Fact Check: इस्कॉन मायापुर की फोटो बांग्लादेश हिंसा से जोड़ते हुए भ्रामक दावे के साथ वायरल
विश्वास न्यूज की जांच में वायरल दावा भ्रामक निकला। वायरल फोटो 22 जून 2016 की वेस्ट बंगाल के मायापुर इस्कॉन मंदिर की है। वहां मुस्लिमों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था। यह तस्वीर बांग्लादेश हिंसा से संबंधित नहीं है।
- By: Pallavi Mishra
- Published: Aug 8, 2024 at 11:54 AM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। बांग्लादेश में चल रही हिंसा के बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक शख्स लोगों को खाना परोसते हुए दिख रहा है। तस्वीर को वायरल करते हुए यूजर्स दावा कर रहे हैं कि ये बांग्लादेश के इस्कॉन मंदिर के स्वामी निताई दास हैं। उन्होंने रोजे में लगातार 30 दिन तक मुस्लिमों के लिए इफ्तार का आयोजन किया था, पर मुस्लिमों ने मंदिर में घुसकर निताई दास की हत्या कर दी।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल फोटो वेस्ट बंगाल के मायापुर के इस्कॉन मंदिर की है, जो जुलाई 2016 में पब्लिश हुई थी। बांग्लादेश से इसका कोई संबंध नहीं है।
क्या है वायरल पोस्ट में
फेसबुक यूजर Hemant Nagarkar ने Fans of “30 seconds” Anand Ranganathan (आर्काइव) नाम के फेसबुक ग्रुप पर इस तस्वीर को 7 अगस्त 2024 को पोस्ट किया और साथ में लिखा ” ये है बांग्लादेश इस्कॉन मंदिर के स्वामी निताई दास जी, इन्होंने रोजा में लगातार 30 दिन तक मुस्लिमों के लिए इफ्तार का आयोजन किया था और वहीं मुस्लिमो ने इस्कान मन्दिर में घुस कर स्वामी जी का निर्मम हत्या कर दिया। जहां इंसानियत खत्म होती है वहीं से इस्लाम शुरू होता है।”
हमें ‘विश्वास न्यूज’ के चैटबॉट नंबर +91 95992 99372 पर भी यह पोस्ट चेक करने के लिए भेजी गई।
पड़ताल
वायरल फोटो एक बार पहले भी गलत दावे के साथ वायरल हुई थी। उस समय भी विश्वास न्यूज़ ने इसकी पड़ताल की थी। उस समय पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज से सर्च किया था। उस समय हमें UCA NEWS में 4 जुलाई 2016 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली थी, जिसमें वायरल फोटो थी। इसमें कैप्शन लिखा था, A monk from the International Society for Krishna Consciousness offers sweetmeats to Muslims during Iftar at the Hindu group’s temple in Mayapur on 22 June. (मायापुर के एक मंदिर में इस्कॉन के संत मुस्लिमों को इफ्तार के दौरान मिठाई देते हुए। इसका आयोजन 22 जून को हुआ था।) खबर के मुताबिक, मायापुर के मंदिर के परिसर में मुस्लिमों के लिए इफ्तार का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम का आयोजन इस्कॉन की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर किया गया था।
यहाँ मौजूद जानकारी को कीवर्ड से सर्च करने पर हमें 22 जून 2016 की oneindia की एक खबर भी मिली थी। इसके अनुसार, मंदिर परिसर में इस्कॉन ने चुने गए मुस्लिम पंचायत सदस्यों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था।
वायरल दावे को ओपन गूगल सर्च करने पर हमें इंडिया टुडे की 6 अगस्त 2024 की एक खबर मिली, जिसके अनुसार, “बांग्लादेश के खुलना डिवीजन में स्थित मेहरपुर में एक इस्कॉन मंदिर में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। मंदिर प्रशासन के अनुसार मेहरपुर में इस्कॉन केंद्र को भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा देवी की मूर्तियों सहित जला दिया गया। केंद्र में रहने वाले तीन भक्त किसी तरह भागने में सफल रहे और बच गए।”
इससे पहले भी बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिरों पर हमले हुए हैं, जिनमें अनुयाइयों की जाने तक चली गयीं थीं। इसके बारे में ज्यादा जानकारी यहां पढ़ी जा सकती है।
हमने इस तस्वीर को लेकर मायापुर इस्कॉन मंदिर से भी संपर्क किया था। उनका कहना था, This is a very old pic released last year too with same claim and which is wrong. He is neither in Bangladesh nor harmed as such by the Muslims there. (यह पुरानी तस्वीर है, जिसे पिछले साल भी समान दावे के साथ वायरल किया गया था। यह दावा गलत है। फोटो में दिख रहा शख्स न तो बांग्लादेश में है और न ही मुस्लिमों ने उसे नुकसान पहुंचाया था।)
यह स्क्रीनशॉट पहले भी वायरल हो चुका है। विश्वास न्यूज ने इसका फैक्ट चेक किया था। पूरी रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
फोटो को भ्रामक दावे के साथ वायरल करने वाले फेसबुक ग्रुप Fans of “30 seconds” Anand Ranganathan की हमने सोशल स्कैनिंग की। इस ग्रुप के 30 हजार से अधिक फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में वायरल दावा भ्रामक निकला। वायरल फोटो 22 जून 2016 की वेस्ट बंगाल के मायापुर इस्कॉन मंदिर की है। वहां मुस्लिमों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था। यह तस्वीर बांग्लादेश हिंसा से संबंधित नहीं है।
- Claim Review : बांग्लादेश के इस्कॉन मंदिर के स्वामी निताई दास ने लगातार 30 दिन तक मुस्लिमों के लिए इफ्तार का आयोजन किया था, पर मुस्लिमों ने मंदिर में घुसकर निताई दास की हत्या कर दी।
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- Fact Check : भ्रामक
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