Fact Check: IPC की धारा 427 और लोक संपत्ति अधिनियम को लेकर किया जा रहा दावा गलत
1 जुलाई से आईपीसी की जगह अब नए आपराधिक कानून बीएनएस ने ले ली है। आईपीसी की धारा 427 किसी को 50 रुपये या उससे ज्यादा के नुकसान को लेकर थी, जबकि लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने को लेकर है।
- By: Sharad Prakash Asthana
- Published: Jul 3, 2024 at 04:36 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। 1 जुलाई से देश में तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारत साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू हो गए हैं। बीएनएस ने इंडियन पीनल कोड (IPC), बीएनएसएस ने क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) और भारत साक्ष्य अधिनियम 2023 ने इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 की जगह ली है। इस दौरान सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें लिखा है कि आईपीसी की धारा 427 और 2/3 लोक संपत्ति अधिनियम 1985 के तहत मस्जिद या मदरसा के स्टाफ से दुर्व्यवहार करने पर, उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर, स्टाफ के कार्य में बाधा डालने पर और उन्हें डराने व धमकाने पर तीन वर्ष की सजा हो सकता है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि यह मैसेज पहले भी वायरल हो चुका है। अब IPC की जगह बीएनएस ने ले ली है। आईपीसी की धारा 427 की जगह अब बीएनएस की धारा 324 (4) हो गई है। आईपीसी की धारा 427 में दिया गया था कि अगर किसी व्यक्ति के कृत्य की वजह से अन्य को 50 रुपये या उससे ज्यादा का नुकसान होता है, तो उसको दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। वहीं, लोक संपत्ति अधिनियम 1985 नहीं है, बल्कि लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 है। इसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को पांच साल की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
क्या है वायरल पोस्ट
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर ने इस पोस्ट को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया।
फेसबुक यूजर Furquan Bishami ने भी 1 जुलाई को इस पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है। इस पर लिखा है,
“इस को आम करिये ताकि आप सब मुसलमानों को पता चले
महत्वपूर्ण सूचना
IPC की धारा 427 एवं 2/3 लोक सम्पत्ति अधिनियम 1985 के तहत तीन वर्ष की कैद (सजा) हो सकती है
मस्जिद/मदरसा के स्टाफ से दुर्व्यवहार करने पर।
मस्जिद/मदरसा की सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने पर।
मस्जिद/मदरसा व स्टाफ के कार्यों में बाधा पहुँचाने पर।
मस्जिद/मदरसा के किसी भी सदस्य को डराने व धमकाने पर।
यह सब अब गैर जमानती अपराध है।“
पड़ताल
वायरल दावे की जांच के लिए हमने सबसे पहले आईपीसी की धारा 427 के बारे में सर्च किया। मध्य प्रदेश सरकार की वेबसाइट पर अपलोड आईपीसी की कॉपी में इस धारा के बारे में जानकारी को देखा जा सकता है। धारा 427 में दिया गया है कि जो शख्स दूसरे को 50 रुपये या उससे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है, उसको दो साल की कैद या जुर्माना या दोनों सजा हो सकती हैं।
इंडियन कानून की वेबसाइट पर भी आईपीसी की धारा 427 के बारे में जानकारी दी गई है कि जो कोई भी अपने कृत्य से दूसरे का 50 रुपये या उससे अधिक की राशि का नुकसान करेगा, उसे दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
1 जुलाई से देशभर में आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 की जगह बीएनएस, बीएनएसएस और भारत साक्ष्य अधिनियम 2023 ने ले ली है। गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बारे में जानकारी दी थी। इसकी प्रेस रिलीज को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की वेबसाइट पर देखा जा सकता है। मतलब 1 जुलाई से आईपीसी अस्तित्व में नहीं है।
यूपी पुलिस की वेबसाइट पर चार्ट के जरिए आईपीसी की धाराओं के समानांतर बीएनएस की धाराओं को बताया गया है। इसके अनुसार, आईपीसी की धारा 427 की जगह अब बीएनएस की धारा 324 (4) प्रभावी होगी। 427 किसी कृत्य की वजह से 50 रुपये या उससे अधिक के नुकसान को लेकर थी।
गृहमंत्रालय की वेबसाइट पर भारतीय न्याय संहिता की कॉपी अपलोड है। इसमें 324 में किसी व्यक्ति या किसी संपत्ति को नुकसान या उसमें बदलाव करने के कृत्य के बारे में बताया गया है। 324 (4) में कहा गया है कि जो किसी को 20 हजार रुपये से ज्यादा और 1 लाख रुपये से कम का नुकसान करता है, उसको दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों सजा हो सकती हैं।
बीएनएस की धारा 324 (5) में नुकसान 1 लाख रुपये से ज्यादा होने पर सजा पांच साल तक या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
इसके बाद हमने 2/3 लोक सम्पत्ति अधिनियम 1985 के बारे में सर्च किया। विधायी विभाग की वेबसाइट पर लोक सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की कॉपी है। इसमें दिया गया है कि यह जम्मू-कश्मीर के अलावा पूरे देश में लागू है। इसके अनुसार, जो व्यक्ति लोक संपत्ति या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा, उसको पांच साल तक की सजा या जुर्माना हो सकता है। यह जमानती है। मतलब वायरल पोस्ट में अधिनियम का नाम भी गलत लिखा है।
इस बारे में हमने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी दुबे से बात की। उनका कहना है, “आईपीसी की जबह अब भारतीय न्याय संहिता ने ले ली है। आईपीसी की धारा 427 में किसी को 50 रुपये या उससे ज्यादा का नुकसान होने पर सजा का जिक्र था। यह बीएनएस में अब 324 (4) हो गई है। इसमें सजा और प्रावधान में कुछ बदलाव हुआ है। दोष को देखते हुए सजा की अवधि हो सकती है। धारा 427 में या अभी की धारा में विशेष धार्मिक स्थल को लेकर कोई आदेश नहीं है। यह सभी पर लागू होता है। अगर कोई किसी की संपत्ति या प्रॉपर्टी में घुसकर नुकसान पहुंचाता है तो उसको सजा होगी।“
इससे पहले भी यह दावा राजस्थान सरकार द्वारा कानून में बदलाव बताकर वायरल हो चुका है। विश्वास न्यूज की पड़ताल वह दावा फर्जी निकला था।
फेक पोस्ट करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। आजमगढ़ में रहने वाले यूजर के करीब 5100 फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: 1 जुलाई से आईपीसी की जगह अब नए आपराधिक कानून बीएनएस ने ले ली है। आईपीसी की धारा 427 किसी को 50 रुपये या उससे ज्यादा के नुकसान को लेकर थी, जबकि लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने को लेकर है।
- Claim Review : आईपीसी की धारा 427 और 2/3 लोक संपत्ति अधिनियम 1985 के तहत मस्जिद या मदरसा के स्टाफ को लेकर विशेष प्रावधान किए गए हैं।
- Claimed By : FB User- Furquan Bishami
- Fact Check : झूठ
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