वे अपनी नीतियों और मुद्दों पर चर्चा करते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट करते हैं। इस प्रक्रिया को समझने से पहले कुछ नियम समझना जरूरी है। 

1 ) इलेक्टोरल कॉलेज का गठन: अमेरिका के 50 राज्यों और वॉशिंगटन डीसी को मिलाकर कुल 538 इलेक्टोरल वोट होते हैं। किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल वोट चाहिए होते हैं। 

2) विनर-टेक्स-ऑल रूल  (Winner-Takes-All Rule): अधिकांश राज्यों में यह नियम लागू होता है, जिसका मतलब है कि जिस उम्मीदवार को राज्य में सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, उसे उस राज्य के सभी इलेक्टोरल वोट मिल जाते हैं।

3) वोटिंग और इलेक्टोरल कॉलेज की भूमिका: अमेरिकी नागरिक राष्ट्रपति चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से वोट करते हैं। वे इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों का चुनाव करते हैं, जो बाद में राष्ट्रपति के लिए वोट करते हैं।

अब नजर डालते हैं राष्ट्रपति चुनाव के प्रमुख चरणों पर:

1) घोषणा और प्राइमरीज (Announcement and Primaries): राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया लगभग डेढ़ साल पहले शुरू हो जाती है। उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करते हैं, और फिर विभिन्न राज्यों में प्राइमरीज (Primaries) और कॉकस (Caucuses) आयोजित किए जाते हैं। इसका अहम उद्देश्‍य जनता की राय को भांपना होता है। 

1.1 प्राइमरीज

प्राइमरीज एक तरह के चुनाव होते हैं जिनका संचालन राज्य और स्थानीय सरकारें करती हैं। मतदान गुप्त पोल के माध्यम से होता है। कुछ राज्य “बंद” प्राइमरी आयोजित करते हैं, जिसमें केवल घोषित पार्टी के सदस्य ही भाग ले सकते हैं। वहीं,  ओपन प्राइमरी में सभी मतदाता भाग ले सकते हैं, चाहे वे पार्टी से जुड़े हों या न हों।

1.2  कॉकस

कॉकस राजनीतिक दलों द्वारा संचालित निजी बैठकें होती हैं। ये काउंटी, जिला या एरिया स्तर पर आयोजित की जाती हैं। ज़्यादातर में, प्रतिभागी अपने द्वारा समर्थित उम्मीदवार के अनुसार खुद को समूहों में विभाजित करते हैं। यहां मतदाता खुले तौर पर तय करते हैं कि किस उम्मीदवार का समर्थन करना है। कॉकस उन उम्मीदवारों को तरजीह देता है, जिनके पास समर्पित और संगठित समर्थक होते हैं। 

2) पार्टी नामांकन:  डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियां आम तौर पर प्राइमरी और कॉकस के परिणामों के आधार पर राष्ट्रपति पद के लिए अपने-अपने उम्मीदवार की पुष्टि करती हैं। प्रत्येक पार्टी एक राष्ट्रीय सम्मेलन (National Convention) आयोजित करती है, जहां वे अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नामांकन करते हैं। अगस्त 2024 में विस्कॉन्सिन के मिल्वौकी में हुए एक सम्मेलन में डोनाल्ड ट्रम्प को आधिकारिक तौर पर रिपब्लिकन उम्मीदवार घोषित किया गया था। वहीं, 18 अगस्त को हुए डेमोक्रेटिक राष्ट्रीय सम्मेलन में कमला हैरिस को आधिकारिक तौर पर डेमोक्रेटिक उम्मीदवार घोषित किया गया था। 

3) डिबेट और प्रचार: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बहस (डिबेट) एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, जहां दोनों प्रमुख उम्मीदवार अपने विचारों, नीतियों, और दृष्टिकोणों को जनता के सामने प्रस्तुत करते हैं। इन डिबेट्स में अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा, और विदेश नीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होती है, जिससे मतदाताओं को यह समझने में मदद मिलती है कि कौन-सा उम्मीदवार उनकी अपेक्षाओं और देश की आवश्यकताओं के अनुसार बेहतर विकल्प है।

4) मतदान (General Voting): नवंबर में चुनाव होता है, जिसमें नागरिक इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के लिए वोट करते हैं। ये सदस्य फिर राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। इस बार  5 नवंबर को होना है। 

5)  इलेक्टोरल कॉलेज वोटिंग (Electoral College Voting): दिसंबर में इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य वॉशिंगटन डीसी में मिलते हैं और राष्ट्रपति के लिए औपचारिक रूप से वोट डालते हैं। इस बार यह प्रक्रिया 17 दिसंबर को होनी है। 

6) पद ग्रहण (Inauguration): जनवरी में, नए राष्ट्रपति का पद ग्रहण समारोह (Inauguration Ceremony) होता है, जहां वे अपने कार्यकाल की शपथ लेते हैं। 

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए संवैधानिक योग्यता

अमेरिकी संविधान में कहा गया है कि राष्ट्रपति को:

1) संयुक्त राज्य अमेरिका का स्वाभाविक रूप से जन्मा नागरिक होना चाहिए। 

2) कम से कम 35 वर्ष का होना चाहिए। 

3) 14 वर्षों से संयुक्त राज्य अमेरिका का निवासी होना चाहिए। 

कमला हैरिस की ‘ऐतिहासिक’ उम्मीदवारी

कमला हैरिस का अमेरिकी उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में सामने आना अमेरिका की विविधता और समावेशिता को दर्शाता है। उनकी मां, श्यामला गोपालन, भारत के तमिलनाडु राज्य से थीं और कैंसर शोधकर्ता के रूप में ख्याति प्राप्त थीं, जबकि उनके पिता, डोनाल्ड हैरिस, जमैका से थे और एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री थे। हार्वर्ड  यूनिवर्सिटी से स्नातक और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, हैस्टिंग्स कॉलेज ऑफ लॉ से कानून की पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सैन फ्रांसिस्को के जिला अटॉर्नी के रूप में की और फिर कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल बनीं। 2017 में वे कैलिफोर्निया से अमेरिकी सीनेट के लिए चुनी गईं।

कमला हैरिस के माता-पिता

कमला हैरिस की उम्मीदवारी भारतीय-अमेरिकी समुदाय पर प्रभाव डाल सकती है।  

अमेरिका में भारतीय अमेरिकी मतदाता एक महत्वपूर्ण चुनावी समूह बन गए हैं, उनकी संख्या और प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। उनका समर्थन चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

कार्नेगी एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस (Carnegie Endowment for International Peace) के सीनियर फेलो और साउथ एशिया प्रोग्राम के निदेशक डॉ. मिलन वैष्णव के अनुसार “2020 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 45% भारतीय-अमेरिकी नागरिकों ने कहा था कि कमला हैरिस के डेमोक्रेटिक टिकट में शामिल होने से वे उस वर्ष के राष्ट्रपति चुनाव में वोट करने के लिए ज्यादा इच्छुक हुए थे। उनमें से लगभग 49% ने कहा था कि हैरिस के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से वे डेमोक्रेटिक टिकट को लेकर अधिक उत्साहित थे, और इसका मुख्य कारण था उनकी भारतीय विरासत।”

डॉ. वैष्णव  का मानना है क”हैरिस की उम्मीदवारी भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं के बीच महत्वपूर्ण समर्थन आकर्षित करेगी। यह समर्थन मुख्य रूप से इस तथ्य से उत्पन्न होता है कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय ऐतिहासिक रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन करता रहा है। हालांकि, कुछ स्विंग वोटर्स भी हैं, जो कमला हैरिस की भारतीय विरासत के कारण उनके लिए वोट देने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।”

हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में भारतीय वोटर्स का रुझान ट्रंप की तरफ जाता हुआ दिख रहा है, जो उनकी उदार व्यवसाय नीतियों के कारण है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय मूल के मतदाता अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को किस तरह प्रभावित करते हैं।

कमला हैरिस की उम्मीदवारी का अमेरिका-भारत संबंधों पर प्रभाव

डॉ. मिलन वैष्णव  के अनुसार, “भारत-अमेरिका संबंधों को बड़े संरचनात्मक कारक प्रभावित करते हैं, जो व्हाइट हाउस में कौन है, इससे ज्यादा नहीं बदलते। दो प्रमुख कारक हैं—चीन-भारत के बीच बढ़ती भू-रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और वास्तविक नियंत्रण रेखा (भारत चीन सीमा) पर बढ़ता तनाव।”

डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदवारी और पॉपुलैरिटी 

डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और एक प्रसिद्ध व्यापारी हैं, जो राजनीति में आने से पहले रियल एस्टेट और टीवी शो “द अप्रेंटिस” के लिए जाने जाते थे। राजनीति में उनका प्रवेश इस वजह से अनोखा था, क्योंकि वे एक पारंपरिक राजनेता नहीं थे और अमेरिकी मतदाता पारंपरिक राजनीति से निराश थे। ट्रम्प की सीधी-सपाट और कभी-कभी विवादास्पद भाषा ने उन्हें एक अलग पहचान दी। 

उनकी उम्मीदवारी को लगातार मीडिया में भी काफी कवरेज मिला, चाहे वह उनके भाषण हों या उनके विवादास्पद फैसले। ट्रम्प की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण यह भी है कि उन्होंने राजनीति की पारंपरिक सोच से हटकर बातें कीं, जो कई मतदाताओं को नई और अलग लगीं। भारत के संदर्भ में, ट्रम्प को एक ऐसे उम्मीदवार के रूप में देखा जा सकता है, जो राजनीति में एक बाहरी व्यक्ति होते हुए भी, अपनी सीधी और सख्त बातों से लोगों के बीच अपनी मजबूत पहचान बनाता है और अपने समर्थकों के बीच बहुत प्रभावी होता है। हाल में भारत को लेकर दिए उनके बयानों से भी उनके सख्त रुख का जायज़ा लिया जा सकता है।  

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